ETV Bharat / state

चुनाव से पहले HPCA मामले में क्लीन हुए अनुराग ठाकुर, SC के आदेश के बाद केस खत्म

भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर की अध्यक्षता वाली हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के खिलाफ बने मामले खत्म हो गए हैं. लोकसभा चुनाव से पहले अनुराग एचपीसीए केस में क्लीन होकर निकल गए. हालांकि ये कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हुई है, लेकिन अनुराग के लिए ये राहत की बात है.

डिजाइन फोटो
author img

By

Published : Mar 19, 2019, 10:48 AM IST

Updated : Mar 19, 2019, 12:09 PM IST

शिमलाः भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर की अध्यक्षता वाली हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के खिलाफ बने मामले खत्म हो गए हैं. लोकसभा चुनाव से पहले अनुराग एचपीसीए केस में क्लीन होकर निकल गए. हालांकि ये कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हुई है, लेकिन अनुराग के लिए ये राहत की बात है.

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि मामले को खत्म किया जाए. कारण ये था कि हिमाचल में जयराम सरकार ने सत्ता में आने के बाद फैसला लिया था कि राजनीतिक आधार पर बने केस खत्म किए जाएंगे. कैबिनेट के इस फैसले से सुप्रीम कोर्ट को अवगत करवाया गया. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2018 में इस मामले में एफआईआर खारिज करने के आदेश दिए. उसके बाद जरूरी औपचारिकताएं पूरी हुई और अब केस खत्म हो गया है.

धर्मशाला में ट्रायल कोर्ट के समक्ष सारी औपचारिकताएं आई थी. ट्रायल कोर्ट यानि स्पेशल जज धर्मशाला की अदालत ने सारी औपचारिकताओं का अवलोकन किया और राज्य सरकार को एचपीसीए के खिलाफ केस खत्म करने के आदेश दिए.

एचपीसीए के खिलाफ मामले हिमाचल में राजनीतिक रूप से चर्चित हुए. वीरभद्र सिंह के शासनकाल में एचपीसीए पर कुछ मामले दर्ज किए गए. ये मामले एचपीसीए को नियमों के खिलाफ लाभ पहुंचाने से संबंधित थे. इन मामलों में एचपीसीए अध्यक्ष अनुराग ठाकुर सहित पूर्व आईएएस दीपक सानन भी घेरे गए थे. आरोप था कि एचपीसीए को धर्मशाला में नियमों के खिलाफ जमीन लीज पर दी गई. फिर सरकारी जमीन से पेड़ काटने और सरकारी ईमारत को गिराने के मामले दर्ज हुए थे. अनुराग ठाकुर व एचपीसीए ने हिमाचल हाईकोर्ट सहित सुप्रीम कोर्ट में ये केस लड़े.


कानूनी पचड़ों में उलझी थी एचपीसीए

अनुराग ठाकुर वर्ष 2000 में हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बने थे. वर्ष 2016 के मई महीने में वे बीसीसीआई के चीफ बने. इससे पहले वे बीसीसीआई के संयुक्त सचिव थे. अनुराग ठाकुर ने एचपीसीए के अध्यक्ष रहते हुए धर्मशाला में क्रिकेट मैदान बनाने का सपना देखा था. मैदान के साथ ही हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने वहां पेविलियन होटल का निर्माण किया.

इसी बीच, एचपीसीए पर होटल के निर्माण के लिए सरकारी भूमि से 400 से अधिक पेड़ अवैध तौर पर काटने का आरोप लगा. हिमाचल में वीरभद्र सिंह नेतृत्व में कांग्रेस सरकार सत्ता में आई तो 29 नवंबर 2013 को इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई. इस मामले में एचपीसीए अध्यक्ष अनुराग ठाकुर, सचिव विशाल मरवाह, पीआरओ संजय शर्मा, तत्कालीन तहसीलदार जगदीश राम, फारेस्ट रेंज ऑफिसर विधि चंद, कानूनगो कुलदीप कुमार और पटवारी जगतराम को भी आरोपी बनाया गया.

एचपीसीए ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और कहा कि ये मामला सिविल नेचर का है, लेकिन तत्कालीन सरकार व सीएम वीरभद्र सिंह की निजी दिलचस्पी से इस मामले को क्रिमिनल बनाया गया. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अनुराग ठाकुर व एचपीसीए अब क्लीन हो गए हैं.

शिमलाः भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर की अध्यक्षता वाली हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के खिलाफ बने मामले खत्म हो गए हैं. लोकसभा चुनाव से पहले अनुराग एचपीसीए केस में क्लीन होकर निकल गए. हालांकि ये कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हुई है, लेकिन अनुराग के लिए ये राहत की बात है.

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि मामले को खत्म किया जाए. कारण ये था कि हिमाचल में जयराम सरकार ने सत्ता में आने के बाद फैसला लिया था कि राजनीतिक आधार पर बने केस खत्म किए जाएंगे. कैबिनेट के इस फैसले से सुप्रीम कोर्ट को अवगत करवाया गया. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2018 में इस मामले में एफआईआर खारिज करने के आदेश दिए. उसके बाद जरूरी औपचारिकताएं पूरी हुई और अब केस खत्म हो गया है.

धर्मशाला में ट्रायल कोर्ट के समक्ष सारी औपचारिकताएं आई थी. ट्रायल कोर्ट यानि स्पेशल जज धर्मशाला की अदालत ने सारी औपचारिकताओं का अवलोकन किया और राज्य सरकार को एचपीसीए के खिलाफ केस खत्म करने के आदेश दिए.

एचपीसीए के खिलाफ मामले हिमाचल में राजनीतिक रूप से चर्चित हुए. वीरभद्र सिंह के शासनकाल में एचपीसीए पर कुछ मामले दर्ज किए गए. ये मामले एचपीसीए को नियमों के खिलाफ लाभ पहुंचाने से संबंधित थे. इन मामलों में एचपीसीए अध्यक्ष अनुराग ठाकुर सहित पूर्व आईएएस दीपक सानन भी घेरे गए थे. आरोप था कि एचपीसीए को धर्मशाला में नियमों के खिलाफ जमीन लीज पर दी गई. फिर सरकारी जमीन से पेड़ काटने और सरकारी ईमारत को गिराने के मामले दर्ज हुए थे. अनुराग ठाकुर व एचपीसीए ने हिमाचल हाईकोर्ट सहित सुप्रीम कोर्ट में ये केस लड़े.


कानूनी पचड़ों में उलझी थी एचपीसीए

अनुराग ठाकुर वर्ष 2000 में हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बने थे. वर्ष 2016 के मई महीने में वे बीसीसीआई के चीफ बने. इससे पहले वे बीसीसीआई के संयुक्त सचिव थे. अनुराग ठाकुर ने एचपीसीए के अध्यक्ष रहते हुए धर्मशाला में क्रिकेट मैदान बनाने का सपना देखा था. मैदान के साथ ही हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने वहां पेविलियन होटल का निर्माण किया.

इसी बीच, एचपीसीए पर होटल के निर्माण के लिए सरकारी भूमि से 400 से अधिक पेड़ अवैध तौर पर काटने का आरोप लगा. हिमाचल में वीरभद्र सिंह नेतृत्व में कांग्रेस सरकार सत्ता में आई तो 29 नवंबर 2013 को इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई. इस मामले में एचपीसीए अध्यक्ष अनुराग ठाकुर, सचिव विशाल मरवाह, पीआरओ संजय शर्मा, तत्कालीन तहसीलदार जगदीश राम, फारेस्ट रेंज ऑफिसर विधि चंद, कानूनगो कुलदीप कुमार और पटवारी जगतराम को भी आरोपी बनाया गया.

एचपीसीए ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और कहा कि ये मामला सिविल नेचर का है, लेकिन तत्कालीन सरकार व सीएम वीरभद्र सिंह की निजी दिलचस्पी से इस मामले को क्रिमिनल बनाया गया. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अनुराग ठाकुर व एचपीसीए अब क्लीन हो गए हैं.

चुनाव से पहले एचपीसीए मामले में क्लीन हुए अनुराग ठाकुर, एससी के आदेश के बाद केस खत्म
शिमला। भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर की अध्यक्षता वाली हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के खिलाफ बने मामले खत्म हो गए हैं। लोकसभा चुनाव से पहले अनुराग एचपीसीए केस में क्लीन होकर निकल गए। हालांकि ये कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हुई है, लेकिन अनुराग के लिए ये राहत की बात है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि मामले को खत्म किया जाए। कारण ये था कि हिमाचल में जयराम सरकार ने सत्ता में आने के बाद फैसला लिया था कि राजनीतिक आधार पर बने केस खत्म किए जाएंगे। कैबिनेट के इस फैसले से सुप्रीम कोर्ट को अवगत करवाया गया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2018 में इस मामले में एफआईआर खारिज करने के आदेश दिए। उसके बाद जरूरी औपचारिकताएं पूरी हुई और अब केस खत्म हो गया है। धर्मशाला में ट्रायल कोर्ट के समक्ष सारी औपचारिकताएं आई थीं। ट्रायल कोर्ट यानी स्पेशल जज धर्मशाला की अदालत ने सारी औपचारिकताओं का अवलोकन किया और राज्य सरकार को एचपीसीए के खिलाफ केस खत्म करने के आदेश दिए। 
एचपीसीए के खिलाफ मामले हिमाचल में राजनीतिक रूप से चर्चित हुए। वीरभद्र सिंह के शासनकाल में एचपीसीए पर कुछ मामले दर्ज किए गए। ये मामले एचपीसीए को नियमों के खिलाफ लाभ पहुंचाने से संबंधित थे। इन मामलों में एचपीसीए अध्यक्ष अनुराग ठाकुर सहित पूर्व आईएएस दीपक सानन भी घेरे गए थे। आरोप था कि एचपीसीए को धर्मशाला में नियमों के खिलाफ जमीन लीज पर दी गई। फिर सरकारी जमीन से पेड़ काटने और सरकारी ईमारत को गिराने के मामले दर्ज हुए थे। अनुराग ठाकुर व एचपीसीए ने हिमाचल हाईकोर्ट सहित सुप्रीम कोर्ट में ये केस लड़े।
बॉक्स
कानूनी पचड़ों में उलझी थी एचपीसीए  
अनुराग ठाकुर वर्ष 2000 में हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बने थे। वर्ष 2016 के मई महीने में वे बीसीसीआई के चीफ बने। इससे पहले वे बीसीसीआई के संयुक्त सचिव थे। अनुराग ठाकुर ने एचपीसीए के अध्यक्ष रहते हुए धर्मशाला में क्रिकेट मैदान बनाने का सपना देखा था। मैदान के साथ ही हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने वहां पैवेलियन होटल का निर्माण किया। इसी बीच, एचपीसीए पर होटल के निर्माण के लिए सरकारी भूमि से चार सौ से अधिक पेड़ अवैध तौर पर काटने का आरोप लगा। हिमाचल में वीरभद्र सिंह नेतृत्व में कांग्रेस सरकार सत्ता में आई तो 29 नवंबर 2013 को इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई। इस मामले में एचपीसीए अध्यक्ष अनुराग ठाकुर, सचिव विशाल मरवाह, पीआरओ संजय शर्मा, तत्कालीन तहसीलदार जगदीश राम, फारेस्ट रेंज ऑफिसर विधि चंद, कानूनगो कुलदीप कुमार और पटवारी जगतराम को भी आरोपी बनाया गया। एचपीसीए ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और कहा कि ये मामला सिविल नेचर का है परन्तु तत्कालीन सरकार व सीएम वीरभद्र सिंह की निजी दिलचस्पी से इस मामले को क्रिमिनल बनाया गया। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अनुराग ठाकुर व एचपीसीए अब क्लीन हो गए हैं। 

Last Updated : Mar 19, 2019, 12:09 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.