शिमला: कोरोना संकट के बीच एक विश्वविद्यालय के शिक्षकों और कर्मचारियों को कई महीनों से वेतन नहीं मिल रहा है. लंबे समय से कर्मचारी इस मुद्दे को विश्विद्यालय के सामने उठाते आ रहे हैं, लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है. अपनी समस्या को लेकर कर्मचारी निजी विनियामक आयोग के पास भी पहुंचे और अपनी परेशानी आयोग के समक्ष रखी.
कर्मचारी और शिक्षकों का कहना है कि निजी विश्वविद्यालय प्रशासन उन्हें बीते आठ माह से वेतन नहीं दे रहा है. वेतन ना मिलने से उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वेतन ना मिलने से परिवार चलाना भी मुश्किल हो गया है. अपनी परेशानी को विश्वविद्यालय प्रबंधन के सामने की बार उठा चुके है, लेकिन फिर भी समस्या का कुछ भी समाधान नहीं निकल पाया.
विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि उनके पास पैसे ही नहीं है, लेकिन छात्रों से ट्यूशन फीस लेने के बाद भी वेतन नहीं दिया जा रहा हैं. यूनिवर्सिटी में लैब अटेंडेंट के पद पर कार्यरत कर्मचारी का कहना है कि उनकी माता एक कैंसर पेशेंट है और पिता हार्ट पेशेंट हैं. उनकी दवाइयों के लिए उन्हें पैसों की जरूरत है, लेकिन सैलरी ना मिलने के कारण वे माता पिता की दवाइयों का खर्च नहीं उठा पा रहे हैंं.
वहीं, प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग के सदस्य एसपी कटयाल का कहना है कि सीएम हेल्पलाइन के माध्यम से उनके पास निजी विश्वविद्यालय के शिक्षकों की शिकायत आई थी. उसी मामले की सुनवाई में शिक्षक अपना पक्ष रखने के लिए मंगलवार को उनके पास आए थे. आयोग की ओर से विश्वविद्यालय प्रबंधन को यह निर्देश जारी किए गए हैं कि वह 3 माह का वेतन शिक्षकों और कर्मचारियों को जारी किया जाए, लेकिन इसके लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से कुछ समय मांगा गया था.
इसके बाद आयोग ने उन्हें 20 दिन का समय कर्मचारियों और शिक्षकों का वेतन जारी करने के लिए दिया है. उन्होंने कहा कि 12 करोड़ के करीब फीस निजी विश्वविद्यालय छात्रों से ले चुके हैं, ऐसे में उन्हें कर्मचारियों और शिक्षकों को 3 माह का वेतन जारी करना होगा.
वहीं, विश्वविद्यालय के एकाउंट ऑफिसर को भी सारी डिटेल के साथ आयोग ने अगली सुनवाई के दिन बुलाया है. 20 दिनों की तय सीमा के बाद कर्मचारियों और शिक्षकों को तीन माह का वेतन जारी ना होने पर एक्ट के अनुसार कार्रवाई यूनिवर्सिटी प्रबंधन पर होगी.