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मुख्यमंत्री बाल सुपोषण योजना: 9 लाख बच्चों को मिलेगा स्वास्थ्य लाभ, 65 करोड़ का प्रावधान

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Published : Jun 20, 2022, 6:55 AM IST

मुख्यमंत्री बाल सुपोषण योजना (एमएमबीएसवाई) से बच्चों को गुणवत्तायुक्त (Nutrition Scheme) पोषण उपलब्ध करवा कर प्रदेश को कुपोषण से मुक्त करने में बड़ा कदम मानी जा रही है. राज्य सरकार द्वारा इस योजना के लिए लगभग 65 करोड़ का बजट प्रावधान किया है.

मुख्यमंत्री बाल सुपोषण योजना
मुख्यमंत्री बाल सुपोषण योजना

शिमला : मुख्यमंत्री बाल सुपोषण योजना (एमएमबीएसवाई) से बच्चों को गुणवत्तायुक्त (Nutrition Scheme) पोषण उपलब्ध करवा कर प्रदेश को कुपोषण से मुक्त करने में बड़ा कदम मानी जा रही है. राज्य सरकार द्वारा इस योजना के लिए लगभग 65 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया है. 6 माह से लेकर 6 वर्ष तक के चार लाख से अधिक बच्चों, 6 वर्ष से 10 वर्ष तक के 5 लाख से अधिक बच्चों, 3 लाख से अधिक किशोरियों और 94000 धात्री माताओं को लाभान्वित करेगी. योजना के अन्तर्गत 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को अतिरिक्त प्रोटीन युक्त भोजन उपलब्ध करवाने के अतिरिक्त कुपोषित बच्चों, धात्री माताओं और गर्भवती महिलाओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.

स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का लिया जाएगा सहयोग: इस योजना से जन्म के समय कम वजन वाले 14 हजार नवजात शिशुओं, 13335 उच्च जोखिम वाले गर्भधारण, 912 गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों और 5169 मध्यम कुपोषित बच्चों को लाभान्वित किया जाएगा. योजना के क्रियान्वयन में आशा वर्कर और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सेवाएं ली जाएंगी. जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों के लिए प्रतिमाह अंतिम शनिवार को बाल स्वास्थ्य क्लीनिक का आयोजन किया जाएगा. ऐसे नवजात शिशुओं को विटामिन-डी और आयरन ड्रॉप्स उपलब्ध करवाकर, इसकी कमी को पूरा किया जाएगा.

कुपोषण से बचाने की कवायद: एमएमबीएसवाई योजना का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं व नवजात शिशुओं में कुपोषण को दूर करने के लिए बच्चे के जन्म, प्रसव पूर्व और प्रसव के बाद लगभग 3 वर्ष तक बच्चे की स्वास्थ्य देखभाल और पौष्टिक आहार प्रदान करने में सहायता उपलब्ध करवाना है। इससे बच्चों की उचित स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित होगी और कुपोषण की समस्या से बचा जा सकेगा.इस योजना को वर्ष 2021-22 के दौरान मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 में बच्चे और मां के पोषण स्तर के दृष्टिगत कार्य योजना तैयार करने की घोषणा की थी, जिसे नीति आयोग के सहयोग से राज्य सरकार ने तैयार किया है

अभियान चलाए जाएंगे: योजना के अन्तर्गत महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से खाद्य वस्तुओं की खरीद के विकल्प प्रदान किए गए हैं. बच्चों को बाल्यकाल में होने वाली बीमारियों और कुपोषण की समस्या के समाधान के लिए प्रदेश में डायरिया नियंत्रण, निमोनिया नियंत्रण, एनीमिया मुक्त हिमाचल जैसे विशेष अभियान चलाए जाएंगे.

प्रोत्साहन राशि दी जाएगी: एमएमबीएसवाई में धात्री माताओं को स्तनपान करवाने और पूरक आहार शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिसके लिए उन्हें विशेष रूप से प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जाएगी. जन्म के समय कम वजन वाले कुपोषित शिशुओं के मामले में प्रत्येक किलो ग्राम वजन बढ़ने पर अभिभावक को प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी.

धात्री माताओं के लिए उचित प्रावधान: गर्भवती महिलाओं और स्तनपान करवाने वाली धात्री माताओं को स्तनपान और पोषण संबंधी परामर्श प्रदान करने का भी उचित प्रावधान किया गया है. इसके लिए ईसीडी 104 कॉल सेंटर को और अधिक प्रभावी बनाने, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान करवाने वाली धात्री माताओं को उचित जानकारी प्रदान करने के लिए इस कॉल सेंटर में पोषाहार परामर्शदाताओं की संख्या बढ़ाई गई, ताकि समय-समय पर गर्भवती महिलाओं और स्तनपान करवाने वाली माताओं को स्वास्थ्य देखभाल संबंधी विशेषज्ञ परामर्श प्रदान किया जा सके.

समय-समय पर होगी समीक्षा: एमएमबीएसवाई योजना का लक्ष्य न केवल बच्चों, गर्भवती और स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को ही इसमें शामिल करना है, बल्कि गर्भवती महिला के पति और परिवार के सदस्यों को भी इसमें शामिल किया जाएगा. योजना के सफल क्रियान्यवन के लिए चार स्तरीय निगरानी और पर्यवेक्षण प्रणाली भी स्थापित की जाएगी, जिसमें विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध करवाने के साथ-साथ सरकारी स्तर पर समीक्षा भी की जाएगी. योजना में डेटा पोर्टेबिलिटी और इंटरऑपरेबिलिटी के साथ लाभार्थियों का रिकॉर्ड रखने और उनकी ट्रैकिंग के लिए एक एप्लिकेशन को भी विकसित किया जाएगा.

ये भी पढ़ें : Garlic Production in Sirmaur: सिरमौरी लहसुन के दामों में गिरावट, तापमान बढ़ने से नहीं बढ़ पाया आकार

शिमला : मुख्यमंत्री बाल सुपोषण योजना (एमएमबीएसवाई) से बच्चों को गुणवत्तायुक्त (Nutrition Scheme) पोषण उपलब्ध करवा कर प्रदेश को कुपोषण से मुक्त करने में बड़ा कदम मानी जा रही है. राज्य सरकार द्वारा इस योजना के लिए लगभग 65 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया है. 6 माह से लेकर 6 वर्ष तक के चार लाख से अधिक बच्चों, 6 वर्ष से 10 वर्ष तक के 5 लाख से अधिक बच्चों, 3 लाख से अधिक किशोरियों और 94000 धात्री माताओं को लाभान्वित करेगी. योजना के अन्तर्गत 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को अतिरिक्त प्रोटीन युक्त भोजन उपलब्ध करवाने के अतिरिक्त कुपोषित बच्चों, धात्री माताओं और गर्भवती महिलाओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.

स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का लिया जाएगा सहयोग: इस योजना से जन्म के समय कम वजन वाले 14 हजार नवजात शिशुओं, 13335 उच्च जोखिम वाले गर्भधारण, 912 गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों और 5169 मध्यम कुपोषित बच्चों को लाभान्वित किया जाएगा. योजना के क्रियान्वयन में आशा वर्कर और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सेवाएं ली जाएंगी. जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों के लिए प्रतिमाह अंतिम शनिवार को बाल स्वास्थ्य क्लीनिक का आयोजन किया जाएगा. ऐसे नवजात शिशुओं को विटामिन-डी और आयरन ड्रॉप्स उपलब्ध करवाकर, इसकी कमी को पूरा किया जाएगा.

कुपोषण से बचाने की कवायद: एमएमबीएसवाई योजना का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं व नवजात शिशुओं में कुपोषण को दूर करने के लिए बच्चे के जन्म, प्रसव पूर्व और प्रसव के बाद लगभग 3 वर्ष तक बच्चे की स्वास्थ्य देखभाल और पौष्टिक आहार प्रदान करने में सहायता उपलब्ध करवाना है। इससे बच्चों की उचित स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित होगी और कुपोषण की समस्या से बचा जा सकेगा.इस योजना को वर्ष 2021-22 के दौरान मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 में बच्चे और मां के पोषण स्तर के दृष्टिगत कार्य योजना तैयार करने की घोषणा की थी, जिसे नीति आयोग के सहयोग से राज्य सरकार ने तैयार किया है

अभियान चलाए जाएंगे: योजना के अन्तर्गत महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से खाद्य वस्तुओं की खरीद के विकल्प प्रदान किए गए हैं. बच्चों को बाल्यकाल में होने वाली बीमारियों और कुपोषण की समस्या के समाधान के लिए प्रदेश में डायरिया नियंत्रण, निमोनिया नियंत्रण, एनीमिया मुक्त हिमाचल जैसे विशेष अभियान चलाए जाएंगे.

प्रोत्साहन राशि दी जाएगी: एमएमबीएसवाई में धात्री माताओं को स्तनपान करवाने और पूरक आहार शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिसके लिए उन्हें विशेष रूप से प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जाएगी. जन्म के समय कम वजन वाले कुपोषित शिशुओं के मामले में प्रत्येक किलो ग्राम वजन बढ़ने पर अभिभावक को प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी.

धात्री माताओं के लिए उचित प्रावधान: गर्भवती महिलाओं और स्तनपान करवाने वाली धात्री माताओं को स्तनपान और पोषण संबंधी परामर्श प्रदान करने का भी उचित प्रावधान किया गया है. इसके लिए ईसीडी 104 कॉल सेंटर को और अधिक प्रभावी बनाने, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान करवाने वाली धात्री माताओं को उचित जानकारी प्रदान करने के लिए इस कॉल सेंटर में पोषाहार परामर्शदाताओं की संख्या बढ़ाई गई, ताकि समय-समय पर गर्भवती महिलाओं और स्तनपान करवाने वाली माताओं को स्वास्थ्य देखभाल संबंधी विशेषज्ञ परामर्श प्रदान किया जा सके.

समय-समय पर होगी समीक्षा: एमएमबीएसवाई योजना का लक्ष्य न केवल बच्चों, गर्भवती और स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को ही इसमें शामिल करना है, बल्कि गर्भवती महिला के पति और परिवार के सदस्यों को भी इसमें शामिल किया जाएगा. योजना के सफल क्रियान्यवन के लिए चार स्तरीय निगरानी और पर्यवेक्षण प्रणाली भी स्थापित की जाएगी, जिसमें विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध करवाने के साथ-साथ सरकारी स्तर पर समीक्षा भी की जाएगी. योजना में डेटा पोर्टेबिलिटी और इंटरऑपरेबिलिटी के साथ लाभार्थियों का रिकॉर्ड रखने और उनकी ट्रैकिंग के लिए एक एप्लिकेशन को भी विकसित किया जाएगा.

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