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SPECIAL: मंडी शिवरात्रि महोत्सव, एक देवता ऐसे भी जो नशा करने पर काटते हैं चालान!

प्रदेश के सांस्कृतिक राजधानी छोटीकाशी मंडी में शिवरात्रि महोत्सव पर विशेष तौर पर चौहारघाटी के बड़ादेव हुरंग नारायण नशा मुक्ति का संदेश देते हैं. घाटी के आधा दर्जन के लगभग देवी देवता बड़ादेव सुरंग नारायण की अगुवाई में जलेब में शिरकत करते हैं.

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शिवरात्रि महोत्सव मंडी
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Published : Feb 27, 2020, 9:43 PM IST

मंडीः देश और प्रदेश भर में चिट्टे जैसे घातक नशे की चपेट में आने से युवा पीढ़ी गर्त में जा रही है. सरकार की तरफ से नशे पर रोक लगाने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन यह प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं

वहीं दूसरी तरफ देव समाज सदियों से नशा मुक्ति का संदेश दे रहा है. प्रदेश के सांस्कृतिक राजधानी छोटीकाशी मंडी में शिवरात्रि महोत्सव पर विशेष तौर पर चौहारघाटी के बड़ादेव हुरंग नारायण नशा मुक्ति का संदेश देते हैं. घाटी के आधा दर्जन के लगभग देवी देवता बड़ादेव सुरंग नारायण की अगुवाई में जलेब में शिरकत करते हैं.

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मंडी शिवरात्रि महोत्सव

देवता बकायदा पट्टिका लगाकर धूम्रपान निषेध का संदेश देते हैं. शिवरात्रि महोत्सव में देव दर्शन के लिए देवता ऐतिहासिक पड्डल मैदान में विराजते हैं. देवता के कारदार राजूराम ने कहा कि देवता का मूल स्थान हुरंग में है. मूल स्थान के आधा किलोमीटर के दायरे में धूम्रपान और मवेशियों का प्रवेश निषेध है.

वीडियो.

कारदार ने कहा कि देव हुरंग नारायण ग्वाला देवता हैं. बाल अवतार में उन्हें पशु चराने का काम करना पड़ा था. बड़ादेव को चार घाटियों का देवता माना जाता है. वह शिवरात्रि महोत्सव की जलेब में शिरकत करते है. इन देवता की अपनी एक अदालत है, जिसमें सहयोगी देवता उनके दरबारी हैं. देवता को चौहारघाटी का बड़ा देव माना जाता है.

आपको बता दें कि चौहारघाटी के देवरथों की शैली बिल्कुल अलग है. इन्हें मीलों दूर से भी पहचाना जा सकता है. देवता के मूल स्थान के नजदीक कोई धूम्रपान करके नहीं जा सकता है. यदि कोई ऐसा करता है तो उसे जुर्माना लगाया जाता है. सदियों से यह परंपरा चली आ रही है.

एक तरफ जहां सरकार नशे पर रोक लगाने के लिए प्रयास कर रही है तो वहीं, देव समाज भी इसमें अपना सहयोग दे रहा है. जलेब में धूम्रपान निषेध की पट्टिका को साथ लिए देवता चलते हैं. जिससे लोगों में नशा मुक्ति का संदेश जा सके.

ये भी पढे़ंः महाशिवरात्रि महोत्सव में छठे दिन आयोजित हुआ देव खेल, जानिए इसका रहस्य

मंडीः देश और प्रदेश भर में चिट्टे जैसे घातक नशे की चपेट में आने से युवा पीढ़ी गर्त में जा रही है. सरकार की तरफ से नशे पर रोक लगाने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन यह प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं

वहीं दूसरी तरफ देव समाज सदियों से नशा मुक्ति का संदेश दे रहा है. प्रदेश के सांस्कृतिक राजधानी छोटीकाशी मंडी में शिवरात्रि महोत्सव पर विशेष तौर पर चौहारघाटी के बड़ादेव हुरंग नारायण नशा मुक्ति का संदेश देते हैं. घाटी के आधा दर्जन के लगभग देवी देवता बड़ादेव सुरंग नारायण की अगुवाई में जलेब में शिरकत करते हैं.

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मंडी शिवरात्रि महोत्सव

देवता बकायदा पट्टिका लगाकर धूम्रपान निषेध का संदेश देते हैं. शिवरात्रि महोत्सव में देव दर्शन के लिए देवता ऐतिहासिक पड्डल मैदान में विराजते हैं. देवता के कारदार राजूराम ने कहा कि देवता का मूल स्थान हुरंग में है. मूल स्थान के आधा किलोमीटर के दायरे में धूम्रपान और मवेशियों का प्रवेश निषेध है.

वीडियो.

कारदार ने कहा कि देव हुरंग नारायण ग्वाला देवता हैं. बाल अवतार में उन्हें पशु चराने का काम करना पड़ा था. बड़ादेव को चार घाटियों का देवता माना जाता है. वह शिवरात्रि महोत्सव की जलेब में शिरकत करते है. इन देवता की अपनी एक अदालत है, जिसमें सहयोगी देवता उनके दरबारी हैं. देवता को चौहारघाटी का बड़ा देव माना जाता है.

आपको बता दें कि चौहारघाटी के देवरथों की शैली बिल्कुल अलग है. इन्हें मीलों दूर से भी पहचाना जा सकता है. देवता के मूल स्थान के नजदीक कोई धूम्रपान करके नहीं जा सकता है. यदि कोई ऐसा करता है तो उसे जुर्माना लगाया जाता है. सदियों से यह परंपरा चली आ रही है.

एक तरफ जहां सरकार नशे पर रोक लगाने के लिए प्रयास कर रही है तो वहीं, देव समाज भी इसमें अपना सहयोग दे रहा है. जलेब में धूम्रपान निषेध की पट्टिका को साथ लिए देवता चलते हैं. जिससे लोगों में नशा मुक्ति का संदेश जा सके.

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