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हरा हिमाचल, खरा हिमाचल, देवभूमि में सरकारी ई-बसें, परिवहन विभाग के अफसर करते हैं ई-वाहनों में सफर - HRTC E BUSES

हिमाचल ग्रीन स्टेट बनने की राह पर तेजी से बढ़ रहा है. राज्य में सरकारी परिवहन विभाग में ई-बसों की खरीद हो रही है.

हिमाचल पथ परिवहन निगम की ई बसें
हिमाचल पथ परिवहन निगम की ई बसें (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 14, 2025, 9:06 AM IST

Updated : Jan 14, 2025, 10:36 AM IST

शिमला: कार्बन क्रेडिट पाने वाला एशिया का पहला राज्य हिमाचल प्रदेश अब ग्रीन स्टेट बनने की राह पर तेजी से बढ़ रहा है. राज्य में सरकारी परिवहन विभाग में ई-बसों की खरीद हो रही है. यहां परिवहन विभाग के अफसर डीजल व पेट्रोल गाड़ियों को छोड़कर एक साल से भी अधिक समय से ई-वाहनों यानी इलेक्ट्रिक गाड़ियों में सफर कर रहे हैं. इससे परिवहन विभाग को एक करोड़ रुपये से अधिक के पेट्रो पदार्थों के खर्च की बचत हुई है.

सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार इलेक्ट्रिल व्हीकल के प्रचलन को बढ़ावा दे रही है. ग्रीन कोरिडोर को विकसित किया गया है. अब तक 23 इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए गए हैं. राज्य में 41 और स्टेशन स्थापित किए जाने हैं. हिमाचल खुद को हरा हिमाचल, खरा हिमाचल बनाने की राह पर है. इसके लिए क्या-क्या उपाय किए जा रहे हैं, उनकी पड़ताल आगे की पंक्तियों में की जा रही है.

इलेक्ट्रिक बसें चलाने वाला देश का पहला पहाड़ी राज्य

हिमाचल प्रदेश में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन काफी पहले से किया जा रहा है. वर्ष 2016 में हिमाचल में इलेक्ट्रिक बस का संचालन करने का ट्रायल हुआ था. तब राज्य के परिवहन मंत्री जीएस बाली थे. आईएएस अफसर आरएन बत्ता ने ग्रीन एंड क्लीन ट्रांसपोर्ट अभियान के तहत इलेक्ट्रिक बसों के संचालन का प्रोजेक्ट बनाया था. उन्हें इसके लिए दुबई में बेस्ट इनोवेशन का अवार्ड भी दिया गया था.

अक्टूबर 2016 में मनाली में सबसे पहले इलेक्ट्रिक बस का ट्रायल किया गया था. एक बार बस चार्ज होने पर 200 किलोमीटर चल सकती थी. इसे चार्ज करने में अधिकतम पांच घंटे लगते थे. दरअसल, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने तत्कालीन हिमाचल सरकार को आदेश जारी किया था कि पर्यावरण संरक्षण के लिए रोहतांग में ई-बसों का संचालन किया जाए. उसके बाद ये प्रयास शुरू हुए थे. अब हिमाचल में ये अभियान जोर पकड़ चुका है और देश के सामने एक मिसाल के रूप में है.

हिमाचल में 3000 से अधिक ई-वाहन

हिमाचल सरकार ने प्रदेश को अगले साल यानी वर्ष 2026 तक ग्रीन एनर्जी स्टेट बनाने का लक्ष्य तय किया है. शुरुआत में वर्ष 2023 में परिवहन विभाग पूरी तरह से ई-व्हीकल पर शिफ्ट हुआ है. परिवहन निदेशालय के पास 19 इलेक्ट्रिक व्हीकल हैं. सभी अफसर ई-व्हीकल में चलते हैं. इससे एक करोड़ रुपये से अधिक के पेट्रोल पदार्थों के खर्च की बचत हुई है. इन गाड़ियों को चार्ज करने के लिए प्रति किलोमीटर महज 90 पैसे खर्च आता है.

वाहन सिर्फ एक घंटे में चार्ज हो जाता है. पूरी तरह से चार्ज होने के बाद ई-कार कम से कम 250 किलोमीटर का सफर तय करती है. राज्य के सरकारी बेड़े में देखें तो 185 ई-व्हीकल हैं. इसके अलावा निजी इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या 3299 के करीब है. ये संख्या लगातार बढ़ रही है. ई-टू व्हीलर की संख्या इनमें से 2444 है. वहीं, हिमाचल पथ परिवहन निगम ने हाल ही में 300 के करीब ई-बसें खरीदने की प्रक्रिया शुरू की है.

परिवहन निदेशालय के आंकड़ों को देखें तो हिमाचल में 2444 ई-टू व्हीलर सहित 87 ई-बसें, 13 ई-रिक्शा, 43 मैक्सी कैब, 44 मोपेड, 288 कारें भी हैं. वर्ष 2017 में हिमाचल में ई-वाहनों की संख्या केवल 15 थी. आठ साल में ही ये संख्या 3299 पहुंच गई है. वर्ष 2022 में एक ही साल में टोटल रजिस्टर्ड ई-वाहनों की संख्या 1007 थी. इसी प्रकार 2023 में ये संख्या 1128 हुई और फिर 2024 में राज्य में कुल 526 ई-वाहन रजिस्टर्ड हुए.

हिमाचल के पास 3.21 लाख करोड़ की वन संपदा

हिमाचल को ग्रीन स्टेट बनाने में यहां की वन संपदा का भी बड़ा योगदान है. हिमाचल की वन संपदा 3.21 लाख करोड़ रुपये की है. उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश एशिया का पहला राज्य है, जिसे कार्बन क्रेडिट मिल चुका है. वर्ष 2014-15 में वीरभद्र सिंह सरकार के समय हिमाचल को कार्बन क्रेडिट के तौर पर विश्व बैंक से 1.93 करोड़ रुपये की इनामी राशि मिल चुकी है.

हिमाचल प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 68.16 प्रतिशत क्षेत्र वन वर्गीकृत क्षेत्र है. ये क्षेत्र 37 हजार 986 वर्ग किलोमीटर बनता है. हिमाचल प्रदेश का वन क्षेत्र निरंतर बढ़ रहा है. वर्ष 2019 से 2021 के बीच हिमाचल के वन क्षेत्र में .06 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के अनुसार हिमाचल प्रदेश के घने वन देश के मैदानी राज्यों के लिए फेफड़ों का काम करते हैं. हिमाचल में हर साल वन क्षेत्र बढ़ाने के लिए करोड़ों पौधे रोपे जाते हैं. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है "राज्य ने वनों को सुरक्षित रखा है. वनों के वैज्ञानिक दोहन की अनुमति मिलने से हिमाचल को सालाना चार हजार करोड़ रुपये तक की आय हो सकती है."

इस तरह देखा जाए तो इलेक्ट्रिक वाहन पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो रहे हैं. वहीं, हिमाचल की वन संपदा भी देश के अन्य हिस्सों के लिए फेफड़ों का काम कर रही है. पर्यावरणविद् कुलभूषण उपमन्यु का कहना है "बदलते विश्व में पर्यावरण की चुनौतियां बहुत विकट हैं. ऐसे में वन संपदा बढ़ाने के साथ-साथ पेट्रो पदार्थों का विकल्प भी देखना जरूरी है. ग्रीन एंड क्लीन ट्रांसपोर्ट ऐसा ही विकल्प है."

ये भी पढ़ें: सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कई विभागों की ली समीक्षा बैठक, अधिकारियों को दिए ये निर्देश

ये भी पढ़ें: 'हिमाचल में 7 सौर परियोजनाओं का होगा आवंटन, 200 पंचायतों को बनाया जाएगा हरित पंचायत'

शिमला: कार्बन क्रेडिट पाने वाला एशिया का पहला राज्य हिमाचल प्रदेश अब ग्रीन स्टेट बनने की राह पर तेजी से बढ़ रहा है. राज्य में सरकारी परिवहन विभाग में ई-बसों की खरीद हो रही है. यहां परिवहन विभाग के अफसर डीजल व पेट्रोल गाड़ियों को छोड़कर एक साल से भी अधिक समय से ई-वाहनों यानी इलेक्ट्रिक गाड़ियों में सफर कर रहे हैं. इससे परिवहन विभाग को एक करोड़ रुपये से अधिक के पेट्रो पदार्थों के खर्च की बचत हुई है.

सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार इलेक्ट्रिल व्हीकल के प्रचलन को बढ़ावा दे रही है. ग्रीन कोरिडोर को विकसित किया गया है. अब तक 23 इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए गए हैं. राज्य में 41 और स्टेशन स्थापित किए जाने हैं. हिमाचल खुद को हरा हिमाचल, खरा हिमाचल बनाने की राह पर है. इसके लिए क्या-क्या उपाय किए जा रहे हैं, उनकी पड़ताल आगे की पंक्तियों में की जा रही है.

इलेक्ट्रिक बसें चलाने वाला देश का पहला पहाड़ी राज्य

हिमाचल प्रदेश में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन काफी पहले से किया जा रहा है. वर्ष 2016 में हिमाचल में इलेक्ट्रिक बस का संचालन करने का ट्रायल हुआ था. तब राज्य के परिवहन मंत्री जीएस बाली थे. आईएएस अफसर आरएन बत्ता ने ग्रीन एंड क्लीन ट्रांसपोर्ट अभियान के तहत इलेक्ट्रिक बसों के संचालन का प्रोजेक्ट बनाया था. उन्हें इसके लिए दुबई में बेस्ट इनोवेशन का अवार्ड भी दिया गया था.

अक्टूबर 2016 में मनाली में सबसे पहले इलेक्ट्रिक बस का ट्रायल किया गया था. एक बार बस चार्ज होने पर 200 किलोमीटर चल सकती थी. इसे चार्ज करने में अधिकतम पांच घंटे लगते थे. दरअसल, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने तत्कालीन हिमाचल सरकार को आदेश जारी किया था कि पर्यावरण संरक्षण के लिए रोहतांग में ई-बसों का संचालन किया जाए. उसके बाद ये प्रयास शुरू हुए थे. अब हिमाचल में ये अभियान जोर पकड़ चुका है और देश के सामने एक मिसाल के रूप में है.

हिमाचल में 3000 से अधिक ई-वाहन

हिमाचल सरकार ने प्रदेश को अगले साल यानी वर्ष 2026 तक ग्रीन एनर्जी स्टेट बनाने का लक्ष्य तय किया है. शुरुआत में वर्ष 2023 में परिवहन विभाग पूरी तरह से ई-व्हीकल पर शिफ्ट हुआ है. परिवहन निदेशालय के पास 19 इलेक्ट्रिक व्हीकल हैं. सभी अफसर ई-व्हीकल में चलते हैं. इससे एक करोड़ रुपये से अधिक के पेट्रोल पदार्थों के खर्च की बचत हुई है. इन गाड़ियों को चार्ज करने के लिए प्रति किलोमीटर महज 90 पैसे खर्च आता है.

वाहन सिर्फ एक घंटे में चार्ज हो जाता है. पूरी तरह से चार्ज होने के बाद ई-कार कम से कम 250 किलोमीटर का सफर तय करती है. राज्य के सरकारी बेड़े में देखें तो 185 ई-व्हीकल हैं. इसके अलावा निजी इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या 3299 के करीब है. ये संख्या लगातार बढ़ रही है. ई-टू व्हीलर की संख्या इनमें से 2444 है. वहीं, हिमाचल पथ परिवहन निगम ने हाल ही में 300 के करीब ई-बसें खरीदने की प्रक्रिया शुरू की है.

परिवहन निदेशालय के आंकड़ों को देखें तो हिमाचल में 2444 ई-टू व्हीलर सहित 87 ई-बसें, 13 ई-रिक्शा, 43 मैक्सी कैब, 44 मोपेड, 288 कारें भी हैं. वर्ष 2017 में हिमाचल में ई-वाहनों की संख्या केवल 15 थी. आठ साल में ही ये संख्या 3299 पहुंच गई है. वर्ष 2022 में एक ही साल में टोटल रजिस्टर्ड ई-वाहनों की संख्या 1007 थी. इसी प्रकार 2023 में ये संख्या 1128 हुई और फिर 2024 में राज्य में कुल 526 ई-वाहन रजिस्टर्ड हुए.

हिमाचल के पास 3.21 लाख करोड़ की वन संपदा

हिमाचल को ग्रीन स्टेट बनाने में यहां की वन संपदा का भी बड़ा योगदान है. हिमाचल की वन संपदा 3.21 लाख करोड़ रुपये की है. उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश एशिया का पहला राज्य है, जिसे कार्बन क्रेडिट मिल चुका है. वर्ष 2014-15 में वीरभद्र सिंह सरकार के समय हिमाचल को कार्बन क्रेडिट के तौर पर विश्व बैंक से 1.93 करोड़ रुपये की इनामी राशि मिल चुकी है.

हिमाचल प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 68.16 प्रतिशत क्षेत्र वन वर्गीकृत क्षेत्र है. ये क्षेत्र 37 हजार 986 वर्ग किलोमीटर बनता है. हिमाचल प्रदेश का वन क्षेत्र निरंतर बढ़ रहा है. वर्ष 2019 से 2021 के बीच हिमाचल के वन क्षेत्र में .06 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के अनुसार हिमाचल प्रदेश के घने वन देश के मैदानी राज्यों के लिए फेफड़ों का काम करते हैं. हिमाचल में हर साल वन क्षेत्र बढ़ाने के लिए करोड़ों पौधे रोपे जाते हैं. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है "राज्य ने वनों को सुरक्षित रखा है. वनों के वैज्ञानिक दोहन की अनुमति मिलने से हिमाचल को सालाना चार हजार करोड़ रुपये तक की आय हो सकती है."

इस तरह देखा जाए तो इलेक्ट्रिक वाहन पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो रहे हैं. वहीं, हिमाचल की वन संपदा भी देश के अन्य हिस्सों के लिए फेफड़ों का काम कर रही है. पर्यावरणविद् कुलभूषण उपमन्यु का कहना है "बदलते विश्व में पर्यावरण की चुनौतियां बहुत विकट हैं. ऐसे में वन संपदा बढ़ाने के साथ-साथ पेट्रो पदार्थों का विकल्प भी देखना जरूरी है. ग्रीन एंड क्लीन ट्रांसपोर्ट ऐसा ही विकल्प है."

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Last Updated : Jan 14, 2025, 10:36 AM IST
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