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दोनों विश्वयुद्धों के रणनीति का केंद्र रहा ARTRAC शिमला से हो सकता है शिफ्ट, केंद्र ने भेजा प्रस्ताव

जल्द ही राजधानी शिमला स्थित आरट्रैक देश के किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकता है.

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Published : Feb 3, 2019, 12:16 PM IST

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शिमला: महानिदेशालय सैन्य प्रशिक्षण का आरट्रैक (आर्मी ट्रेनिंग कमांड ARTRAC) के साथ विलय के प्रस्ताव को अगर मंजूरी मिल गई, तो जल्द ही राजधानी शिमला स्थित आरट्रैक देश के किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकता है.
इसकी मुख्य वजह उपयुक्त स्थान और पर्याप्त बुनियादी ढांचे की कमी बताया जा रहा है. क्योंकि विलय के बाद आरट्रैक के लिए अधिक बुनियादी ठांचे और भूमि की जरूरत होगी. सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार आर्मी हेडक्वार्टर मेरठ, बेंगलुरु या फिर गया में से किसी एक स्थान पर आरट्रैक को शिफ्ट करने पर विचार कर रहा है.

आरट्रैक का गठन 1 अक्तूबर 1991 को किया गया था. उस समय इसकी स्थापना मध्यप्रदेश के महू में की गई थी, लेकिन जल्द ही 31 मार्च 1993 में मुख्यालय शिमला शिफ्ट कर दिया गया. तब से वर्तमान समय तक आरट्रैक शिमला से ही सफल रूप से अपना कार्य कर रहा है. इसका मुख्य कार्य जवानों की ट्रेनिंग को अधिक प्रभावशाली बनाना और सेना प्रशिक्षण और युद्ध से जुड़ी विभिन्न नीतियां बनाना है.

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आरट्रैक
आरट्रैक
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वर्तमान में आरट्रैक के इस एतिहासिक भवन में साल 1864 से 1939 तक भारतीय सेना का मख्यालय स्थापित था. कमांडर-इन-चीफ के अतिरिक्त सेना और सिविल प्रतिष्ठानों के दफ्तरों को स्थापित करने के लिए ईंट, लोहे और कंकरी से यह मजबूत ढांचे, उस स्थल पर बनाए गए जहां पर सरकारी प्रेस और मेसेनिक हॉल स्थापित थे. निर्बाध रूप से लंदन के पीबॉडी भवनों के डिजाइन पर आधारित, ये ढांचे रिचर्डसन और कुडास फर्म ने सितंबर 1885 के आस-पास बनाए. कमांडर-इन-चीफ का दफ्तर सबसे बड़ी ब्लॉक में स्थापित किया गया. प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सभी ऑपरेशनों की योजना और संचालन इन्हीं दफ्तरों से होता था.

आरट्रैक
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सन् 1947 में स्वतंत्रता के बाद, भारतीय सेना की पश्चिमी कमान बनाई गई और उसका मुख्यालय सन् 1954 से 1985 तक इन भवनों में काबिज रहा. सन् 1965 और 1971 के दोनों भारत-पाक युद्धों की योजना और संचालन यहीं से हुआ. साल 1985 में जब पश्चिमी कमान के मुख्यालय चंडीमंदिर के लिए स्थानांतरित कर दिया गया तब पंजाब हरियाणा और हिमाचल प्रदेश एरिया मुख्यालय में कुछ समय के लिए न भवनों का उपयोग किया.

आर्मी ट्रेनिंग कमांड सन् 1991 में महू में स्थापित की गई थी और सन् 1993 में शिमला में स्थानांतरित कर दी गई. तब से यह मुख्यालय इन्हीं भवनों में स्थापित है. सात ऑपरेशनल कमानों में से एक, आरट्रैक पूरे भारतीय सेना के प्रशिक्षण के लिए उत्तरदायी है.

शिमला: महानिदेशालय सैन्य प्रशिक्षण का आरट्रैक (आर्मी ट्रेनिंग कमांड ARTRAC) के साथ विलय के प्रस्ताव को अगर मंजूरी मिल गई, तो जल्द ही राजधानी शिमला स्थित आरट्रैक देश के किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकता है.
इसकी मुख्य वजह उपयुक्त स्थान और पर्याप्त बुनियादी ढांचे की कमी बताया जा रहा है. क्योंकि विलय के बाद आरट्रैक के लिए अधिक बुनियादी ठांचे और भूमि की जरूरत होगी. सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार आर्मी हेडक्वार्टर मेरठ, बेंगलुरु या फिर गया में से किसी एक स्थान पर आरट्रैक को शिफ्ट करने पर विचार कर रहा है.

आरट्रैक का गठन 1 अक्तूबर 1991 को किया गया था. उस समय इसकी स्थापना मध्यप्रदेश के महू में की गई थी, लेकिन जल्द ही 31 मार्च 1993 में मुख्यालय शिमला शिफ्ट कर दिया गया. तब से वर्तमान समय तक आरट्रैक शिमला से ही सफल रूप से अपना कार्य कर रहा है. इसका मुख्य कार्य जवानों की ट्रेनिंग को अधिक प्रभावशाली बनाना और सेना प्रशिक्षण और युद्ध से जुड़ी विभिन्न नीतियां बनाना है.

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आरट्रैक
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वर्तमान में आरट्रैक के इस एतिहासिक भवन में साल 1864 से 1939 तक भारतीय सेना का मख्यालय स्थापित था. कमांडर-इन-चीफ के अतिरिक्त सेना और सिविल प्रतिष्ठानों के दफ्तरों को स्थापित करने के लिए ईंट, लोहे और कंकरी से यह मजबूत ढांचे, उस स्थल पर बनाए गए जहां पर सरकारी प्रेस और मेसेनिक हॉल स्थापित थे. निर्बाध रूप से लंदन के पीबॉडी भवनों के डिजाइन पर आधारित, ये ढांचे रिचर्डसन और कुडास फर्म ने सितंबर 1885 के आस-पास बनाए. कमांडर-इन-चीफ का दफ्तर सबसे बड़ी ब्लॉक में स्थापित किया गया. प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सभी ऑपरेशनों की योजना और संचालन इन्हीं दफ्तरों से होता था.

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सन् 1947 में स्वतंत्रता के बाद, भारतीय सेना की पश्चिमी कमान बनाई गई और उसका मुख्यालय सन् 1954 से 1985 तक इन भवनों में काबिज रहा. सन् 1965 और 1971 के दोनों भारत-पाक युद्धों की योजना और संचालन यहीं से हुआ. साल 1985 में जब पश्चिमी कमान के मुख्यालय चंडीमंदिर के लिए स्थानांतरित कर दिया गया तब पंजाब हरियाणा और हिमाचल प्रदेश एरिया मुख्यालय में कुछ समय के लिए न भवनों का उपयोग किया.

आर्मी ट्रेनिंग कमांड सन् 1991 में महू में स्थापित की गई थी और सन् 1993 में शिमला में स्थानांतरित कर दी गई. तब से यह मुख्यालय इन्हीं भवनों में स्थापित है. सात ऑपरेशनल कमानों में से एक, आरट्रैक पूरे भारतीय सेना के प्रशिक्षण के लिए उत्तरदायी है.

शिमला. महानिदेशालय सैन्य प्रशिक्षण का आरट्रैक ( आर्टी ट्रेनिंग कमांड ARTRAC) के साथ विलय के प्रस्ताव को अगर मंजूरी मिल गई तो जल्द ही राजधानी शिमला स्थित आरट्रैक देश के किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकता है. इसकी मुख्य वजह उप्युक्त स्थान और प्रयाप्त बुनियादी ठांचे की कमी बताया जा रहा है. क्योंकि विलय के बाद आरट्रैक के लिए अधिक बुनियादी ठांचे और भूमि की जरूरत होगी. सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार आर्मी हेडक्वाटर  मेरठ, बैगलूरू या फिर गया मेंसे किसी एक स्थान पर आरट्रैक को शिफ्ट करने पर विचार कर रहा है.

आरट्रैक का गठन 1 अक्तूबर 1991 को किया गया था. उस समय इसकी स्थापना मध्यप्रदेश के मऊ में की गई थी. लेकिन जल्द ही 31 मार्च 1993 में मुख्यालय शिमला शिफ्ट कर दिया गया. तब से वर्तमान समय तक आरट्रैक शिमला से ही सफल रूप से अपना कार्य कर रहा है. इसका मुख्य कार्य जवानों की ट्रेनिंग को अधिक प्रभावशाली बनाना और सेना प्रशिक्षण और युद्ध से जुड़ी विभिन्न नीतियां बनाना है.   

वर्तमान में आरट्रैक के इस एतिहासिक भवन में सन्1864 से 1939 तक भारतीय सेना का मख्यालय स्थापति था. कमांडर-इन-चीफ के अतिरिक्त सेना और सिविल प्रतिष्ठानों के दफ्तरों को स्थापित करने के लिए ईंट लोहे और कंकरी से यह मजबूत ढांचे, उस स्थल पर बनाए गए जहां पर सरकारी प्रेस और मेसेनिक हाल स्थापित थे. निर्बाध रूप से लंदन के पीबॉडी भवनों के डिज़ाइन पर आधारित, ये ढांचे रिचर्जसन और कुडास फर्म ने सितंबर 1885 के मध्य बनाए. कमांडर-इन-चीफ का दफ्तर सबसे परी ब्लाक में स्थापित किया गया. प्रथम और द्वितिय विश्व युद्ध के दौरान सबी ऑप्रेशनों की योजना और निष्पादन इन्हीं दफ्तरों से होता था.

सन् 1947 में स्वतंत्रता के पश्चात, भारतीय सेना की पश्चिमी कमान बनाई गई और उसका मुख्यालय सन्1954 से 1985 तक इन भवनों में काबिज रहा. सन् 1965 और 1971 के दोनो भारत-पाक युद्धों की योजना और संचालन यहीं से हुआ. सन् 1985 में जब पश्चिमी कमान के मुख्यालय चंडीमंदिर के लिए स्थानांतरित कर दिया गया तब पंजाब हरियाणा और हिमाचल प्रदेश एरिया मुख्यालय में कुछ समय के लिए न भवनों का उपोयग किया. आर्मी ट्रेनिंग कमांड सन् 1991 में महु में स्थआपित की गई थी और स्न 1993 में शिमला  केलिए स्थानांतिरित कर दी गई. तब से यह मुख्यालय इन्हीं भवनों में स्थापित है. सात आप्रेशनल कमानों मेंसे एक, आरक्रैक समस्त भारतीय सेना के प्रशिक्षण के लिए उतरदायी है.

 

 

  

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