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मेडिकल कॉलेज नेरचौक को कोविड सेंटर बनाने से लोग परेशान, जल्द OPD शुरू करने की मांग

मेडिकल कॉलेज नेरचौक में ओपीडी शुरू करने के लिए दलित, पिछड़ा अल्पसंख्यक वर्ग और अन्य संगठनों ने नेरचौक से हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत कर दी है. पढ़ें पूरा मामला...

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Published : Jul 6, 2020, 1:49 PM IST

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OPD शुरू करने के लिए हस्ताक्षर अभियान

सुंदरनगर: लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज व नेरचौक अस्पताल में ओपीडी शुरू करने के लिए दलित, पिछड़ा अल्पसंख्यक वर्ग और अन्य संगठनो ने हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत कर दी है. दलित, पिछड़ा, अल्पसंख्यक वर्ग के संयोजक और पूर्व जिला परिषद सदस्य चमन राही की अगुवाई में हस्ताक्षर अभियान का आयोजन करने के बाद मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भी भेजा गया.

वीडियो.

बता दें कि कोविड-19 के संकट के बीच नेरचौक मेडिकल कॉलेज को समर्पित कोविड अस्पताल बनाया गया है और यहां इमरजेंसी और फ्लू ओपीडी को छोड़कार बाकी सारी ओपीडी पिछले करीब तीन माह से बंद पड़ी हैं. मेडिकल कॉलेज में करीब डेढ़ साल पहले अस्पताल का शुभारंभ हुआ है और पहले एक साल के दौरान इस अस्पताल में करीब तीन लाख लोग अपना इलाज करवाने पहुंचे.

यह अस्पताल मंडी जिला और इसके साथ लगते क्षेत्रों के तकरीबन 15 से 18 लाख लोगों की स्वास्थ्य सुविधाओं के केंद्र के रूप में उभरा है. विभिन्न संगठनो ने ज्ञापन के माध्यम से कहा है कि नेरचौक मेडिकल कॉलेज के इंफ्रास्ट्रक्चर पर तकरीबन एक हजार करोड़ रुपये का खर्च किया गया है और इस संस्थान को चलाने के लिए महीने के करीब सात करोड़ खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन अब इस संस्थान को कोविड अस्पताल बनाए जाने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

ये भी पढे़ं: कुल्लू में एक बार फिर कोरोना की दस्तक, ITBP जवान समेत एक महिला की रिपोर्ट आई पॉजिटिव

सुंदरनगर: लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज व नेरचौक अस्पताल में ओपीडी शुरू करने के लिए दलित, पिछड़ा अल्पसंख्यक वर्ग और अन्य संगठनो ने हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत कर दी है. दलित, पिछड़ा, अल्पसंख्यक वर्ग के संयोजक और पूर्व जिला परिषद सदस्य चमन राही की अगुवाई में हस्ताक्षर अभियान का आयोजन करने के बाद मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भी भेजा गया.

वीडियो.

बता दें कि कोविड-19 के संकट के बीच नेरचौक मेडिकल कॉलेज को समर्पित कोविड अस्पताल बनाया गया है और यहां इमरजेंसी और फ्लू ओपीडी को छोड़कार बाकी सारी ओपीडी पिछले करीब तीन माह से बंद पड़ी हैं. मेडिकल कॉलेज में करीब डेढ़ साल पहले अस्पताल का शुभारंभ हुआ है और पहले एक साल के दौरान इस अस्पताल में करीब तीन लाख लोग अपना इलाज करवाने पहुंचे.

यह अस्पताल मंडी जिला और इसके साथ लगते क्षेत्रों के तकरीबन 15 से 18 लाख लोगों की स्वास्थ्य सुविधाओं के केंद्र के रूप में उभरा है. विभिन्न संगठनो ने ज्ञापन के माध्यम से कहा है कि नेरचौक मेडिकल कॉलेज के इंफ्रास्ट्रक्चर पर तकरीबन एक हजार करोड़ रुपये का खर्च किया गया है और इस संस्थान को चलाने के लिए महीने के करीब सात करोड़ खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन अब इस संस्थान को कोविड अस्पताल बनाए जाने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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