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स्वर्ग प्रवास पर गए बारहबीश के इष्ट देवता छीजा कलेश्वर, 1 माह तक बंद रहेंगे मंदिर के कपाट

Barhabise Isht Devta Chija Kaleshwar on Heaven Stay: हिमाचल प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर मान्यता है कि मकर संक्रांति के बाद देवी-देवता अपने स्वर्ग प्रवास दौरे पर चले जाते हैं. जिसके बाद से मंदिर में कोई भी शुभ काम मंदिर में नहीं किया जाता है. बाहरबीश क्षेत्र के इष्ट देवता साहेब छीज्जा कलेश्वर भी स्वर्ग प्रवास पर जा चुके हैं. जिसके चलते मंदिर के कपाट एक महीने के लिए बंद कर दिए गए हैं.

Barhabise Isht Devta Chija Kaleshwar on Heaven Stay
Barhabise Isht Devta Chija Kaleshwar on Heaven Stay
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 15, 2024, 12:44 PM IST

रामपुर: हिमाचल प्रदेश में आज भी पारंपरिक मान्यताओं को संजोकर रखा जाता है. आज भी यहां देव संस्कृति का विधिवत तरीके से निर्वहन किया जाता है. शायद इसलिए हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से पुकारा जाता है, क्योंकि हिमाचल के लोग देव कार्यक्रमों को पूरी निष्ठा के साथ मनाते हैं. वहीं, शिमला के मंदिरों के साथ-साथ ऊपरी शिमला, आउटर सिराज और किन्नौर जिले के देवी-देवता मकर संक्रांति के अवसर पर एक माह के लिए स्वर्ग प्रवास के लिए निकल जाते हैं.

देवताओं के स्वर्ग प्रवास पर जाने के बाद से यहां के मंदिर सूने पड़ गए हैं, क्योंकि अब से एक माह तक मंदिरों में न तो कोई शुभ कार्य होंगे और न ही कोई भी धार्मिक अनुष्ठान होगा. इस दौरान मंदिरों के कपाट एक महीने के लिए पूरी तरह से बंद रहेंगे. देव परंपरा के अनुसार मकर संक्रांति के दिन देवी-देवता स्वर्ग लोक को प्रस्थान करते हैं. सुबह-सुबह पक्षियों के चहचहाने से पहले ही लोग प्रात: वंदना कर अपने आराध्यों को विदाई देते हैं. जिसके बाद मंदिर के कपाट एक माह के लिए बंद कर दिए जाते हैं. इसके साथ ही अब ग्रामीण अपने इष्ट देवताओं को एक माह के लिए आकाश की ओर धूप और जल अर्पित करेंगे.

वहीं, बाहरबीश क्षेत्र के इष्ट देवता साहेब छीज्जा कलेश्वर भी स्वर्ग प्रवास पर जा चुके हैं. सुबह के समय देवता साहेब स्नान व पूजा अर्चना करने के बाद स्वर्ग प्रवास पर चले गए. अब एक महीने के बाद आने वाली संक्रांति में देवता स्वर्ग प्रवास से लौटेंगे. जिसके बाद मंदिर में कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. कहा जाता है कि इस दौरान देवता साहेब छीज्जा कलेश्वर साल भर में होने वाली घटनाओं को सुनाएंगे, जिसे फलादेश कहा जाता है.

ये भी पढे़ं: हिमाचल के इस गांव में 42 दिन तक बंद रहेंगे टीवी, साइलेंट रहेंगे मोबाइल फोन, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

रामपुर: हिमाचल प्रदेश में आज भी पारंपरिक मान्यताओं को संजोकर रखा जाता है. आज भी यहां देव संस्कृति का विधिवत तरीके से निर्वहन किया जाता है. शायद इसलिए हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से पुकारा जाता है, क्योंकि हिमाचल के लोग देव कार्यक्रमों को पूरी निष्ठा के साथ मनाते हैं. वहीं, शिमला के मंदिरों के साथ-साथ ऊपरी शिमला, आउटर सिराज और किन्नौर जिले के देवी-देवता मकर संक्रांति के अवसर पर एक माह के लिए स्वर्ग प्रवास के लिए निकल जाते हैं.

देवताओं के स्वर्ग प्रवास पर जाने के बाद से यहां के मंदिर सूने पड़ गए हैं, क्योंकि अब से एक माह तक मंदिरों में न तो कोई शुभ कार्य होंगे और न ही कोई भी धार्मिक अनुष्ठान होगा. इस दौरान मंदिरों के कपाट एक महीने के लिए पूरी तरह से बंद रहेंगे. देव परंपरा के अनुसार मकर संक्रांति के दिन देवी-देवता स्वर्ग लोक को प्रस्थान करते हैं. सुबह-सुबह पक्षियों के चहचहाने से पहले ही लोग प्रात: वंदना कर अपने आराध्यों को विदाई देते हैं. जिसके बाद मंदिर के कपाट एक माह के लिए बंद कर दिए जाते हैं. इसके साथ ही अब ग्रामीण अपने इष्ट देवताओं को एक माह के लिए आकाश की ओर धूप और जल अर्पित करेंगे.

वहीं, बाहरबीश क्षेत्र के इष्ट देवता साहेब छीज्जा कलेश्वर भी स्वर्ग प्रवास पर जा चुके हैं. सुबह के समय देवता साहेब स्नान व पूजा अर्चना करने के बाद स्वर्ग प्रवास पर चले गए. अब एक महीने के बाद आने वाली संक्रांति में देवता स्वर्ग प्रवास से लौटेंगे. जिसके बाद मंदिर में कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. कहा जाता है कि इस दौरान देवता साहेब छीज्जा कलेश्वर साल भर में होने वाली घटनाओं को सुनाएंगे, जिसे फलादेश कहा जाता है.

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