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8 हजार फीट की ऊंचाई पर कमरुनाग मंदिर पहुंचा ईटीवी भारत, बर्फ से जम चुकी है रहस्मयी झील - Kamarunag lake mandi news

ईटीवी भारत हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला में स्थित पवित्र कमरुनाग झील के समीप 8 हजार फुट की ऊंचाई पर पहुंचा जहां देखा कि प्रदेश में ठंड बढ़ने के साथ ही विश्वविख्यात देव कमरुनाग की पवित्र झील पूरी तरह से जम चुकी है. क्षेत्र में दिन और रात के समय तापमान शून्य से नीचे पहुंच रहा है. झील के ऊपर पानी जम जाने की करीब 3 से 4 इंच मोटी परत बन गई है.

special story of etv bharat on Kamarunag lake located in Mandi district
डिजाइन फोटो.
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Published : Dec 1, 2020, 8:07 PM IST

Updated : Dec 7, 2020, 7:09 PM IST

सुंदरनगर: हिमाचल प्रदेश में सर्दियों का मौसम शुरू होते ही ठंड का प्रकोप भी बढ़ने लग गया है. इसी को लेकर ईटीवी भारत हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला में स्थित पवित्र कमरुनाग झील के समीप 8 हजार फुट की ऊंचाई पर पहुंचा जहां देखा कि प्रदेश में ठंड बढ़ने के साथ ही विश्वविख्यात देव कमरूनाग की पवित्र झील पूरी तरह से जम चुकी है. क्षेत्र में दिन और रात के समय तापमान शून्य से नीचे पहुंच रहा है.

झील के ऊपर पानी जम जाने की करीब 3 से 4 इंच मोटी परत बन गई है. झील जम जाने से अब देव कमरुनाग की झील में छिपे अरबों के खजाने पर लुटेरों की निगाह पड़ सकती है. झील की सुरक्षा के लिए मंदिर कमेटी ने पुख्ता इंतजाम कर दिए हैं. कमरुनाग झील क्षेत्र में हुई ताजा बर्फबारी के बाद देव कमेटी के सदस्य भी निचले इलाकों में वापिस आ गए हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

बर्फबारी के कारण कई माह तक मंदिर के कपाट बंद रहते हैं

हालांकि बर्फबारी के उपरांत प्रशासन व देव कमरुनाग कमेटी के द्वारा श्रद्धालुओं से मंदिर आने की मनाही की गई है, लेकिन देव कमरुनाग के प्रति श्रद्धालुओं की अगाध आस्था दर्शन करने के लिए साहस जुटा देती है. बता दें कि देव कमरुनाग का मंदिर व पवित्र झील समुद्र तल से लगभग 8 हजार फुट की ऊंचाई पर मौजूद है और सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण कई माह तक मंदिर के कपाट बंद रहते हैं.

special story of etv bharat on Kamarunag lake located in Mandi district
कमरुनाग झील

पवित्र झील पूरी तरह से जम चुकी है

वहीं, आपको बता दें कि कमरुनाग मंदिर में हर वर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं, लेकिन इस वर्ष कोरोना काल के बीच यहां पर श्रद्धालु कम ही देखने को मिले हैं. जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने रोहांडा पंचायत के प्रधान प्रकाश चंद से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि देव कमरूनाग मंदिर में हाल ही के दिनों में हुई बर्फबारी के बाद पवित्र झील पूरी तरह से जम चुकी है.

हिमपात होने के कारण यहां पर हमेशा जान का खतरा बना रहता है

उन्होंने कहा कि क्षेत्र में हुई ताजा बर्फबारी के बावजूद भी मंदिर में आने के लिए श्रद्धालुओं का सिलसिला जारी है. उन्होंने कहा कि हिमपात होने के कारण यहां पर हमेशा जान का खतरा बना रहता है. उन्होंने आम जनता से आग्रह किया है कि दिसंबर से जनवरी तक मंदिर आने से परहेज करें, ताकि कोई अनहोनी ना हो सके.

वीडियो

देव कमरुनाग मंदिर पहुंची मंडी जिला निवासी दीक्षिता ने कहा कि देव कमरूनाग मंदिर आने के लिए उनके मन में देवता के प्रति उनकी श्रद्धा है. उन्होंने कहा कि देव कमरूनाग की झील पूरी तरह से जमी हुई है. उन्होंने कहा कि बर्फबारी में देव कमरूनाग मंदिर आकर गलती तो की है, लेकिन देवता को लेकर उनकी श्रद्धा व विश्वास से ही पहली बार देव कमरुनाग के मंदिर पहुंच पाए हैं.

कौन हैं कमरुनाग

महाभारत में कृष्ण ने रत्नयक्ष योद्धा को मारकर उसका धड़ युद्ध क्षेत्र में अपने रथ की पताका से टांग दिया था, ताकि वह महाभारत का युद्ध देख सकें, लेकिन जिस ओर भी रत्नयक्ष का चेहरा घूमता कौरवों व पांडवों की सेना डर के मारे उसकी हुंकार से भागने लगती थी. कृष्ण ने उससे प्रार्थना कर युद्ध में तटस्थ रहने का आग्रह किया, ताकि पांडव युद्ध जीत जाएं और वे पांडवों के पूज्य ठाकुर होंगे तो इस बात पर रत्नयक्ष मान गए. बाद में, वही हुआ और पांडव युद्ध जीतने के बाद उन्हें पिटारी में उठाकर हिमालय की ओर ले आए.

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फोटो.

कमरूघाटी में एक भेड़पालक की सादगी से रत्नयक्ष प्रभावित हुए और वहीं ठहरने मन बनाया. रत्नयक्ष ने उस भेड़पालक व पांडवों को बताया कि वह इसी प्रदेश में त्रेतायुग में पैदा हुए थे और मैंने एक नाग भक्तिनी नारी के गर्भ में नौ पुत्रों के साथ जन्म लिया था. हमारी मां हमें एक पिटारे में रखती थी और एक दिन पिटारा यह जानकार अतिथि महिला के हाथ से गिर गया कि इसमें सांप के बच्चे हैं और हम आग में गिर गए और जान बचाने को मैं यहां झील किनारे कुंवर घास में छिप गया. बाद में, माता ने मुझे यहां ढूंढ लिया तो मेरा नाम कुंवरूनाग रख दिया. 'मैं वही कुंवरूनाग इस युग में रत्नयक्ष राजा हूं'.

सुंदरनगर: हिमाचल प्रदेश में सर्दियों का मौसम शुरू होते ही ठंड का प्रकोप भी बढ़ने लग गया है. इसी को लेकर ईटीवी भारत हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला में स्थित पवित्र कमरुनाग झील के समीप 8 हजार फुट की ऊंचाई पर पहुंचा जहां देखा कि प्रदेश में ठंड बढ़ने के साथ ही विश्वविख्यात देव कमरूनाग की पवित्र झील पूरी तरह से जम चुकी है. क्षेत्र में दिन और रात के समय तापमान शून्य से नीचे पहुंच रहा है.

झील के ऊपर पानी जम जाने की करीब 3 से 4 इंच मोटी परत बन गई है. झील जम जाने से अब देव कमरुनाग की झील में छिपे अरबों के खजाने पर लुटेरों की निगाह पड़ सकती है. झील की सुरक्षा के लिए मंदिर कमेटी ने पुख्ता इंतजाम कर दिए हैं. कमरुनाग झील क्षेत्र में हुई ताजा बर्फबारी के बाद देव कमेटी के सदस्य भी निचले इलाकों में वापिस आ गए हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

बर्फबारी के कारण कई माह तक मंदिर के कपाट बंद रहते हैं

हालांकि बर्फबारी के उपरांत प्रशासन व देव कमरुनाग कमेटी के द्वारा श्रद्धालुओं से मंदिर आने की मनाही की गई है, लेकिन देव कमरुनाग के प्रति श्रद्धालुओं की अगाध आस्था दर्शन करने के लिए साहस जुटा देती है. बता दें कि देव कमरुनाग का मंदिर व पवित्र झील समुद्र तल से लगभग 8 हजार फुट की ऊंचाई पर मौजूद है और सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण कई माह तक मंदिर के कपाट बंद रहते हैं.

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कमरुनाग झील

पवित्र झील पूरी तरह से जम चुकी है

वहीं, आपको बता दें कि कमरुनाग मंदिर में हर वर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं, लेकिन इस वर्ष कोरोना काल के बीच यहां पर श्रद्धालु कम ही देखने को मिले हैं. जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने रोहांडा पंचायत के प्रधान प्रकाश चंद से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि देव कमरूनाग मंदिर में हाल ही के दिनों में हुई बर्फबारी के बाद पवित्र झील पूरी तरह से जम चुकी है.

हिमपात होने के कारण यहां पर हमेशा जान का खतरा बना रहता है

उन्होंने कहा कि क्षेत्र में हुई ताजा बर्फबारी के बावजूद भी मंदिर में आने के लिए श्रद्धालुओं का सिलसिला जारी है. उन्होंने कहा कि हिमपात होने के कारण यहां पर हमेशा जान का खतरा बना रहता है. उन्होंने आम जनता से आग्रह किया है कि दिसंबर से जनवरी तक मंदिर आने से परहेज करें, ताकि कोई अनहोनी ना हो सके.

वीडियो

देव कमरुनाग मंदिर पहुंची मंडी जिला निवासी दीक्षिता ने कहा कि देव कमरूनाग मंदिर आने के लिए उनके मन में देवता के प्रति उनकी श्रद्धा है. उन्होंने कहा कि देव कमरूनाग की झील पूरी तरह से जमी हुई है. उन्होंने कहा कि बर्फबारी में देव कमरूनाग मंदिर आकर गलती तो की है, लेकिन देवता को लेकर उनकी श्रद्धा व विश्वास से ही पहली बार देव कमरुनाग के मंदिर पहुंच पाए हैं.

कौन हैं कमरुनाग

महाभारत में कृष्ण ने रत्नयक्ष योद्धा को मारकर उसका धड़ युद्ध क्षेत्र में अपने रथ की पताका से टांग दिया था, ताकि वह महाभारत का युद्ध देख सकें, लेकिन जिस ओर भी रत्नयक्ष का चेहरा घूमता कौरवों व पांडवों की सेना डर के मारे उसकी हुंकार से भागने लगती थी. कृष्ण ने उससे प्रार्थना कर युद्ध में तटस्थ रहने का आग्रह किया, ताकि पांडव युद्ध जीत जाएं और वे पांडवों के पूज्य ठाकुर होंगे तो इस बात पर रत्नयक्ष मान गए. बाद में, वही हुआ और पांडव युद्ध जीतने के बाद उन्हें पिटारी में उठाकर हिमालय की ओर ले आए.

special story of etv bharat on Kamarunag lake located in Mandi district
फोटो.

कमरूघाटी में एक भेड़पालक की सादगी से रत्नयक्ष प्रभावित हुए और वहीं ठहरने मन बनाया. रत्नयक्ष ने उस भेड़पालक व पांडवों को बताया कि वह इसी प्रदेश में त्रेतायुग में पैदा हुए थे और मैंने एक नाग भक्तिनी नारी के गर्भ में नौ पुत्रों के साथ जन्म लिया था. हमारी मां हमें एक पिटारे में रखती थी और एक दिन पिटारा यह जानकार अतिथि महिला के हाथ से गिर गया कि इसमें सांप के बच्चे हैं और हम आग में गिर गए और जान बचाने को मैं यहां झील किनारे कुंवर घास में छिप गया. बाद में, माता ने मुझे यहां ढूंढ लिया तो मेरा नाम कुंवरूनाग रख दिया. 'मैं वही कुंवरूनाग इस युग में रत्नयक्ष राजा हूं'.

Last Updated : Dec 7, 2020, 7:09 PM IST
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