ठियोग: हिमाचल में सेब सीजन शुरू हो गया है. बड़ी संख्या में बागवान अपनी सेब की पेटियों के साथ सेब मंडियों में पहुंच रहे हैं, लेकिन इस बीच बागवानों, आढ़तियों और प्रशासन के बीच सेब खरीदने बेचने को लेकर तनातनी शुरू हो गई है. वजन के हिसाब से सेब बेचने और उसकी पैकिंग को लेकर चली समस्या के बीच ठियोग की पराला मंडी में व्यापारियों ने किलो के हिसाब से सेब बेचने से मना कर दिया.
हड़ताल पर आढ़ती: जानकारी के मुताबिक बागवानी मंत्री के आदेशों के बाद बुधवार ऊपरी शिमला की सबसे बड़ी सेब मंडी में आढ़तियों ने सेब कारोबार बंद कर दिया. इससे पहले एसडीएम ठियोग के नेतृत्व में एक टीम ने सेब मंडी में प्रति किलो के हिसाब से सेब की बिक्री न करने वाले 38 आढ़तियों के चालान काटे. प्रशासन की इस कार्रवाई से अढ़ाती भड़क गए और दोपहर बाद बैठक कर मंडी में सेब को खरीदना बेचना बंद कर दिया.
प्रशासन और सरकार पर आढ़तियों का गुस्सा: सेब मंडी के आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान हरीश ठाकुर ने बताया कि जब तक मंडी में सेब कम आ रहा था, आढ़ती किलो के हिसाब से खरीद कर रहे थे. मगर अब मंडी में बड़ी मात्रा में सेब आने से यह व्यवस्था जारी रखना संभव नहीं है. मंडी में इतनी जगह नहीं है कि किलो के हिसाब से सेब खरीदा बेचा जा सके. उन्होंने बताया की एक ट्रक में बहुत से बागवान सेब लेकर आते हैं. जिसे अलग अलग तोलकर खरीदना संभव नहीं है.
'बिना व्यवस्था के सेब तोलना मुश्किल' प्रधान हरीश ठाकुर ने कहा वह लोग किलो के हिसाब से सेब खरीदने बेचने के विरोधी नहीं हैं, लेकिन पहले सरकार व्यवस्था को दुरुस्त करे तभी यह संभव है. उन्होंने आरोप लगाया की कुछ नेता सरकार पर जबरन दबाव बना रहे हैं, जबकि मंडियों में अभी व्यवस्था बनाने की जरूरत है. हरीश ठाकुर ने बताया कि मंगलवार को ढली मंडी में भी आढ़तियों से बदसलूकी की गई थी.
प्रशासन की सेब आढ़तियों पर कार्रवाई: वहीं, प्रशासन से प्राप्त जानकारी के अनुसार बागवानी मंत्री की बैठक के बाद अधिकारियों को मंडी का दौरा कर प्रति किलो के हिसाब से सेब खरीद न करने वाले आढ़तियों के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे. बुधवार को जब एसडीएम ठियोग सुरेंद्र मोहन ने सेब मंडी का दौरा किया गया तो सभी आढ़ती इस नियम का उल्लंघन करते पाए गए. इसलिए मंडी में काम कर रहे आढ़तियों के चालान नियमों के अनुसार काटे गए.
बागवानों ने भी फैसले को बताया गलत: इस दौरान बागवानों ने भी सरकार के इस फैसले को गलत बताया और कहा कि यूनिवर्सल कार्टन के बिना सेब को तोलना बहुत मुश्किल है. इसमें बागवानों को भी परेशानी है और व्यापारियों को भी. इतना ज्यादा सेब तोलने में बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में इस साल पुराने सिस्टम से ही सेब बेचे जाए. जब अगले साल यूनिवर्सल कार्टन आएगा तो उस हिसाब से सेब बेचने की व्यवस्था की जाए.
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