शिमला: हिमाचल में तीसरे विकल्प को जनता ने नकार दिया है. हिमाचल में अबकी बार के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने तीसरा विकल्प देने की बात कही थी. पार्टी ने 67 विधानसभा हल्कों में अपने उम्मीदवारों को उतारा था. पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई. यही नहीं पार्टी के उम्मीदवारों की जमानतें भी नहीं बच पाई. इस तरह हिमाचल में आप के तीसरे विकल्प के रूप में बनाने के दावे की भी हवा निकल गई. हिमाचल विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी करीब 1.10 फीसदी वोट पर ही सिमट के रह गई. आप को कुल 46,270 मत ही इन चुनाव में मिले हैं. (people rejected third option in himachal) ( himachal assembly election)
हिमाचल में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन बेहद निराशा जनक रहा. आम आदमी पार्टी ने हिमाचल में कई बड़ी घोषणाएं कर तीसरा विकल्प बनने का प्रयास किया. इसके लिए कई फ्री सुविधाएं देने के ऐलान भी किए गए. स्कूलों को सुधारने, स्वास्थ्य सेवाओं के लिए कई कदम उठाने के साथ ही कई बड़े ऐलान पार्टी ने हिमाचल में किए, मगर पार्टी हिमाचल में चुनाव आते आते हांफने लगी और अब नतीजों में भी जनता ने उसको नकार दिया. (Aam Aadmi Party in Himachal) (Deposits of AAP candidates forfeited in Himachal)
हिमाचल में एक भी सीट नहीं जीत पाई आप: आप ने हिमाचल में 67 सीटों पर अपने प्रत्याशी दिए थे, लेकिन सभी सीटों पर आम आदमी पार्टी की शर्मनाक हार हुई है. अपनी संभावित हार को देखते हुए चुनाव के आते-आते बीच में ही ढीली पड़ गई. इस बीच हिमाचल के लिए पार्टी प्रभारी बनाए गए सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी हुई. आप के संयोजक एवं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, पंजाब के सीएम भगवंत मान ने हिमाचल को अपना पूरा समय नहीं दिया. इस तरह चुनाव से पहले ही पार्टी ने अपनी हार माननी यहां शुरू कर दी थी. हिमाचल में आम आदमी पार्टी अपना खाता तक नहीं खोल पाई. दिल्ली और पंजाब में रिकॉर्ड जीत दर्ज करने वाली आप के उम्मीदवारों की जमानतें जब्त हो गईं. यह तब है, जबकि आप ने प्रदेश की जनता को तीसरा विकल्प देने का वादा किया और इस दिशा में प्रयास भी किया. हालांकि बाद में पार्टी ने यहां की बजाए गुजरात पर ज्यादा फोकस कर दिया. (third option in himachal)
चुनाव के ऐलान के बाद एक दिन आए थे अरविंद केजरीवाल: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चुनाव की तारीख के ऐलान के बाद महज एक दिन ही रोड शो किया था. इस रोड शो में पंजाब के शिक्षकों के द्वारा प्रदर्शन करने पर अरविंद केजरीवाल को रोड शो छोड़ना पड़ा. इसके बाद अरविंद केजरीवाल हिमाचल दौरे पर नहीं आए. हालांकि चुनावी तारीखों के ऐलान से पहले अरविंद केजरीवाल से लेकर भगवंत मान और मनीष सिसोदिया ने हिमाचल के कई दौरे किए और रैली से लेकर रोड शो और जनता से सीधा संवाद भी किया था. आम आदमी पार्टी ने सत्येंद्र जैन के हिमाचल का प्रभारी बनाया था.
उत्तराखंड के पहाड़ पर शून्य पर 'आप': आम आदमी पार्टी को उत्तराखंड, यूपी और गोवा में भी अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी. खासकर हिमाचल के पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में जहां आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री का चेहरा तक तय कर दिया था. हिमाचल और उत्तराखंड की भौगोलिक और राजनीतिक परिस्थितियां मेल खाती है.
आम आदमी पार्टी ने दी थी ये गारंटी: हिमाचल में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली मॉडल की तर्ज पर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने का वादा किया था. लेकिन कांग्रेस की तरह हिमाचल में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने सरकार बनते ही पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) लागू करने का ऐलान किया था. बेरोजगार युवाओं के लिए 3000 मासिक बेरोजगारी भत्ता और 18 से 60 साल तक की महिलाओं को 1000 रुपये भत्ता देने का वादा भी किया गया था. इसके अलावा बिजली, पानी, किसान-बागवानों को उचित समर्थन मूल्य देने की गारंटी भी दी थी. हिमाचल में किए गए इन वादों को पार्टी ने केजरीवाल की गारंटी नाम दिया था. लेकिन हिमाचल की जनता ने इन गारंटियों को सिरे से खारिज कर दिया. (Kejriwal in Himachal) (Aam Aadmi Party guarantee in Himachal) (Kejriwal Guarantee in Himachal)
अब तक कई पार्टियों की कोशिश रही नाकाम: हिमाचल प्रदेश में तीसरे विकल्प के रूप में सीपीएम से लेकर बसपा, राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी तक ने कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुए. बीजेपी के पूर्व प्रदेश और 3 बार लोकसभा सांसद रहे हिमाचल के कद्दावर नेता महेश्वर सिंह ने साल 2012 में पार्टी से अलग होकर हिमाचल लोकहित पार्टी का गठन किया, लेकिन 2012 चुनाव में वो अपनी पार्टी के इकलौते विधायक के रूप में जीतकर विधानसभा पहुंचे और 2017 में बीजेपी में पार्टी का विलय कर दिया. हालांकि पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे पंडित सुखराम में हिमाचल विकास कांग्रेस बनकार थोड़ी हलचल जरूर पैदा की थी. कांग्रेस से टूटकर आए नेताओं से बनी पार्टी ने साल 1998 के चुनाव में 5 सीटों पर जीत हासिल की और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. हालांकि तीसरे विकल्प के खांचे में हिमाचल विकास कांग्रेस भी कभी फिट नहीं बैठी.
हिमाचल की जनता को दो पार्टियों पर ही रहा भरोसा: कांग्रेस और बीजेपी ने भी अबकी बार आम आदमी पार्टी को हिमाचल में गंभीरता से नहीं लिया और उसकी उपस्थिति को सिरे से खारिज किया. आम आदमी पार्टी के विकल्प को हिमाचल की जनता ने भी नकार दिया है. साफ है कि हिमाचल में जनता दो प्रमुख पार्टियों, कांग्रेस और भाजपा पर विश्वास जताया. इस तरह पांच पांच साल के लिए कांग्रेस और भाजपा बारी बारी सरकार बनाती रही है, अबकी बार भी यही हुआ है. (Himachal Election Result 2022)
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