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केंद्र ने हिमाचल की विदेशी एजेंसियों और खुले बाजार से लोन लिमिट की तय, सुक्खू सरकार की बढ़ी मुश्किलें! - पुरानी पेंशन योजना

केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश की विदेशी एजेंसियों से फंड लेने और खुले बाजार से लोन लेने की लिमिट तय कर दी है. जिससे सुक्खू सरकार की मुश्किलें आने वाले दिनों में बढ़ने वाली है. क्योंकि अगले तीन सालों में हिमाचल विदेशी एजेंसियों से केवल 2,944 करोड़ का फंड ले सकेगा. वहीं, खुले बाजारों से 4,259 करोड़ का ही लोन ले पाएगा.

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सुक्खू सरकार की बढ़ी मुश्किलें!
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Published : Jun 4, 2023, 9:27 PM IST

शिमला: केंद्र ने वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के लिए हिमाचल के विदेशी एजेंसियों से फंड लेने के साथ ही खुले बाजार से लोन लेने पर भी सीमा लगा दी है. हिमाचल अगले तीन सालों में विदेशी एजेंसियों से केवल 2,944 करोड़ का फंड ले सकेगा. यह सीमा नए प्रोजेक्टों के लिए रहेगी. इसी तरह साल हिमाचल खुले बाजार से केवल 4,259 करोड़ का ही लोन ले पाएगा. केंद्र सरकार के इस फैसले से हिमाचल की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं.

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा प्रदेश की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है. सरकार अपने संसाधन बढ़ाने पर फोकस कर रही है. केंद्र सरकार ने विदेशी फंडिंग एजेंसियों से फंड लेने के लिए हिमाचल पर लिमिट लगा दी है. केंद्र सरकार ने फंड के नए प्रस्तावों पर अधिकतम सीमा लगा दी है. अगले तीन सालों में हिमाचल विदेशी एजेंसियों से केवल 2,944 करोड़ के ही फंड ले सकेगा.

सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश के लिए बाहरी सहायता प्राप्त एजेंसियों के माध्यम से सहायता के नए प्रस्तावों पर अधिकतम सीमा निर्धारित की है. यह प्रतिबंध 2023-24 से 2025-26 तक तीन वर्षों के लिए लागू रहेगा. वित्तीय वर्ष 2025-26 की समाप्ति तक हिमाचल प्रदेश केंद्र सरकार से मात्र 2,944 करोड़ रुपये के प्रस्तावों की स्वीकृति के लिए पात्र होगा.

मुख्यमंत्री ने कहा पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के निर्णय से वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए उधार सीमा से 1,779 करोड़ रुपये की कटौती की गई है. इसके अतिरिक्त, खुले बाजार से उधार लेने की सीमा को गत वर्ष की तुलना में लगभग 5,500 करोड़ रुपये कम कर दिया गया है. इसी तरह दिसंबर 2023 तक प्रदेश सरकार को 4,259 करोड़ रुपये उधार लेने की अनुमति मिली है. साथ ही प्रदेश को लगभग 8,500 करोड़ रुपये के लिए अतिरिक्त अनुमति प्राप्त होने की भी उम्मीद है.

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा प्रदेश की वित्तीय स्थिति पूर्व भाजपा सरकार द्वारा विरासत में छोड़े गए 75,000 करोड़ रुपये के कर्ज और वर्तमान सरकार द्वारा पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने पर केंद्र सरकार की ओर से लगाए गए वित्तीय प्रतिबंधों के कारण ठीक नहीं है, इसके बावजूद राज्य सरकार सक्रिय रूप से संसाधन जुटाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है. राज्य सरकार ने अतिरिक्त राजस्व जुटाने के लिए कई कदम उठाए हैं. इनमें उन केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों की विद्युत परियोजनाओं में बड़ी हिस्सेदारी की मांग करना शामिल है, जिन्होंने अपनी लागत वसूल कर ली है.

मुख्यमंत्री ने कहा सरकार को शराब की दुकानों की नीलामी से 40 प्रतिशत अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हुआ है. राज्य सरकार खराब वित्तीय स्थिति के बावजूद विकास की गति को बनाए रखने के लिए प्रयास कर रही है. राज्य सरकार संसाधनों को बढ़ाने और यह सुनिश्चित कर रही है कि धन की कमी राज्य की प्रगति में बाधा न बने. इन चुनौतियों के बावजूद राज्य सरकार संसाधन जुटाने पर विशेष बल दे रही है.

राज्य सरकार का लक्ष्य उधार पर निर्भरता कम करना और राज्य को आत्मनिर्भर बनाना है. सरकार ने राज्य की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं. समाज के सभी वर्गों के सहयोग से सरकार का लक्ष्य अगले दस वर्षों के भीतर हिमाचल को देश का सबसे समृद्ध राज्य बनाना है.
ये भी पढ़ें: Free Electricity देनी है तो स्मार्ट मीटर लगाने का क्या औचित्य, बिजली बोर्ड के कर्मचारियों ने ही खड़े किए सवाल!

शिमला: केंद्र ने वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के लिए हिमाचल के विदेशी एजेंसियों से फंड लेने के साथ ही खुले बाजार से लोन लेने पर भी सीमा लगा दी है. हिमाचल अगले तीन सालों में विदेशी एजेंसियों से केवल 2,944 करोड़ का फंड ले सकेगा. यह सीमा नए प्रोजेक्टों के लिए रहेगी. इसी तरह साल हिमाचल खुले बाजार से केवल 4,259 करोड़ का ही लोन ले पाएगा. केंद्र सरकार के इस फैसले से हिमाचल की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं.

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा प्रदेश की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है. सरकार अपने संसाधन बढ़ाने पर फोकस कर रही है. केंद्र सरकार ने विदेशी फंडिंग एजेंसियों से फंड लेने के लिए हिमाचल पर लिमिट लगा दी है. केंद्र सरकार ने फंड के नए प्रस्तावों पर अधिकतम सीमा लगा दी है. अगले तीन सालों में हिमाचल विदेशी एजेंसियों से केवल 2,944 करोड़ के ही फंड ले सकेगा.

सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश के लिए बाहरी सहायता प्राप्त एजेंसियों के माध्यम से सहायता के नए प्रस्तावों पर अधिकतम सीमा निर्धारित की है. यह प्रतिबंध 2023-24 से 2025-26 तक तीन वर्षों के लिए लागू रहेगा. वित्तीय वर्ष 2025-26 की समाप्ति तक हिमाचल प्रदेश केंद्र सरकार से मात्र 2,944 करोड़ रुपये के प्रस्तावों की स्वीकृति के लिए पात्र होगा.

मुख्यमंत्री ने कहा पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के निर्णय से वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए उधार सीमा से 1,779 करोड़ रुपये की कटौती की गई है. इसके अतिरिक्त, खुले बाजार से उधार लेने की सीमा को गत वर्ष की तुलना में लगभग 5,500 करोड़ रुपये कम कर दिया गया है. इसी तरह दिसंबर 2023 तक प्रदेश सरकार को 4,259 करोड़ रुपये उधार लेने की अनुमति मिली है. साथ ही प्रदेश को लगभग 8,500 करोड़ रुपये के लिए अतिरिक्त अनुमति प्राप्त होने की भी उम्मीद है.

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा प्रदेश की वित्तीय स्थिति पूर्व भाजपा सरकार द्वारा विरासत में छोड़े गए 75,000 करोड़ रुपये के कर्ज और वर्तमान सरकार द्वारा पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने पर केंद्र सरकार की ओर से लगाए गए वित्तीय प्रतिबंधों के कारण ठीक नहीं है, इसके बावजूद राज्य सरकार सक्रिय रूप से संसाधन जुटाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है. राज्य सरकार ने अतिरिक्त राजस्व जुटाने के लिए कई कदम उठाए हैं. इनमें उन केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों की विद्युत परियोजनाओं में बड़ी हिस्सेदारी की मांग करना शामिल है, जिन्होंने अपनी लागत वसूल कर ली है.

मुख्यमंत्री ने कहा सरकार को शराब की दुकानों की नीलामी से 40 प्रतिशत अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हुआ है. राज्य सरकार खराब वित्तीय स्थिति के बावजूद विकास की गति को बनाए रखने के लिए प्रयास कर रही है. राज्य सरकार संसाधनों को बढ़ाने और यह सुनिश्चित कर रही है कि धन की कमी राज्य की प्रगति में बाधा न बने. इन चुनौतियों के बावजूद राज्य सरकार संसाधन जुटाने पर विशेष बल दे रही है.

राज्य सरकार का लक्ष्य उधार पर निर्भरता कम करना और राज्य को आत्मनिर्भर बनाना है. सरकार ने राज्य की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं. समाज के सभी वर्गों के सहयोग से सरकार का लक्ष्य अगले दस वर्षों के भीतर हिमाचल को देश का सबसे समृद्ध राज्य बनाना है.
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