शिमला: एबीवीपी ने छात्रों की मांगों को लेकर आंदोलन करने जा रही है. यह आंदोलन 31 अगस्त से शुरू हो कर 15 सितंबर तक चलेगा. आंदोलन की पूरी रूपरेखा तैयार कर ली गई है. एबीवीपी की मांग है कि कोरोना काल में एचपीयू के सभी विभाग छात्रों से सिर्फ ट्यूशन फीस ही वसूल करे.
एबीवीपी की मांग है कि एचपीयू में सत्र 2020-21 की प्रवेश प्रक्रिया में आर्थिक पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को सम्मिलित कर प्रवेश छात्रों को दिया जाए, पीजी परीक्षाओं में छात्रों को जितना सिलेबस पढ़ाया गया है उसी में से परीक्षाएं करवाई जाएं.
एचपीयू की ऑनलाइन प्रणाली को मजबूत किया जाए, होस्टल कंटीन्यूटी फीस को इस सत्र के लिए माफ करने की मांग के साथ ही प्रदेश विश्वविद्यालय के प्लेसमेंट सेल को दुरुस्त करने के साथ उसे श्रम एवं रोजगार विभाग से जोड़ा जाए. एबीवीपी अपनी इस मांगों को लेकर आंदोलन एबीवीपी शुरू करने जा रही है.
एबीवीपी हिमाचल इकाई के अध्यक्ष विशाल ने कहा कि एचपीयू में अभी तक छात्रों को कब और कहां प्लेसमेंट दी जा रही है इसकी कोई जानकारी नहीं हैं. इसके साथ ही परीक्षा मूल्यांकन में भी लगातार अनियमितताएं देखने को मिल रही हैं. विशाल ने बताया कि एचपीयू ने एक छात्र को गणित विषय में 5 नंबर दिए, वहीं जब छात्र ने अपने सामने पेपर चैक करवाया तो उसे 76 नंबर प्राप्त हुए.
विशाल ने कहा कि ऐसे में एबीवीपी यह मांग कर रही है कि एचपीयू मूल्यांकन की इन अनियमितताओं को दूर करें. इसके साथ ही एचपीयू में रिसर्च के लिए प्लगिरिसम को चैक करने के लिए सॉफ्टवेयर की व्यवस्था की जाए, जिससे की छात्र एचपीयू में ही अपनी थिसिज को चैक कर सके.
विशाल वर्मा ने कहा कि अगर विश्वविद्यालय प्रशासन उनकी मांगों को नहीं मानता है तो एबीवीपी अपनी तय रणनीति के तहत अपना आंदोलन करेगी. जिसमें 1 सितंबर को कुलपति को मांगो को लेकर ज्ञापन सौंपा जाएगा. 3 सितंबर को एचपीयू में धरना प्रदर्शन, 4 सितंबर को ऑनलाइन हस्ताक्षर अभियान, 6 सितंबर को ट्विटर के माध्यम से ट्रेंड, 7 सितंबर को छात्रों की मांगों को लेकर मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, राज्यपाल और कुलपति को ई-मेल की जाएगी.
विशाल वर्मा ने बताया कि अपने आंदोलन के तहत एबीवीपी 9 सितंबर से 10 सितंबर तक सांकेतिक भूख हड़ताल,14 सितंबर को मूक प्रदर्शन और 16 सितंबर को एचपीयू की शव यात्रा निकाली जाएगी. अगर इसके बाद भी मांगे नहीं मानी जाती है तो एबीवीपी अपने आंदोलन को ओर ज्यादा उग्र रूप देगी.
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