शिमला: कोरोना वायरस एक महामारी बन चुकी है. दुनिया भर के लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं. सरकार इस बीमारी से आम आदमी को बचाने के लिए भरसक प्रयास कर रही है. वहीं, प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग बड़े-बड़े दावे करता आया है, लेकिन कोरोना पीड़ितों या संदिग्ध मरीजों को अस्पताल तक लाने वाले एंबुलेंस कर्मचारियों की सुरक्षा राम भरोसे है.
यह बात खुद 108 एंबुलेंस में कार्यरत कर्मचारियों ने ईटीवी से बातचीत में कही. 108 एंबुलेंस में कोरोना के संदिग्ध मरीज को अस्पताल तक लाने वाली एक महिला कर्मचारी ने बताया कि वह अपने रिस्क पर काम कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें संस्थान की तरफ से सुरक्षा के लिए कोई प्रबंध नहीं किये गए हैं. यहां तक के 108 एंबुलेंस में चालक व टैक्निकल कर्मचारी खुद बाजार से मास्क और सेनिटाइजर खरीद रहे हैं.
यही नहीं उन्हें जो ओटीए किट दी गई है वह पुरानी और फटी हुई है. कर्मचारी का कहना था कि वह खुद एंबुलेंस में 13,14 कोरोना के संदिग्ध मरीज अस्पताल तक लाये हैं. जिनकी हिस्ट्री भी जमात से ओर बाहरी राज्यों से आने वालों की थी. उनका कहना था कि उन्हें भी सुरक्षा के लिए मास्क, सैनिटाइजर व पीपा किट दी जानी चाहिए, ताकि वह कोरोना जैसे बीमारी से बचे रहें.
इस सम्बंध में स्वास्थ्य निदेशक डॉ एन गुप्ता ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से तैयार है. कोरोना संक्रमित मरीज और संदिग्ध मरीजों को लाने ले जाने की पूरी व्यवस्था है. उनका कहना था कि अस्पताल के एमएस व सीएमओ को फंड दिया गया है जिससे वह खुद भी व्यवस्था कर सकें.
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