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हिमाचल को बचाना है: अपने 'अंदर के रावण' को जलाना काफी नहीं है - अंदर के रावण

सभी को दशहरे की शुमकामनाएं. जलते रावण को देख तालियां पीट लीजिए या इस दशहरे पर 'अपने अंदर के रावण' को मार लिया ये सोच कर खुश होइए, लेकिन देवभूमि के भविष्य को बर्बाद कर रहे नशे के दानव को नजरअंदाज मत कीजिए.

हिमाचल को बचाना है
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Published : Oct 8, 2019, 7:12 PM IST

Updated : Oct 8, 2019, 7:30 PM IST

ईटीवी भारत डेस्क: आज हम बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मना रहे हैं. हर साल मनाते हैं और हर साल 'अंदर के रावण' को मार कर आस-पास के रावणों से मुंह मोड़ लेते हैं. मान लिया आपने अपने अंदर के रावण को खत्म कर दिया, लेकिन हमारा समाज जो रोज राक्षसी होता जा रहा है उसे राम कौन बनाएगा?

देवभूमि में नशे का दानव हर रोज और खतरनाक होता जा रहा है. कई बचपन, कई जवानियां, कई घर उजाड़ चुका है और हम न जाने कैसे आश्वस्त हैं कि ये एक दिन हमें या हमारे किसी अपने को नुकसान नहीं पहुंचाएगा? हमें ऐसे समाज में घुटन क्यों नहीं होती जहां बच्चों के टिफिन बॉक्स में नशे का सामान मिलता हो, जहां जवानी नशे की लत पूरी करने के लिए अपने घर में डाका डालती है, जहां घर का जिम्मेदार एक इंजेक्शन की आगोश में मौत की नींद सो जाता है? ऐसे समाज में हम पुतले को फूंक कर नाच रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि इस आग में सारी बुराइयां जल गईं होंगीं. आंखें खोलिए वो आपके साथ ही झूम रही हैं और आमादा हैं इस समाज के राम को खत्म करने पर.

स्कूली वर्दी में भांग के नशे में झूम रहे लड़के को तो देखा होगा? हाथ में चिट्टे से भरी सिंरिंज जेब में नशे की गोलियां लेकर सड़क पर पड़ी 20 साल के लड़के की लाश देखी है? एक मजबूर मां को अपने नशे के आगे हार चुके बेटे की जिंदगी बचाने के लिए चिट्टा खरीद रही है ये सुना है? ये हमारे उसी समाज का सच है जो आज अच्छाई की जीत मना रहा है. मौजूदा हालातों को देखते हुए हमारा भविष्य कितना अंधेरा है ये सोच के डर लगना चाहिए.

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की लिखी ये पंक्तियां शायद हमें आइना दिखाती हैं


यदि तुम्हारे घर के
एक कमरे में आग लगी हो
तो क्या तुम
दूसरे कमरे में सो सकते हो?
यदि तुम्हारे घर के एक कमरे में
लाशें सड़ रहीं हों
तो क्या तुम
दूसरे कमरे में प्रार्थना कर सकते हो?
यदि हाँ
तो मुझे तुम से
कुछ नहीं कहना है.

सिर्फ महसूस करने भर से कुछ नहीं होता ये सभी जानते हैं. सिर्फ इस बुराई से बचना काफी है, इसे मिटाने के लिए प्रयास करने होंगे. हम किसी को गलत राह पर जाने से रोक सकते हैं. हम किसी भटके को सही रास्ते पर ला सकते हैं. इस बुराई को बढ़ावा देकर मुनाफा कमाने वालों को सलाखों के पीछे पहुंचा सकते हैं. ईटीवी भारत अपनी मुहिम 'हिमाचल को बचाना है' के माध्यम से नशे के दानव से लड़ने के लिए समाज को जागरुक करने का एक प्रयास कर रहा है. अब अपने अंदर के रावण को मारना काफी नहीं, समाज में फैल रहे जहर को मिटाने के लिए अपने अंदर के राम को भी जगाना होगा.

ईटीवी भारत डेस्क: आज हम बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मना रहे हैं. हर साल मनाते हैं और हर साल 'अंदर के रावण' को मार कर आस-पास के रावणों से मुंह मोड़ लेते हैं. मान लिया आपने अपने अंदर के रावण को खत्म कर दिया, लेकिन हमारा समाज जो रोज राक्षसी होता जा रहा है उसे राम कौन बनाएगा?

देवभूमि में नशे का दानव हर रोज और खतरनाक होता जा रहा है. कई बचपन, कई जवानियां, कई घर उजाड़ चुका है और हम न जाने कैसे आश्वस्त हैं कि ये एक दिन हमें या हमारे किसी अपने को नुकसान नहीं पहुंचाएगा? हमें ऐसे समाज में घुटन क्यों नहीं होती जहां बच्चों के टिफिन बॉक्स में नशे का सामान मिलता हो, जहां जवानी नशे की लत पूरी करने के लिए अपने घर में डाका डालती है, जहां घर का जिम्मेदार एक इंजेक्शन की आगोश में मौत की नींद सो जाता है? ऐसे समाज में हम पुतले को फूंक कर नाच रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि इस आग में सारी बुराइयां जल गईं होंगीं. आंखें खोलिए वो आपके साथ ही झूम रही हैं और आमादा हैं इस समाज के राम को खत्म करने पर.

स्कूली वर्दी में भांग के नशे में झूम रहे लड़के को तो देखा होगा? हाथ में चिट्टे से भरी सिंरिंज जेब में नशे की गोलियां लेकर सड़क पर पड़ी 20 साल के लड़के की लाश देखी है? एक मजबूर मां को अपने नशे के आगे हार चुके बेटे की जिंदगी बचाने के लिए चिट्टा खरीद रही है ये सुना है? ये हमारे उसी समाज का सच है जो आज अच्छाई की जीत मना रहा है. मौजूदा हालातों को देखते हुए हमारा भविष्य कितना अंधेरा है ये सोच के डर लगना चाहिए.

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की लिखी ये पंक्तियां शायद हमें आइना दिखाती हैं


यदि तुम्हारे घर के
एक कमरे में आग लगी हो
तो क्या तुम
दूसरे कमरे में सो सकते हो?
यदि तुम्हारे घर के एक कमरे में
लाशें सड़ रहीं हों
तो क्या तुम
दूसरे कमरे में प्रार्थना कर सकते हो?
यदि हाँ
तो मुझे तुम से
कुछ नहीं कहना है.

सिर्फ महसूस करने भर से कुछ नहीं होता ये सभी जानते हैं. सिर्फ इस बुराई से बचना काफी है, इसे मिटाने के लिए प्रयास करने होंगे. हम किसी को गलत राह पर जाने से रोक सकते हैं. हम किसी भटके को सही रास्ते पर ला सकते हैं. इस बुराई को बढ़ावा देकर मुनाफा कमाने वालों को सलाखों के पीछे पहुंचा सकते हैं. ईटीवी भारत अपनी मुहिम 'हिमाचल को बचाना है' के माध्यम से नशे के दानव से लड़ने के लिए समाज को जागरुक करने का एक प्रयास कर रहा है. अब अपने अंदर के रावण को मारना काफी नहीं, समाज में फैल रहे जहर को मिटाने के लिए अपने अंदर के राम को भी जगाना होगा.

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Himachal ko Bachana hai


Conclusion:
Last Updated : Oct 8, 2019, 7:30 PM IST
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