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Mandi Disaster: अपना सबकुछ खो चुके कुकलाह प्रभावितों से फौरी राहत के नाम पर भद्दा मजाक, प्रशासन ने दिए मात्र 5 हजार रुपये

सराज घाटी के कुकलाह में 12 परिवार पूरी तरह से बेघर हो गए हैं. वहीं, फौरी राहत के नाम पर आपदा प्रभावितों ने उनके साथ भद्दा मजाक करने के आरोप लगाए हैं. प्रभावितों का आरोप है कि फौरी राहत के नाम पर प्रशासन ने मात्र 5 हजार रुपये थमाए हैं. यही नहीं इनसे ऐसे-ऐसे कागजात मांगे जा रहे हैं जोकि घर के साथ ही दब गए हैं. पढ़ें पूरी खबर.. (Kuklah Affected Family) (Mandi Disaster)

12 families homeless in Kuklah village
कुकलाह गांव में 12 परिवार पूरी तरह से बेघर
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 17, 2023, 9:32 PM IST

Updated : Sep 17, 2023, 10:45 PM IST

कुकलाह के प्रभावितों का बयान

मंडी: हिमाचल प्रदेश में मानसून सीजन के दौरान आई त्रासदी से सैकड़ो परिवार पूरी तरह से बेघर हो गए हैं. इनमें से बहुत से लोगों के पास तन पर पहने कपड़ों के सिवाय और कुछ भी नहीं बचा है. कुछ ऐसी ही कहानी है सराज विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले कुकलाह गांव के प्रभावितों की. जहां 12 परिवार पूरी तरह से बेघर हो गए हैं. इनके पास शरीर पर पहने कपड़ों के अलावा कुछ भी नहीं बचा है. इन लोगों का कहना है कि पहले तो कुदरत के कहर ने इनका सबकुछ छीन लिया, जिसका गम भुलाये नहीं भूल रहा है. वहीं, जब सरकार से मुआवजा लेने की बात आई तो इनके साथ प्रशासन द्वारा भद्दा मजाक किया जा रहा है.

Mandi Disaster
तंबू बनाकर खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर प्रभावित

दरअसल, प्रभावितों का आरोप है कि पहले तो प्रशासन ने फौरी राहत के तौर पर इन्हें मात्र पांच- पांच हजार की राशि थमा दी. वहींं, जब सरकार के एलान के अनुसार एक-एक लाख रुपया मुआवजा लेने की बारी आई तो प्रशासन ने इतनी औपचारिकताएं बता दी कि जो 5 हजार मिले हैं वह भी खर्च हो गए. गांव के प्रभावित धर्म चंद और भागीरथ ने बताया कि आपदा के एक सप्ताह बाद जब मीडिया में खबर लगी तब जाकर इन्हें पांच हजार की राशि मिली थी और अब एक महीना बीत जाने के बाद भी सरकार व प्रशासन की तरफ से कोई राहत नहीं मिल पाई है. इनसे ऐसे-ऐसे कागजात मांगे जा रहे हैं जोकि घर के साथ ही दब गए हैं, अब उन्हें कहां से लेकर आएं. इन्होंने प्रशासन से मांग की है कि इन्हें जल्द से जल्द उचित मुआवजा अदा किया जाए.

Mandi Disaster
खुले आसमान के नीचे हो रहा गुजारा

बता दें कि बीते 23 अगस्त को आई आपदा में कुकलाह गांव में 12 घर पूरी तरह से जमींदोज हो गए थे. इनके पास अब रहने के लिए कोई स्थान नहीं बचा है. प्रभावित गीता देवी और फते राम ने बताया कि उन्हें प्रशासन की तरफ से जो तिरपाल दिए गए हैं, उनके तंबू बनाकर वे खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गए हैं. स्थानीय लोग कुछ मदद कर रहे हैं और कुछ अस्थायी ठिकाने भी बनाए हैं, लेकिन सरकार जल्द से जल्द जमीन उपलब्ध करवाकर घर बनाकर दे.

Mandi Disaster
आपदा में उजड़ गए घर

स्थानीय वार्ड सदस्य पदमा देवी ने बताया कि प्रभावितों को मात्र 5-5 हजार की फौरी राहत दी गई है. जोकि किसी भी लिहाज से उचित नहीं है. प्रभावितों के पास कुछ भी शेष नहीं बचा है. सरकार और प्रशासन से अनुरोध है कि प्रभावितों को ज्यादा से ज्यादा मदद दी जाए और जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई की जाए.

Mandi Disaster
मलबे में तबदील हुए आशियाने

एसडीएम बालीचौकी मोहन शर्मा ने बताया कि प्रभावितों की यथासंभव मदद की जा रही है. फौरी राहत की राशि पूरे मुआवजे से काटी जाती है. यदि फौरी राहत कम मिली है तो बाद में मिलने वाले मुआवजे में यह एडजस्ट होती है. नियमों के तहत सारी औपचारिकताएं पूरी करके जल्द ही सारा मुआवजा दे दिया जाएगा. प्रभावितों की हर समस्या के समाधान के लिए प्रशासन पूरी तरह से तत्पर है.

ये भी पढ़ें: Mandi Disaster: आपदा का शिकार हुआ घ्राण स्कूल, किराए के कमरों में चल रही क्लास, बच्चों ने सरकार से लगाई नया भवन बनाने की गुहार

कुकलाह के प्रभावितों का बयान

मंडी: हिमाचल प्रदेश में मानसून सीजन के दौरान आई त्रासदी से सैकड़ो परिवार पूरी तरह से बेघर हो गए हैं. इनमें से बहुत से लोगों के पास तन पर पहने कपड़ों के सिवाय और कुछ भी नहीं बचा है. कुछ ऐसी ही कहानी है सराज विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले कुकलाह गांव के प्रभावितों की. जहां 12 परिवार पूरी तरह से बेघर हो गए हैं. इनके पास शरीर पर पहने कपड़ों के अलावा कुछ भी नहीं बचा है. इन लोगों का कहना है कि पहले तो कुदरत के कहर ने इनका सबकुछ छीन लिया, जिसका गम भुलाये नहीं भूल रहा है. वहीं, जब सरकार से मुआवजा लेने की बात आई तो इनके साथ प्रशासन द्वारा भद्दा मजाक किया जा रहा है.

Mandi Disaster
तंबू बनाकर खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर प्रभावित

दरअसल, प्रभावितों का आरोप है कि पहले तो प्रशासन ने फौरी राहत के तौर पर इन्हें मात्र पांच- पांच हजार की राशि थमा दी. वहींं, जब सरकार के एलान के अनुसार एक-एक लाख रुपया मुआवजा लेने की बारी आई तो प्रशासन ने इतनी औपचारिकताएं बता दी कि जो 5 हजार मिले हैं वह भी खर्च हो गए. गांव के प्रभावित धर्म चंद और भागीरथ ने बताया कि आपदा के एक सप्ताह बाद जब मीडिया में खबर लगी तब जाकर इन्हें पांच हजार की राशि मिली थी और अब एक महीना बीत जाने के बाद भी सरकार व प्रशासन की तरफ से कोई राहत नहीं मिल पाई है. इनसे ऐसे-ऐसे कागजात मांगे जा रहे हैं जोकि घर के साथ ही दब गए हैं, अब उन्हें कहां से लेकर आएं. इन्होंने प्रशासन से मांग की है कि इन्हें जल्द से जल्द उचित मुआवजा अदा किया जाए.

Mandi Disaster
खुले आसमान के नीचे हो रहा गुजारा

बता दें कि बीते 23 अगस्त को आई आपदा में कुकलाह गांव में 12 घर पूरी तरह से जमींदोज हो गए थे. इनके पास अब रहने के लिए कोई स्थान नहीं बचा है. प्रभावित गीता देवी और फते राम ने बताया कि उन्हें प्रशासन की तरफ से जो तिरपाल दिए गए हैं, उनके तंबू बनाकर वे खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गए हैं. स्थानीय लोग कुछ मदद कर रहे हैं और कुछ अस्थायी ठिकाने भी बनाए हैं, लेकिन सरकार जल्द से जल्द जमीन उपलब्ध करवाकर घर बनाकर दे.

Mandi Disaster
आपदा में उजड़ गए घर

स्थानीय वार्ड सदस्य पदमा देवी ने बताया कि प्रभावितों को मात्र 5-5 हजार की फौरी राहत दी गई है. जोकि किसी भी लिहाज से उचित नहीं है. प्रभावितों के पास कुछ भी शेष नहीं बचा है. सरकार और प्रशासन से अनुरोध है कि प्रभावितों को ज्यादा से ज्यादा मदद दी जाए और जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई की जाए.

Mandi Disaster
मलबे में तबदील हुए आशियाने

एसडीएम बालीचौकी मोहन शर्मा ने बताया कि प्रभावितों की यथासंभव मदद की जा रही है. फौरी राहत की राशि पूरे मुआवजे से काटी जाती है. यदि फौरी राहत कम मिली है तो बाद में मिलने वाले मुआवजे में यह एडजस्ट होती है. नियमों के तहत सारी औपचारिकताएं पूरी करके जल्द ही सारा मुआवजा दे दिया जाएगा. प्रभावितों की हर समस्या के समाधान के लिए प्रशासन पूरी तरह से तत्पर है.

ये भी पढ़ें: Mandi Disaster: आपदा का शिकार हुआ घ्राण स्कूल, किराए के कमरों में चल रही क्लास, बच्चों ने सरकार से लगाई नया भवन बनाने की गुहार

Last Updated : Sep 17, 2023, 10:45 PM IST
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