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हिमाचल प्रदेश में आढ़तियों की हड़ताल खत्म, सीएम सुक्खू के आश्वासन के बाद लिया फैसला, अब सेब बेचने के 2 विकल्प

हिमाचल प्रदेश में आढ़तियों की हड़ताल खत्म हो गई है. अब मंडियों में दो विकल्प सेब बेचने के लिए रहेंगे. एक विकल्प के तहत वजन के हिसाब से सेब बेचा जा सकेगा जबकि दूसरे के तहत पहले की तरह पेटियों के हिसाब के मंडियों में सेब बेचने की भी व्यवस्था होगी. पढ़ें पूरी खबर... (Arhtiyas strike ends in Himachal Pradesh)

Arhtiyas strike ends in Himachal Pradesh
हिमाचल प्रदेश आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष हरीश ठाकुर
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Published : Jul 20, 2023, 10:28 PM IST

Updated : Jul 20, 2023, 10:35 PM IST

शिमला: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के हस्तक्षेप के बाद आढ़तियों ने अपनी हड़ताल खत्म कर दी है. मुख्यमंत्री के साथ बैठक के बाद आढ़तियों ने हड़ताल खत्म करने का ऐलान किया. बैठक में वजन के हिसाब से सेब बेचने की अनिवार्यता खत्म करने का फैसला लिया गया. यह तय किया गया कि मंडियों में दो विकल्प सेब बेचने के लिए रहेंगे. एक विकल्प के तहत वजन के हिसाब से सेब बेचा जा सकेगा जबकि दूसरे के तहत पहले की तरह पेटियों के हिसाब के मंडियों में सेब बेचने की भी व्यवस्था होगी. हालांकि यह बागवानों पर निर्भर करेगा कि वे कौन से विकल्प अपनाते हैं.

मुख्यमंत्री के साथ देर शाम को आढ़तियों की बैठक हुई, जिसमें आढ़तियों ने सेब को किलो के हिसाब से बेचने की अनिवार्यता खत्म करने की मांग रखी. आढ़तियों का तर्क था कि उनके पास इतनी जगह नहीं है कि वे सेब को वजन के हिसाब से बेचें. इसी के चलते आढ़ती 2 दिन से हड़ताल कर रहे थे. इसके बाद आज सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ इन आढ़तियों की बैठक हुई, जिसमें सरकार ने वजन के हिसाब से सेब बेचने की अनिवार्यता खत्म कर दी है.

बागवान वजन के हिसाब से सेब बेचने की कर रहे मांग: प्रदेश में वजन के हिसाब से सेब बेचने की बागवान लंबे अरसे मांग कर रहे हैं. बागवान और किसान संगठन पिछले कई सालों से इसको लेकर आंदोलन भी कर रहे थे. राज्य में सत्ता में आई सुखविंदर सुक्खू की सरकार ने इस मांग को मानते हुए वजन के हिसाब से सीजन से सेब बेचने का फैसला लिया था, लेकिन आढ़ती सरकार के इस आदेश के मुताबिक सेब नहीं बेच रहे थे.

ये भी पढ़ें- Jagat Singh Negi : 'वजन के हिसाब से ही बिकेगा सेब, नियम का उल्लंघन करने वाले आढ़तियों का लाइसेंस करेंगे रद्द'

आढ़तियों का तर्क था कि सरकार का यह फैसला सही नहीं है, क्योंकि मंडियों में सेब को वजन के हिसाब से बेचना संभव नहीं है. ताजा विवाद की शुरुआत बीते दिन पराला मंडी से हुई, जब कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) शिमला के अधिकारी, एसडीएम ठियोग, तहसीलदार ठियोग के साथ मंडी में निरीक्षण के लिए पहुंचे. मंडी में आढती बिना वजन के ही सेब बेच रहे थे. इस पर अधिकारियों ने आढ़तियों के चालान काट डाले. इससे आढ़ती बुरी तरह से भड़क गए और हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया. इसके बाद शिमला सहित कुछ अन्य मंडियों में हड़ताल पर जाने का फैसला लिया. गुरुवार को इन मंडियों में आढ़तियों ने सेब नहीं बेचे.

हिमाचल प्रदेश आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष हरीश ठाकुर ने कहा है कि मुख्यमंत्री के साथ उनकी बातचीत सफल रही है. मुख्यमंत्री का सकारात्मक रवैया रहा है. उन्होंने कहा कि मंडियों में दोनों सेब बेचने के लिए दोनों विकल्प देने का सरकार ने फैसला लिया है. उन्होंने इस फैसले के लिए सरकार मुख्यमंत्री का आभार जताया है और कहा है कि कल से मंडियों में सेब बेचने का काम सुचारू रूप से चलेगा.

ये भी पढ़ें- Viral Video: हिमाचल प्रदेश के शिमला में पुलिस के सामने ITBP के जवान की पिटाई, कसूर बस ये था

शिमला: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के हस्तक्षेप के बाद आढ़तियों ने अपनी हड़ताल खत्म कर दी है. मुख्यमंत्री के साथ बैठक के बाद आढ़तियों ने हड़ताल खत्म करने का ऐलान किया. बैठक में वजन के हिसाब से सेब बेचने की अनिवार्यता खत्म करने का फैसला लिया गया. यह तय किया गया कि मंडियों में दो विकल्प सेब बेचने के लिए रहेंगे. एक विकल्प के तहत वजन के हिसाब से सेब बेचा जा सकेगा जबकि दूसरे के तहत पहले की तरह पेटियों के हिसाब के मंडियों में सेब बेचने की भी व्यवस्था होगी. हालांकि यह बागवानों पर निर्भर करेगा कि वे कौन से विकल्प अपनाते हैं.

मुख्यमंत्री के साथ देर शाम को आढ़तियों की बैठक हुई, जिसमें आढ़तियों ने सेब को किलो के हिसाब से बेचने की अनिवार्यता खत्म करने की मांग रखी. आढ़तियों का तर्क था कि उनके पास इतनी जगह नहीं है कि वे सेब को वजन के हिसाब से बेचें. इसी के चलते आढ़ती 2 दिन से हड़ताल कर रहे थे. इसके बाद आज सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ इन आढ़तियों की बैठक हुई, जिसमें सरकार ने वजन के हिसाब से सेब बेचने की अनिवार्यता खत्म कर दी है.

बागवान वजन के हिसाब से सेब बेचने की कर रहे मांग: प्रदेश में वजन के हिसाब से सेब बेचने की बागवान लंबे अरसे मांग कर रहे हैं. बागवान और किसान संगठन पिछले कई सालों से इसको लेकर आंदोलन भी कर रहे थे. राज्य में सत्ता में आई सुखविंदर सुक्खू की सरकार ने इस मांग को मानते हुए वजन के हिसाब से सीजन से सेब बेचने का फैसला लिया था, लेकिन आढ़ती सरकार के इस आदेश के मुताबिक सेब नहीं बेच रहे थे.

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आढ़तियों का तर्क था कि सरकार का यह फैसला सही नहीं है, क्योंकि मंडियों में सेब को वजन के हिसाब से बेचना संभव नहीं है. ताजा विवाद की शुरुआत बीते दिन पराला मंडी से हुई, जब कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) शिमला के अधिकारी, एसडीएम ठियोग, तहसीलदार ठियोग के साथ मंडी में निरीक्षण के लिए पहुंचे. मंडी में आढती बिना वजन के ही सेब बेच रहे थे. इस पर अधिकारियों ने आढ़तियों के चालान काट डाले. इससे आढ़ती बुरी तरह से भड़क गए और हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया. इसके बाद शिमला सहित कुछ अन्य मंडियों में हड़ताल पर जाने का फैसला लिया. गुरुवार को इन मंडियों में आढ़तियों ने सेब नहीं बेचे.

हिमाचल प्रदेश आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष हरीश ठाकुर ने कहा है कि मुख्यमंत्री के साथ उनकी बातचीत सफल रही है. मुख्यमंत्री का सकारात्मक रवैया रहा है. उन्होंने कहा कि मंडियों में दोनों सेब बेचने के लिए दोनों विकल्प देने का सरकार ने फैसला लिया है. उन्होंने इस फैसले के लिए सरकार मुख्यमंत्री का आभार जताया है और कहा है कि कल से मंडियों में सेब बेचने का काम सुचारू रूप से चलेगा.

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Last Updated : Jul 20, 2023, 10:35 PM IST
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