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बजट भाषण में सीएम ने चलाए शायराना तीर...जो विपक्ष के दिल को रहे थे चीर - हिमाचल बजट 2020 21

सीएम जयराम ने शनिवार को 2021-22 का बजट पेश किया. बजट भाषण के दौरान सीएम शायराना अंदाज में नजर आए. जयराम ने अपने बजट भाषण में कई शायर पढ़े.

सीएम जयराम विधानसभा, बजट भाषण, बजट में शायरी
सीएम जयराम विधानसभा
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Published : Mar 6, 2021, 5:02 PM IST

शिमला: शनिवार को सीएम जयराम ठाकुर ने प्रदेश का बजट पेश किया. ये जयराम सरकार का चौथा बजट था. करीब 3 घंटे से लंबे बजट भाषण के दौरान सीएम जयराम ठाकुर ने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनवाई और आगामी वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कई घोषणाएं की. सीएम जयराम ठाकुर ने 50,192 करोड़ रुपये का बजट पेश किया.

सीएम का शायराना अंदाज

बजट भाषण के दौरान सीएम जयराम ठाकुर का शायराना अंदाज़ भी देखने को मिला. 3 घंटे से भी लंबे चले बजट भाषण के दौरान मुख्यमंत्री ने कई शेर पढ़े. इनमें से कुछ नई योजनाओं को लेकर थे तो कुछ समाज के विशेष तबके (किसान, महिला आदि) का जिक्र करते हुए थे. लेकिन इसी दौरान उनके कुछ शायराना तीर विरोधियों पर भी चलाए.

हार हो जाती है जब मान लिया जाता है,

जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है

भूख से या वबा (बीमारी) से मरना है,

यह फैसला आदमी को करना है

रोक सकता है तू लहरों को, कोशिश करके तो देख

लौटा सकता है तू तूफां को, कोशिश करके तो देख

मुसीबतें खड़ी हैं जो सीना ताने तेरे सामने

सर झकाएंगी एक दिन, कोशिश करके तो देख

हर बाधा से जीत रहे हम, मिलकर सपने सींच रहे हम

पीढ़ी दर पीढ़ी जन मन के तप का हासिल है,

ये मेरा हिमाचल है, ये अपना हिमाचल है

हिम्मत वाले पल में बदल देते हैं दुनिया को,

सोचने वाला दिल तो बैठा सोचा करता है

किसान का बेटा हूं खेती करना मेरा कर्म है

अपने साथ दूसरों का पेट भरना मेरा धर्म है

चीर के जमीन को उम्मीद के बीज बोता हूं

किसान हूं, सींचता हूं लहू से तब फसल देता हूं

तमाम दिन जो कड़ी धूप में झुलसते हैं

वही दरख्त मुसाफिर को छांव देते हैं

कर्तव्यों का बोध कराती अधिकारों का ज्ञान

शिक्षा से ही मिल सकता है सर्वोपरि सम्मान

मेरी मंज़िल मेरे करीब है, इसका मुझे अहसास है

गुमां नहीं मुझे इरादों पर अपने, ये मेरी सोच और हौसलों का विश्वास है

हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है

जिस तरफ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जाएगा

मंजिल पर सफलता का निशान चाहिए

होंठो पर खिलती हुई मुस्कान चाहिए

बहलने वाले नहीं हम छोटे से टुकड़े से

हमें तो पूरा का पूरा आसमान चाहिए

जब हौसला कर लिया ऊंची उड़ान का

फिर देखना फिजूल है कद आसमान का

रखते हैं जो औरों के लिए प्यार का जज़्बा

वो लोग कभी टूट कर बिखरा नहीं करते

लहू देकर तिरंगे की, बुलंदी को संवारा है

फरिश्ते तुम वतन के हो, तुम्हें सजदा हमारा है

दिल और दिमाग में हमेशा यह बात रखिये

दूसरों की मदद के लिए जज़्बात रखिये

सब चाहते हैं कि उनका अपना एक घर हो,

मैं चाहता हूं सबका ये सपना सच हो

हयात ले के चलो, कायनात ले के चलो

चलो तो सारे ज़माने को साथ ले के चलो

कुछ कह गए, कुछ सह गए, कुछ कहते-कहते रह गए

मैं सही तुम गलत के खेल में, ना जाने कितने रिश्ते ढह गए

सदन में बजट भाषण के दौरान मुकेश अग्निहोत्री ने सीएम जयराम पर निशाना लगाते हुए कहा कि आप अच्छे शायर हैं, आपने बड़ी देर से शायरी नहीं की. इसके जवाब में सीएम ने कहा कि मेरे पास बहुत से शेयर हैं. सीएम ने भी तंज करते हुए शायरी पढ़ी

मुझसे नफरत करने वाले भी कमाल का हुनर रखते हैं

मुझे देखना भी नहीं चाहते मगर नजर मुझ पर ही रखते हैं

रखते हैं जो औरों के लिए प्यार का जज्बा, वो टूटकर बिखरा नहीं करते

कुछ कमियां मुझमें थी, कुछ कमियों लोगों में थी

फर्क सिर्फ इतना था कि वो गिनते रहे, हम नजरअंदाज करते रहे

इन शायरियों के दौरान सदन में कभी वाह-वाह हुई तो कभी ठहाके लगे और कई बार सदन के सदस्यों ने मेज थपथपाकर शायरी को सराहा. अपने बजट भाषण के दौरान सीएम जयराम ठाकुर ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविताओं से लेकर स्वामी विविकानंद के विचार और संस्कृत के श्लोंकों का भी जिक्र किया.

शिमला: शनिवार को सीएम जयराम ठाकुर ने प्रदेश का बजट पेश किया. ये जयराम सरकार का चौथा बजट था. करीब 3 घंटे से लंबे बजट भाषण के दौरान सीएम जयराम ठाकुर ने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनवाई और आगामी वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कई घोषणाएं की. सीएम जयराम ठाकुर ने 50,192 करोड़ रुपये का बजट पेश किया.

सीएम का शायराना अंदाज

बजट भाषण के दौरान सीएम जयराम ठाकुर का शायराना अंदाज़ भी देखने को मिला. 3 घंटे से भी लंबे चले बजट भाषण के दौरान मुख्यमंत्री ने कई शेर पढ़े. इनमें से कुछ नई योजनाओं को लेकर थे तो कुछ समाज के विशेष तबके (किसान, महिला आदि) का जिक्र करते हुए थे. लेकिन इसी दौरान उनके कुछ शायराना तीर विरोधियों पर भी चलाए.

हार हो जाती है जब मान लिया जाता है,

जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है

भूख से या वबा (बीमारी) से मरना है,

यह फैसला आदमी को करना है

रोक सकता है तू लहरों को, कोशिश करके तो देख

लौटा सकता है तू तूफां को, कोशिश करके तो देख

मुसीबतें खड़ी हैं जो सीना ताने तेरे सामने

सर झकाएंगी एक दिन, कोशिश करके तो देख

हर बाधा से जीत रहे हम, मिलकर सपने सींच रहे हम

पीढ़ी दर पीढ़ी जन मन के तप का हासिल है,

ये मेरा हिमाचल है, ये अपना हिमाचल है

हिम्मत वाले पल में बदल देते हैं दुनिया को,

सोचने वाला दिल तो बैठा सोचा करता है

किसान का बेटा हूं खेती करना मेरा कर्म है

अपने साथ दूसरों का पेट भरना मेरा धर्म है

चीर के जमीन को उम्मीद के बीज बोता हूं

किसान हूं, सींचता हूं लहू से तब फसल देता हूं

तमाम दिन जो कड़ी धूप में झुलसते हैं

वही दरख्त मुसाफिर को छांव देते हैं

कर्तव्यों का बोध कराती अधिकारों का ज्ञान

शिक्षा से ही मिल सकता है सर्वोपरि सम्मान

मेरी मंज़िल मेरे करीब है, इसका मुझे अहसास है

गुमां नहीं मुझे इरादों पर अपने, ये मेरी सोच और हौसलों का विश्वास है

हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है

जिस तरफ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जाएगा

मंजिल पर सफलता का निशान चाहिए

होंठो पर खिलती हुई मुस्कान चाहिए

बहलने वाले नहीं हम छोटे से टुकड़े से

हमें तो पूरा का पूरा आसमान चाहिए

जब हौसला कर लिया ऊंची उड़ान का

फिर देखना फिजूल है कद आसमान का

रखते हैं जो औरों के लिए प्यार का जज़्बा

वो लोग कभी टूट कर बिखरा नहीं करते

लहू देकर तिरंगे की, बुलंदी को संवारा है

फरिश्ते तुम वतन के हो, तुम्हें सजदा हमारा है

दिल और दिमाग में हमेशा यह बात रखिये

दूसरों की मदद के लिए जज़्बात रखिये

सब चाहते हैं कि उनका अपना एक घर हो,

मैं चाहता हूं सबका ये सपना सच हो

हयात ले के चलो, कायनात ले के चलो

चलो तो सारे ज़माने को साथ ले के चलो

कुछ कह गए, कुछ सह गए, कुछ कहते-कहते रह गए

मैं सही तुम गलत के खेल में, ना जाने कितने रिश्ते ढह गए

सदन में बजट भाषण के दौरान मुकेश अग्निहोत्री ने सीएम जयराम पर निशाना लगाते हुए कहा कि आप अच्छे शायर हैं, आपने बड़ी देर से शायरी नहीं की. इसके जवाब में सीएम ने कहा कि मेरे पास बहुत से शेयर हैं. सीएम ने भी तंज करते हुए शायरी पढ़ी

मुझसे नफरत करने वाले भी कमाल का हुनर रखते हैं

मुझे देखना भी नहीं चाहते मगर नजर मुझ पर ही रखते हैं

रखते हैं जो औरों के लिए प्यार का जज्बा, वो टूटकर बिखरा नहीं करते

कुछ कमियां मुझमें थी, कुछ कमियों लोगों में थी

फर्क सिर्फ इतना था कि वो गिनते रहे, हम नजरअंदाज करते रहे

इन शायरियों के दौरान सदन में कभी वाह-वाह हुई तो कभी ठहाके लगे और कई बार सदन के सदस्यों ने मेज थपथपाकर शायरी को सराहा. अपने बजट भाषण के दौरान सीएम जयराम ठाकुर ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविताओं से लेकर स्वामी विविकानंद के विचार और संस्कृत के श्लोंकों का भी जिक्र किया.

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