शिमला: केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व राष्ट्रीय फेडरेशनों के आह्वान पर 26 नवंबर 2020 को मजदूरों व कर्मचारियों द्वारा केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी हड़ताल की जाएगी. इस दिन हिमाचल प्रदेश के सभी उद्योग व संस्थान बंद रहेंगे. हड़ताल को सफल बनाने के लिए इससे पूर्व ब्लॉक, जिला व राज्य स्तर पर ट्रेड यूनियनों व कर्मचारी फेडरेशनों की संयुक्त बैठकें व अधिवेशन होंगे.
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि 26 नवंबर को राष्ट्रीय आह्वान पर प्रदेश के सभी उद्योगों व संस्थानों में हड़ताल रहेगी. इस दिन सभी जिला, ब्लॉकों व स्थानीय स्तर पर प्रदर्शन होंगे. प्रदेश के लाखों मजदूर सड़कों पर उतरकर केंद्र की मोदी सरकार व प्रदेश सरकार की मजदूर व कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ हल्ला बोलेंगे.
विजेंद्र मेहरा ने कहा कि मोदी सरकार पूंजीपतियों के हित में कार्य कर रही है और मजदूर विरोधी फैसले ले रही है. पिछले सौ साल के अंतराल में बने 44 श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताएं अथवा लेबर कोड बनाना, इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. कोरोना काल का फायदा उठाते हुए मोदी सरकार के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश जैसी कई राज्य सरकारों ने आम जनता, मजदूरों व किसानों के लिए आपदाकाल को पूंजीपतियों व कॉरपोरेट्स के लिए अवसर में तब्दील कर दिया है.
सीटू प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि मजदूरों के 44 कानूनों को खत्म करने, सार्वजनिक क्षेत्र को बेचने के साथ ही किसान विरोधी तीन कानूनों को पारित करने से यह साबित हो गया है कि ये सरकार मजदूर, कर्मचारी व किसान विरोधी है. उन्होंने मांग की है कि मजदूरों का न्यूनतम वेतन इक्कीस हजार रुपये घोषित किया जाए. केंद्र व राज्य का एक समान वेतन घोषित किया जाए. साथ ही हाल ही में पारित किए गए तीनों कानून को रद्द किया जाए. किसानों की फसल के लिए स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशें लागू की जाएं.
आंगनबाड़ी, मिड डे मील, आशा व अन्य योजना कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए. नई शिक्षा नीति को वापस लिया जाए. मनरेगा में दो सौ दिन का रोजगार दिया जाए व राज्य सरकार द्वारा घोषित 275 रुपये न्यूनतम दैनिक वेतन लागू किया जाए.
श्रमिक कल्याण बोर्ड में मनरेगा व निर्माण मजदूरों का पंजीकरण सरल किया जाए. मजदूरों की पेंशन तीन हजार रुपये की जाए व उनके सभी लाभों में बढ़ोतरी की जाए. कॉन्ट्रैक्ट, फिक्स टर्म, आउटसोर्स व ठेका प्रणाली की जगह नियमित रोजगार दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट के निर्णयानुसार समान काम का समान वेतन दिया जाए.