शिमला: ओपीएस बहाली की गारंटी पर निर्णायक काम करने के बाद अब हिमाचल की सुखविंदर सिंह सरकार प्रियंका वाड्रा के एक और ऐलान को अमलीजामा पहनाने में जुट गई है. चुनाव से पूर्व सोलन में आयोजित रैली में कांग्रेस नेता प्रियंका वाड्रा ने ऐलान किया था कि हिमाचल में सत्ता मिलने पर हर साल एक लाख सरकारी नौकरियां दी जाएंगी. इस वादे को पहली ही कैबिनेट में पूरा किया जाएगा. सत्ता परिवर्तन के बाद हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सरकार ने पहली ही कैबिनेट में ओपीएस बहाली का फैसला लिया. उसके साथ ही महिलाओं को पंद्रह सौ रुपए प्रति माह देने के अलावा पहले साल एक लाख सरकारी नौकरियों की संभावना तलाश करने के लिए कैबिनेट सब-कमेटी का गठन किया गया है.
कैबिनेट मंत्री हर्षवर्धन चौहान नौकरियों की संभावना तलाशने वाली उपसमिति के मुखिया बनाए गए हैं. हर्षवर्धन चौहान की अगुवाई वाली कमेटी ने सोमवार को पहली बैठक की. इस बैठक में कमेटी के सदस्य व शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर मौजूद थे. एक अन्य सदस्य व राजस्व मंत्री जगत नेगी किन्नौर दौरे पर होने के कारण मीटिंग में शामिल नहीं हो पाए. कमेटी ने मीटिंग में आए वित्त विभाग, कार्मिक विभाग व श्रम विभाग के अफसरों से विभिन्न विभागों में खाली पदों का ब्यौरा मांगा है. अफसरों ने इसके लिए एक पखवाड़े का समय चाहा है. कमेटी के मुखिया हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि अब आगामी मीटिंग में 15 दिन बाद अफसरों की तरफ से रिपोर्ट मिलने पर होगी.
मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि कैसे ये पद भरे जाएं, इसका प्रारंभिक खाका तैयार किया जाएगा. कमेटी अपने सुझाव देगी और फिर कैबिनेट उस पर फैसला लेगी. हर्षवर्धन चौहान ने प्रदेश के विभिन्न विभागों, निगम व बोर्डों में खाली पड़े पदों की जानकारी मांगी है. विभिन्न विभाग इस जानकारी को जुटाकर कमेटी के पास भेजेंगे. कमेटी ये तय करेगी कि किस तरह से एक साल के अंतराल में अधिक से अधिक नौकरियां दी जाएं. कमेटी के मुखिया व सदस्य ये तय करेंगे कि किन विभागों में किस स्तर पर कैसे भर्ती करनी है. क्या सभी खाली पद एक साथ भरने हैं या फिर चरणबद्ध तरीके से भर्ती की जानी है. सरकार के पास कुछ विभागों की रिक्तियों को लेकर जानकारी पहले से ही मौजूद है.
पूर्व सरकार के समय में भी कुछ विभागों ने भर्ती प्रकिया शुरू की थी. इन विभागों में जलशक्ति व लोक निर्माण विभाग सहित शिक्षा विभाग शामिल हैं. कैबिनेट सब-कमेटी इन विभागों में तुरंत भरे जाने वाले पदों को छांट कर अलग करेगी. विभागों में खाली पदों के अलावा प्रदेश में कुछ एक्सर्टन एडिड प्रोजेक्ट्स भी चल रहे हैं. उनमें आउटसोर्स आधार पर भर्ती की जाएगी. केंद्र सरकार के प्रकल्पों के लिए भी आउटसोर्स आधार पर भर्ती का फार्मूला लागू किया जाएगा. वहीं, प्रारंभिक शिक्षा विभाग में होने वाली प्री-नर्सरी टीचर की भर्ती पर फैसला भी यही कैबिनेट सब-कमेटी करेगी. शिक्षा विभाग में पहले से चल रहे विभिन्न पदों की भर्ती के प्रस्ताव भी कैबिनेट सब-कमेटी ही देखेगी. चुनाव में कांग्रेस ने कुल दस गारंटियां दी थीं. उनमें हर साल एक लाख रोजगार का वादा शामिल है.
हिमाचल में अकेले सरकारी सेक्टर में हर साल एक लाख सरकारी नौकरियां संभव नहीं है. ऐसे में निजी सेक्टर व स्वरोजगार के अवसरों को भी जॉब में गिना जाएगा. सरकारी स्तर पर सुखविंदर सिंह गवर्नमेंट के पास पांच ऐसे विभाग हैं, जहां अधिकांश युवा नौकरी की संभावना देखते हैं. इन विभागों में शिक्षा, जलशक्ति, लोक निर्माण, पुलिस और वन विभाग शामिल हैं. पुलिस में कांस्टेबल भर्ती और वन विभाग में वन रक्षक के पदों सहित क्लास-थ्री के पद युवाओं की प्राथमिकता रहते हैं. फिलहाल स्थिति ये है कि प्रदेश के सबसे बड़े (कर्मचारियों के लिहाज से) विभाग में प्री-नर्सरी टीचर्स के कुल 4700 पद सृजित हैं. इन पदों को भरने के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जानी है, ये तय नहीं हुआ है. इसी तरह अरसे से हिमाचल में शिक्षा विभाग में टीजीटी और जेबीटी की भर्ती भी लंबित है.
आम जनता से जुड़े लोक निर्माण विभाग में मल्टीटास्क वर्कर और पैरा वर्कर की नियुक्तियां होनी हैं. मल्टीटास्क वर्कर व पैरा वर्कर के लोक निर्माण विभाग में करीब 1300 पद भरे जाने हैं. वहीं, वन विभाग में भी 1062 हेल्पर और कुक तैनात होने हैं. अकेले जलशक्ति विभाग में चार हजार नौकरियां दी जानी हैं. ये वो आंकड़े हैं, जो पहले से ही मौजूद हैं. अब कैबिनेट सब-कमेटी के पास जैसे ही सभी विभागों के खाली पदों का ब्यौरा आएगा, तभी रोडमैप तैयार होगा. सीएम सुखविंदर सिंह ने कमेटी को तीस दिन के भीतर रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है. देखना है कि कांग्रेस सरकार प्रियंका वाड्रा के इस ऐलान को कैसे पूरा करती है.
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