शिमला: करीब साठ हजार करोड़ रुपए के कर्ज में डूबे हिमाचल प्रदेश की तकदीर पर्यटन के जरिए बदली जा सकती है. कर्ज के बोझ तले कराह रहे हिमाचल के लिए पर्यटन संजीवनी बन सकता है. पंद्रहवें वित्तायोग ने हिमाचल को सलाह दी है कि आर्थिक मजबूती के लिए उसे पर्यटन पर फोकस करना चाहिए.
जीडीपी और रेवेन्यू बढ़ाने के लिए पर्यटन सेक्टर अहम
हिमाचल में नई टूरिस्ट डेस्टीनेशन के विस्तार और सुविधाओं को बढ़ा कर यहां आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाई जा सकती है. इस समय हिमाचल में सालाना पौने दो करोड़ सैलानी आते हैं. इसमें देशी और विदेशी सैलानी शामिल हैं. पर्यटन से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों को सुविधाओं की जरूरत है. पंद्रहवें वित्तायोग का मानना है कि प्रदेश की जीडीपी और रेवेन्यू बढ़ाने के लिए हिमाचल में पर्यटन सेक्टर अहम साबित हो सकता है.
रेल व एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने की जरूरत
टूरिज्म सेक्टर को मजबूत करने से रोजगार के साधन बढ़ेंगे और राजस्व भी मिलेगा.यही नहीं, पर्यटन की मजबूती महिला सशक्तिकरण में भी सहायक सिद्ध हो सकती है. इसके लिए रेल व एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने की जरूरत है.यही नहीं, ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट भी तैयार करने पड़ेंगे. वित्तायोग ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि प्रदेश में ट्रांस्पोर्ट की लागत को कम करने के लिए हवाई सेवाओं का विस्तार किया जाना चाहिए.
सड़क नेटवर्क में भी सुधार की आवश्यकता
साथ ही सड़क नेटवर्क में भी सुधार की आवश्यकता है. वित्तायोग ने राज्य सरकार को सुझाव दिया है कि कुल्लू के भुंतर और कांगड़ा जिला के गगल हवाई अड्डे का विस्तार किया जाना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक सैलानी वायुमार्ग से हिमाचल आ सकें.साथ ही मंडी में ग्रीन फील्ड हवाई अड्डे का निर्माण करना चाहिए. आयोग ने पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में पर्यटन विकास के लिए दूरदराज के क्षेत्रों तक हैली टैक्सी सेवा का विस्तार करने का सुझाव भी दिया है.
होम स्टे को ई-कॉमर्स के साथ लिंक करने की आवश्यकता
आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदेश में ईको टूरिज्म के साथ साथ साहसिक पर्यटन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. साथ ही होम स्टे को ई-कॉमर्स के साथ लिंक किया जाना चाहिए. होम स्टे ग्रामीण इलाकों में महिला सशक्तिकरण का माध्यम बन सकते हैं.कारण ये है कि प्रदेश में अधिकांश होम स्टे चलाने में महिलाओं की अहम भूमिका है. आयोग का कहना है कि हिमाचल में जो पर्यटन स्थल अभी अधिक लोकप्रिय हैं, उनका आकर्षण सेचुरेशन पॉइंट तक पहुंच गया है.शिमला, मनाली, धर्मशाला आदि शहरों की बेशक अपनी खासियत है, लेकिन ये होटल निर्माण के कारण कंक्रीट के जंगल बन रहे हैं. यहां नए आकर्षण विकसित करने की संभावनाएं न के बराबर हैं.
ट्राइबल टूरिज्म समय की मांग
राज्य सरकार को जनजातीय जिलों चंबा व लाहौल-स्पीति में नई सैरगाहों को विकसित करना चाहिए. ट्राइबल टूरिज्म समय की मांग भी है.जनजातीय जिलों में इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाया जाए, ताकि सैलानी यहां आसानी से आ सकें. उल्लेखनीय है कि हिमाचल में पर्यटन के नाम पर शिमला, मनाली, धर्मशाला, डलहौजी आदि का ही नाम आता है.
आधारभूत ढांचा विकसित करने की आवश्यकता
संचार के इस समय में हिमाचल के दूरस्थ इलाके भी पर्यटन मानचित्र पर आए हैं. ये इलाके अपनी नैसर्गिक सुंदरता के कारण चर्चा में आ रहे हैं. उदाहरण के लिए मंडी व कुल्लू जिला के अंदरूनी इलाकों की हरियाली और घाटियां. ऐसे में इन सैरगाहों के आसपास आधारभूत ढांचा विकसित करने की आवश्यकता है.हिमाचल सरकार टूरिज्म सर्किट योजना पर काम कर रही है और सरकार का लक्ष्य इस साल प्रदेश में दो करोड़ सैलानियों को आकर्षित करने का है.
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