ETV Bharat / state

सीमेंट विवाद सुलझा पर दे गया करोड़ों के जख्म, ट्रक ऑपरेटरों और सरकार को 400 करोड़ का नुकसान

हिमाचल में सीमेंट फैक्ट्रियों का विवाद हल हो गया है, मगर इससे सभी पक्षों को नुकसान हुआ है. अडानी समूह को तो इस विवाद से क्षति हुई है, वहीं ट्रक ऑपरेटरों को भी कमाई से हाथ धोना पड़ा. इस विवाद में ट्रक ऑपरेटरों को ही करीब 260 करोड़ का नुकसान हुआ है, जबकि सरकार को भी 150 करोड़ रुपए के राजस्व से हाथ से धोना पड़ा है. (400 crore loss due to cement dispute) (CEMENT PLANTS WILL OPEN IN HIMACHAL)

CEMENT PLANTS WILL OPEN IN HIMACHAL
CEMENT PLANTS WILL OPEN IN HIMACHAL
author img

By

Published : Feb 20, 2023, 8:03 PM IST

Updated : Feb 20, 2023, 9:15 PM IST

हिमाचल में सीमेंट फैक्ट्रियों का विवाद सुलझ गया

शिमला: हिमाचल में सीमेंट फैक्ट्रियों का विवाद भले ही सुलझ गया हो, लेकिन इस विवाद से अडानी समूह के साथ-साथ राज्य सरकार और ट्रक ऑपरेटरों को भारी नुकसान हुआ है. फैक्ट्रियां पर दो माह से अधिक समय तक ताले लटके रहे. इससे जहां इन फैक्ट्रियों पर सीधे तौर पर काम में लगे ट्रक ऑपरेटरों की कमाई चली गई, वहीं अप्रत्यक्ष तौर पर इस पर निर्भर लोगों की रोजी-रोटी का जरिया छीन गया था. इस विवाद में ट्रक ऑपरेटरों को ही करीब 260 करोड़ का नुकसान हुआ है, जबकि सरकार को भी 150 करोड़ रुपए के राजस्व से हाथ से धोना पड़ा है.

दोनों फैक्ट्रियों से करीब 7 हजार परिवार सीधे तौर पर प्रभावित- दोनों बड़ी फैक्टिरियों में करीब 7 हजार ट्रक सीधे रूप से काम से जुड़े हुए हैं. ये ट्रक क्लिंकर और सीमेंट ढुलाई करते हैं. काम बंद होने से इन 7 हजार ट्रकों से जुड़े परिवारों की कमाई खत्म हो गई. इसके साथ ही आसपास में दुकानें, ढाबे, सहित छोटा मोटा काम चलने वालों के लिए भी मंदी आ गई. दरअसल इन लोगों के ग्राहक सीमेंट के काम से जुड़े लोग हैं. इसके अलावा करीब 2000 लोग सीधे इन फैक्ट्रियों से रोजगार हासिल कर रहे हैं. इनका भी रोजगार चला गया था. हालांकि सीमेंट फैक्ट्रियों के 143 कर्मचारियों को अडानी सीमेंट के नजदीकी फैक्ट्रियों में ट्रांसफर करने के आदेश दिए थे. कर्मचारियों को नालागढ़, रोपड़ और बठिंडा सहित अन्य प्लांटस में शिफ्ट किया जा रहा है, मगर अधिकतर फैक्ट्रियों के बंद होने से अब घर पर बेरोजगार हो गए.

दाड़लाघाट के ट्रक ऑपरेटरों को करीब 130 करोड़ का नुकसान- दाड़लाघाट की अंबुजा सीमेंट कंपनी क्लिंकर भी निकालती है. इसकी क्लिंकर की सालाना क्षमता 5.2 मिट्रिक टन जबकि सीमेंट तैयार करने की क्षमता 3.1 मिट्रिक टन सालाना है. अंबुजा कंपनी में ट्रक ऑपरेटरों की आठ सोसायटियां काम करती हैं, जिनके तहत करीब 3000 ट्रक रजिस्ट्रड हैं. इसके अलाला करीब 700 कर्मचारी सीधे तौर पर कंपनी में कार्यरत हैं. दाड़लाघाट से किरतपुर रूट पर सोयाटियों के करीब 1000 ट्रक रोजाना चलते हैं, जिससे इस पूरे रूट पर ढाबे वालों, चाय वालों, वर्कशाप और अन्य काम करने वालों को रोजगार मिला हुआ था जोकि फैक्ट्रियों पर ताले लगने से बंद हो गया था.

दाड़लाघाट से निकलने वाला अधितकर क्लिंकर अंबुजा के रोपड़, भंटिंडा, नालागढ़ और रूड़की के दूसरे प्लांट को ट्रकों से ले जाया जाता है, जहां इससे सीमेंट तैयार किया जाता है. दाड़लाघाट से निकलने वाला 80 से 85 फीसदी क्लिंकर इन प्लांट को भेजा जाता है, जहां इससे सीमेंट वहां तैयार होता है, जबकि 15 से 20 फीसदी क्लिंकर से दाड़लाघाट में सीमेंट बनाया जाता है. इस तरह बाहर के सीमेंट प्लाटों को क्लिंकर ले जाने और और वापसी में रोपड़ से सीमेंट तैयार करने में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल ट्रकों में लाया जाता रहा है. यहां के ट्रक ऑपरेटर 80 से 85 हजार मिट्रिक टन माल हर माह उनके ट्रक ढोते हैं, लेकिन फैक्ट्रियां बंद होने से यह काम बंद हो गया. इससे यहां काम कर रहे सभी ट्रक ऑपरेटरों को करीब 130 करोड़ का नुकसान होने का अनुमान है. ट्रक ऑपरेटरों को ट्रकों की किश्तें पेंडिंग पड़ गई थीं और ड्राइवर-क्लीनर की सैलरी निकालना मुश्किल हो गया था.

बरमाणा के फैक्ट्री का भी करीब 135 करोड़ का नुकसान- बिलासपुर के बरमाणा की एससी फैक्ट्री के बंद होने से भी करोड़ों का नुकसान हुआ. इस फैक्ट्री की सीमेंट उत्पादन की कुल क्षमता 4.4 मिट्रिक टन प्रति वर्ष है. इसके अलावा यह 3.3 मिट्रिक टन क्लिंकर भी निकालता है. बरमाणा सीमेंट कंपनी से करीब 4 हजार ट्रक जुड़े हुए हैं. इसके अलावा करीब 1000 कर्मचारी यहां पर प्लांट में कार्यरत है. बरमाणा में एसीसी कंपनी सीमेंट ही तैयार करती है. यहां से सीमेंट पंजाब, चंडीगढ़, पंचकुला सहित हिमाचल के विभिन्न हिस्सों में भेजा जाता है, रोजाना करीब 800 से 1000 गाड़ियां इसमें इस्तेमाल होती हैं. इसके अलावा कुछ क्लिंकर भी यहां से कंपनी के नालागढ़ प्लांट को ले जाया जाता है. एक अनुमान के मुताबिक ट्रक ऑपरेटरों का भी करीब 130-135 करोड़ का नुकसान हुआ है.

फैक्ट्रियों पर अप्रत्यक्ष तौर पर निर्भर इन लोगों की भी चली गई थी आजीविका- दो माह से अधिक समय तक फैक्ट्रियां बंद होने से इन पर अप्रत्यक्ष तौर पर निर्भर लोगों की आजीविका भी खत्म हो गई थी. सीमेंट ढोने वाले ट्रकों पर पेट्रोल पंप, वर्कशाप, टायर पंक्चर के अलावा ढाबे आदि का कारोबार निर्भर है. बिलासपुर से किरतपुर रूट पर ट्रक चलते हैं, इस पूरे रूट पर कारोबार बुरी तरह से प्रभावित रहा. पेट्रोल पंप पर काम नहीं रह गया था. वर्कशॉप जो ट्रकों पर निर्भर होती थी वो नहीं चल रही थीं. स्पेयर पार्ट वाले, टायर पंक्चर से लेकर मैकेनिक का काम करने वाला हर व्यक्ति बेरोजगार हो गया था, इससे एक विकट स्थिति बन गई थी.

बाघल लैंड लूजर ट्रक ट्रांसपोर्ट को-आपरेटिव सोसायटी के पूर्व अध्यक्ष रामकृष्ण शर्मा का कहना है कि अडानी समूह पहले 6 रुपए भाड़ा दे रहा था, लेकिन आज ट्रक ऑपरेटर काफी बेहतर स्थिति में है. हालांकि इस रेट से 6 से 7 लाख रुपए का सालान लॉस हो गया था. लेकिन आम जनता और प्रदेश की जनता के हित्त में हम यह भाड़ा मान रहे हैं. ट्रक ऑपरेटरों को हर साल भाड़े में हाइक देने की बात भी बैठक में अडानी समूह की ओर से मान ली गई है. उनका कहना हैकि सीमेंट फैक्ट्रियां बंद होने से हजारों ट्रक ऑपरेटरों को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा है. इसके अलावा अप्रत्यक्ष रूप से इससे जुड़े हजारों परिवार की रोजी रोटी भी इससे प्रभावित हुई है.

सरकार को भी करीब 150 करोड़ के राजस्व से हाथ धोना पड़ा- राज्य सरकार को भी सीमेंट विवाद से नुकसान हुआ है. सरकार को टैक्स के तौर पर सीधे करीब 150 करोड़ का नुकसान फैक्ट्रियां बंद होने से हुआ है. इसके अलावा अन्य काराबार पर लगने वाले जीएसटी से भी सरकार को क्षति हुई है. सीमेंट प्लांट बंद होने से राज्य में सरकारी कामकाज पर भी असर पड़ा. ये दोनों कंपनियां सरकार के विभिन्न विभागों को सीमेंट सप्लाई करती हैं. ऐसे में विभिन्न विभागों के कामकाज पर इसका असर पड़ा. इसके अलावा लोगों को भी सीमेंट की कमी का सामना करना पड़ा. अब विवाद सुलझने के बाद फिर से फैक्ट्रियों में सीमेंट तैयार होने लगेगा, इससे कुछ दिनों में स्थिति सामान्य हो जाएगी.

ये भी पढ़ें: Adani Cement Plant Dispute: अडानी समूह और ट्रक ऑपरेटर्स के बीच बनी बात, कल से खुलेंगे दोनों सीमेंट प्लांट

हिमाचल में सीमेंट फैक्ट्रियों का विवाद सुलझ गया

शिमला: हिमाचल में सीमेंट फैक्ट्रियों का विवाद भले ही सुलझ गया हो, लेकिन इस विवाद से अडानी समूह के साथ-साथ राज्य सरकार और ट्रक ऑपरेटरों को भारी नुकसान हुआ है. फैक्ट्रियां पर दो माह से अधिक समय तक ताले लटके रहे. इससे जहां इन फैक्ट्रियों पर सीधे तौर पर काम में लगे ट्रक ऑपरेटरों की कमाई चली गई, वहीं अप्रत्यक्ष तौर पर इस पर निर्भर लोगों की रोजी-रोटी का जरिया छीन गया था. इस विवाद में ट्रक ऑपरेटरों को ही करीब 260 करोड़ का नुकसान हुआ है, जबकि सरकार को भी 150 करोड़ रुपए के राजस्व से हाथ से धोना पड़ा है.

दोनों फैक्ट्रियों से करीब 7 हजार परिवार सीधे तौर पर प्रभावित- दोनों बड़ी फैक्टिरियों में करीब 7 हजार ट्रक सीधे रूप से काम से जुड़े हुए हैं. ये ट्रक क्लिंकर और सीमेंट ढुलाई करते हैं. काम बंद होने से इन 7 हजार ट्रकों से जुड़े परिवारों की कमाई खत्म हो गई. इसके साथ ही आसपास में दुकानें, ढाबे, सहित छोटा मोटा काम चलने वालों के लिए भी मंदी आ गई. दरअसल इन लोगों के ग्राहक सीमेंट के काम से जुड़े लोग हैं. इसके अलावा करीब 2000 लोग सीधे इन फैक्ट्रियों से रोजगार हासिल कर रहे हैं. इनका भी रोजगार चला गया था. हालांकि सीमेंट फैक्ट्रियों के 143 कर्मचारियों को अडानी सीमेंट के नजदीकी फैक्ट्रियों में ट्रांसफर करने के आदेश दिए थे. कर्मचारियों को नालागढ़, रोपड़ और बठिंडा सहित अन्य प्लांटस में शिफ्ट किया जा रहा है, मगर अधिकतर फैक्ट्रियों के बंद होने से अब घर पर बेरोजगार हो गए.

दाड़लाघाट के ट्रक ऑपरेटरों को करीब 130 करोड़ का नुकसान- दाड़लाघाट की अंबुजा सीमेंट कंपनी क्लिंकर भी निकालती है. इसकी क्लिंकर की सालाना क्षमता 5.2 मिट्रिक टन जबकि सीमेंट तैयार करने की क्षमता 3.1 मिट्रिक टन सालाना है. अंबुजा कंपनी में ट्रक ऑपरेटरों की आठ सोसायटियां काम करती हैं, जिनके तहत करीब 3000 ट्रक रजिस्ट्रड हैं. इसके अलाला करीब 700 कर्मचारी सीधे तौर पर कंपनी में कार्यरत हैं. दाड़लाघाट से किरतपुर रूट पर सोयाटियों के करीब 1000 ट्रक रोजाना चलते हैं, जिससे इस पूरे रूट पर ढाबे वालों, चाय वालों, वर्कशाप और अन्य काम करने वालों को रोजगार मिला हुआ था जोकि फैक्ट्रियों पर ताले लगने से बंद हो गया था.

दाड़लाघाट से निकलने वाला अधितकर क्लिंकर अंबुजा के रोपड़, भंटिंडा, नालागढ़ और रूड़की के दूसरे प्लांट को ट्रकों से ले जाया जाता है, जहां इससे सीमेंट तैयार किया जाता है. दाड़लाघाट से निकलने वाला 80 से 85 फीसदी क्लिंकर इन प्लांट को भेजा जाता है, जहां इससे सीमेंट वहां तैयार होता है, जबकि 15 से 20 फीसदी क्लिंकर से दाड़लाघाट में सीमेंट बनाया जाता है. इस तरह बाहर के सीमेंट प्लाटों को क्लिंकर ले जाने और और वापसी में रोपड़ से सीमेंट तैयार करने में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल ट्रकों में लाया जाता रहा है. यहां के ट्रक ऑपरेटर 80 से 85 हजार मिट्रिक टन माल हर माह उनके ट्रक ढोते हैं, लेकिन फैक्ट्रियां बंद होने से यह काम बंद हो गया. इससे यहां काम कर रहे सभी ट्रक ऑपरेटरों को करीब 130 करोड़ का नुकसान होने का अनुमान है. ट्रक ऑपरेटरों को ट्रकों की किश्तें पेंडिंग पड़ गई थीं और ड्राइवर-क्लीनर की सैलरी निकालना मुश्किल हो गया था.

बरमाणा के फैक्ट्री का भी करीब 135 करोड़ का नुकसान- बिलासपुर के बरमाणा की एससी फैक्ट्री के बंद होने से भी करोड़ों का नुकसान हुआ. इस फैक्ट्री की सीमेंट उत्पादन की कुल क्षमता 4.4 मिट्रिक टन प्रति वर्ष है. इसके अलावा यह 3.3 मिट्रिक टन क्लिंकर भी निकालता है. बरमाणा सीमेंट कंपनी से करीब 4 हजार ट्रक जुड़े हुए हैं. इसके अलावा करीब 1000 कर्मचारी यहां पर प्लांट में कार्यरत है. बरमाणा में एसीसी कंपनी सीमेंट ही तैयार करती है. यहां से सीमेंट पंजाब, चंडीगढ़, पंचकुला सहित हिमाचल के विभिन्न हिस्सों में भेजा जाता है, रोजाना करीब 800 से 1000 गाड़ियां इसमें इस्तेमाल होती हैं. इसके अलावा कुछ क्लिंकर भी यहां से कंपनी के नालागढ़ प्लांट को ले जाया जाता है. एक अनुमान के मुताबिक ट्रक ऑपरेटरों का भी करीब 130-135 करोड़ का नुकसान हुआ है.

फैक्ट्रियों पर अप्रत्यक्ष तौर पर निर्भर इन लोगों की भी चली गई थी आजीविका- दो माह से अधिक समय तक फैक्ट्रियां बंद होने से इन पर अप्रत्यक्ष तौर पर निर्भर लोगों की आजीविका भी खत्म हो गई थी. सीमेंट ढोने वाले ट्रकों पर पेट्रोल पंप, वर्कशाप, टायर पंक्चर के अलावा ढाबे आदि का कारोबार निर्भर है. बिलासपुर से किरतपुर रूट पर ट्रक चलते हैं, इस पूरे रूट पर कारोबार बुरी तरह से प्रभावित रहा. पेट्रोल पंप पर काम नहीं रह गया था. वर्कशॉप जो ट्रकों पर निर्भर होती थी वो नहीं चल रही थीं. स्पेयर पार्ट वाले, टायर पंक्चर से लेकर मैकेनिक का काम करने वाला हर व्यक्ति बेरोजगार हो गया था, इससे एक विकट स्थिति बन गई थी.

बाघल लैंड लूजर ट्रक ट्रांसपोर्ट को-आपरेटिव सोसायटी के पूर्व अध्यक्ष रामकृष्ण शर्मा का कहना है कि अडानी समूह पहले 6 रुपए भाड़ा दे रहा था, लेकिन आज ट्रक ऑपरेटर काफी बेहतर स्थिति में है. हालांकि इस रेट से 6 से 7 लाख रुपए का सालान लॉस हो गया था. लेकिन आम जनता और प्रदेश की जनता के हित्त में हम यह भाड़ा मान रहे हैं. ट्रक ऑपरेटरों को हर साल भाड़े में हाइक देने की बात भी बैठक में अडानी समूह की ओर से मान ली गई है. उनका कहना हैकि सीमेंट फैक्ट्रियां बंद होने से हजारों ट्रक ऑपरेटरों को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा है. इसके अलावा अप्रत्यक्ष रूप से इससे जुड़े हजारों परिवार की रोजी रोटी भी इससे प्रभावित हुई है.

सरकार को भी करीब 150 करोड़ के राजस्व से हाथ धोना पड़ा- राज्य सरकार को भी सीमेंट विवाद से नुकसान हुआ है. सरकार को टैक्स के तौर पर सीधे करीब 150 करोड़ का नुकसान फैक्ट्रियां बंद होने से हुआ है. इसके अलावा अन्य काराबार पर लगने वाले जीएसटी से भी सरकार को क्षति हुई है. सीमेंट प्लांट बंद होने से राज्य में सरकारी कामकाज पर भी असर पड़ा. ये दोनों कंपनियां सरकार के विभिन्न विभागों को सीमेंट सप्लाई करती हैं. ऐसे में विभिन्न विभागों के कामकाज पर इसका असर पड़ा. इसके अलावा लोगों को भी सीमेंट की कमी का सामना करना पड़ा. अब विवाद सुलझने के बाद फिर से फैक्ट्रियों में सीमेंट तैयार होने लगेगा, इससे कुछ दिनों में स्थिति सामान्य हो जाएगी.

ये भी पढ़ें: Adani Cement Plant Dispute: अडानी समूह और ट्रक ऑपरेटर्स के बीच बनी बात, कल से खुलेंगे दोनों सीमेंट प्लांट

Last Updated : Feb 20, 2023, 9:15 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.