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फर्जी डिग्री मामले में बेतुके बयान दे रहे हैं निजी विवि: ABVP

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Published : Jul 27, 2020, 4:48 PM IST

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रांत मंत्री राहुल राणा ने हिमाचल प्रदेश में निजी विश्वविद्यालय में हो रहे व्यापारीकरण को लेकर कड़ा रोष प्रकट किया है. राहुल राणा ने कहा कि जहां फर्जी डिग्री बेचने के आरोप में कुछ निजी विश्वविद्यालय जांच के घेरे में है उससे प्रदेश का नाम खराब हुआ है, लेकिन फिर भी कुछ निजी विश्वविद्यालय अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे.

rahul rana
rahul rana

शिमला: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रांत मंत्री राहुल राणा ने हिमाचल प्रदेश में निजी विश्वविद्यालय में हो रहे व्यापारीकरण को लेकर कड़ा रोष प्रकट किया है. राहुल राणा ने कहा कि जहां फर्जी डिग्री बेचने के आरोप में कुछ निजी विश्वविद्यालय जांच के घेरे में है. उससे प्रदेश का नाम तो खराब हुआ ही है, लेकिन फिर भी कुछ निजी विश्वविद्यालय अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे.

राहुल राणा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में अवैध डिग्रियों का गोरख धंधा चला है. ऐसा ही काम मानव भारती यूनिवर्सिटी, इंडस यूनिवर्सिटी और एपीजी यूनिवर्सिटी शिमला ने किया, जिसको लेकर इन विश्वविद्यालयों पर एफआईआर भी दर्ज हुई और बाद में इस प्रकार के बेतुके बयान दिए गए की डिग्रियां कॉरेस्पोंडेंस, डिस्टेंस और कर्मचारियों को 2 से 4 घंटे कार्य में छूट देकर उनकी कक्षाएं लगाई गई और उन्हें डिग्री दे दी गई. जो कि यूजीसी के नियमों के खिलाफ है.

इससे साफ होता है कि निजी विश्वविद्यालयों में डिग्रियां बांटने का धंधा किस प्रकार चला हुआ है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद मांग करती है कि नियामक आयोग जल्दी से जल्दी इस प्रकार दी गई डिग्रियों को रद्द करे और निजी विश्वविद्यालयों पर कड़ी कार्रवाई करे. उनका कहना था कि हिमाचल प्रदेश नियामक आयोग और उच्च न्यायालय ने अपने आदेशों में साफ किया है कि निजी विश्वविद्यालय केवल सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त फीस ही छात्रों से ले सकते हैं. मगर विद्यार्थी परिषद ने पाया कि छात्रों से कैरेक्टर सर्टिफिकेट, प्रोविजनल डिग्री सर्टिफिकेट, माइग्रेशन सर्टिफिकेट के नाम पर पैसे लिए जा रहे हैं.

इंडस यूनिवर्सिटी सरोली ने कैरेक्टर सर्टिफिकेट के लिए 100 रुपये, माइग्रेशन सर्टिफिकेट के लिए 300 रुपये और प्रोविजनल डिग्री सर्टिफिकेट के लिए 500 रुपये तक वसूले जोकि उच्च न्यायालय की अवहेलना है. इसलिए परिषद मांग करती है कि ऐसे मिसलेनियस फीस छात्रों को वापस की जाए और कड़े नियम बनाए जाएं ताकि निजी विश्वविद्यालय अपनी मनमर्जी से ऐसे पैसे ना लुटें.

राहुल राणा ने कहा कि 22 जुलाई को नियामक आयोग ने छात्र के लिए आदेश पारित किए की उसकी सिक्योरिटी के 10000 रुपये वापस लिए जाएं. मगर इंडस विश्वविद्यालय हरोली अपनी मनमर्जी से छात्रों की सिक्योरिटी फीस से 1100 रुपये काट रही है. इंडस यूनिवर्सिटी की ओर से बताया जा रहा है कि विश्वविद्यालय ने पॉलिसी बनाई है, जिसके तहत सिक्योरिटी अमाउंट से 1100 रुपये सभी छात्रों के कटेंगे जो साफ तौर पर गरीब छात्रों को लूटने की मंशा है.

हिमाचल प्रदेश के कुछ निजी विश्वविद्यालय जैसे अरनी, बहारा यूनिवर्सिटी, इंडस यूनिवर्सिटी ने अभी तक अपने अध्यापकों की सैलरी नहीं दी है और कोरोना महामारी के दौरान सैलरी देने में आनाकानी कर रहे हैं. निजी विश्विद्यालयों से अपने कर्मचारियों को बिना वेतन दिए जबरन छुट्टी पर भेज दिया है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद मांग करती है कि नियामक आयोग जल्दी से जल्दी सभी निजी विश्वविद्यालयों को आदेश दे कि कोरोना महामारी के दौरान जिस प्रकार निजी विश्वविद्यालयों ने ट्यूशन फीस ली है, उसी प्रकार सारे स्टाफ को पूरी सैलरी दी जाए.

पढ़ें: विजय दिवस पर शहीदों को याद करने के बजाए आम खाते रहे कांग्रेस नेताः महेंद्र सिंह ठाकुर

शिमला: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रांत मंत्री राहुल राणा ने हिमाचल प्रदेश में निजी विश्वविद्यालय में हो रहे व्यापारीकरण को लेकर कड़ा रोष प्रकट किया है. राहुल राणा ने कहा कि जहां फर्जी डिग्री बेचने के आरोप में कुछ निजी विश्वविद्यालय जांच के घेरे में है. उससे प्रदेश का नाम तो खराब हुआ ही है, लेकिन फिर भी कुछ निजी विश्वविद्यालय अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे.

राहुल राणा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में अवैध डिग्रियों का गोरख धंधा चला है. ऐसा ही काम मानव भारती यूनिवर्सिटी, इंडस यूनिवर्सिटी और एपीजी यूनिवर्सिटी शिमला ने किया, जिसको लेकर इन विश्वविद्यालयों पर एफआईआर भी दर्ज हुई और बाद में इस प्रकार के बेतुके बयान दिए गए की डिग्रियां कॉरेस्पोंडेंस, डिस्टेंस और कर्मचारियों को 2 से 4 घंटे कार्य में छूट देकर उनकी कक्षाएं लगाई गई और उन्हें डिग्री दे दी गई. जो कि यूजीसी के नियमों के खिलाफ है.

इससे साफ होता है कि निजी विश्वविद्यालयों में डिग्रियां बांटने का धंधा किस प्रकार चला हुआ है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद मांग करती है कि नियामक आयोग जल्दी से जल्दी इस प्रकार दी गई डिग्रियों को रद्द करे और निजी विश्वविद्यालयों पर कड़ी कार्रवाई करे. उनका कहना था कि हिमाचल प्रदेश नियामक आयोग और उच्च न्यायालय ने अपने आदेशों में साफ किया है कि निजी विश्वविद्यालय केवल सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त फीस ही छात्रों से ले सकते हैं. मगर विद्यार्थी परिषद ने पाया कि छात्रों से कैरेक्टर सर्टिफिकेट, प्रोविजनल डिग्री सर्टिफिकेट, माइग्रेशन सर्टिफिकेट के नाम पर पैसे लिए जा रहे हैं.

इंडस यूनिवर्सिटी सरोली ने कैरेक्टर सर्टिफिकेट के लिए 100 रुपये, माइग्रेशन सर्टिफिकेट के लिए 300 रुपये और प्रोविजनल डिग्री सर्टिफिकेट के लिए 500 रुपये तक वसूले जोकि उच्च न्यायालय की अवहेलना है. इसलिए परिषद मांग करती है कि ऐसे मिसलेनियस फीस छात्रों को वापस की जाए और कड़े नियम बनाए जाएं ताकि निजी विश्वविद्यालय अपनी मनमर्जी से ऐसे पैसे ना लुटें.

राहुल राणा ने कहा कि 22 जुलाई को नियामक आयोग ने छात्र के लिए आदेश पारित किए की उसकी सिक्योरिटी के 10000 रुपये वापस लिए जाएं. मगर इंडस विश्वविद्यालय हरोली अपनी मनमर्जी से छात्रों की सिक्योरिटी फीस से 1100 रुपये काट रही है. इंडस यूनिवर्सिटी की ओर से बताया जा रहा है कि विश्वविद्यालय ने पॉलिसी बनाई है, जिसके तहत सिक्योरिटी अमाउंट से 1100 रुपये सभी छात्रों के कटेंगे जो साफ तौर पर गरीब छात्रों को लूटने की मंशा है.

हिमाचल प्रदेश के कुछ निजी विश्वविद्यालय जैसे अरनी, बहारा यूनिवर्सिटी, इंडस यूनिवर्सिटी ने अभी तक अपने अध्यापकों की सैलरी नहीं दी है और कोरोना महामारी के दौरान सैलरी देने में आनाकानी कर रहे हैं. निजी विश्विद्यालयों से अपने कर्मचारियों को बिना वेतन दिए जबरन छुट्टी पर भेज दिया है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद मांग करती है कि नियामक आयोग जल्दी से जल्दी सभी निजी विश्वविद्यालयों को आदेश दे कि कोरोना महामारी के दौरान जिस प्रकार निजी विश्वविद्यालयों ने ट्यूशन फीस ली है, उसी प्रकार सारे स्टाफ को पूरी सैलरी दी जाए.

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