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Kargil Vijay Diwas: कारगिल युद्ध में जीत की कहानी, जानिए ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर की जुबानी

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Published : Jul 26, 2023, 12:46 PM IST

26 जुलाई 1999 को भारत ने कारगिल की चोटियों पर पाकिस्तान को शिकस्त की दी. दुश्मन देश की हर चाल को नाकामयाब किया था. कारगिल युद्ध के हीरो और हिमाचल की वीर सपूत ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर से जानिए कारगिल युद्ध की दास्तां. (Kargil Vijay Diwas 26 July)

Kargil Vijay Diwas.
मंडी में मनाया कारगिल विजय दिवस.

मंडी: भारत के वीर योद्धाओं ने 26 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को हरा कर कारगिल की ऊंची चोटियों पर विजय हासिल की थी. जिसके चलते हर साल 26 जुलाई को पूरा देश कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाता है. ऑपरेशन विजय यानि कारगिल युद्ध में हिमाचल प्रदेश के वीर जवानों ने अपना शौर्य प्रदर्शित किया. इस दौरान प्रदेश के 52 बहादुर सैनिक शहीद हुए. इस युद्ध में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के सबसे ज्यादा 15 जवान शहीद हुए. कांगड़ा के बाद सबसे ज्यादा मंडी जिले के जवान शहीद हुए थे. यहां से 12 जवानों ने शहादत पाई थी.

कारगिल युद्ध के हीरो, ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर: कारगिल युद्ध के जांबाज योद्धाओं में एक नाम ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर का भी आता है, जिन्हें कारगिल युद्ध का हीरो भी कहा जाता है. ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर मंडी जिला के द्रंग विधानसभा क्षेत्र के निवासी हैं. इनके नेतृत्व वाली 18 ग्रेनेडियर ने न केवल टाइगर हिल और तोलोलिंग पर विजय पताका फहराया, बल्कि कारगिल युद्ध की जीत का रास्ता भी तैयार किया था.

Brigadier Khushal Thakur.
ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर, कारगिल युद्ध के हीरो.

22 दिन तक चली तोलोलिंग की चोटियों पर लड़ाई: ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने बताया कि 20 मई 1999 को तोलोलिंग की चोटी पर कब्जा करने के लिए चढ़े, तो पता चला कि वहां बड़ी संख्या में पाकिस्तानी फौज मौजूद थी. 8 हजार फीट की ऊंचाई और पथरीली सीधी चढ़ाई, माइनस डिग्री तापमान में छिपने के लिए सिर्फ पत्थर थे. 12 और 13 जून की रात को तोलोलिंग चोटी को भारतीय सेना ने फतह कर लिया. तोलोलिंग की भयानक लड़ाई 22 दिन तक लड़ी गई.

टाइगर हिल और तोलोलिंग ने साफ किया कारगिल विजय का रास्ता: ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने बताया कि उसके बाद उनकी यूनिट द्रास सेक्टर की सबसे कठिन चोटी टाइगर हिल की तरफ बढ़ी और कड़े संघर्ष के बाद उसे भी फतह कर लिया. उन्होंने बताया कि 18 ग्रेनेडियर ने 2 राजपूताना राइफल्स के साथ मिलकर टाइगर हिल और तोलोलिंग पर विजयी पताका फहराने के बाद ही कारगिल विजय का रास्ता साफ हुआ था. 18 ग्रेनेडियर को ही सबसे ज्यादा 52 वीरता पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं.

ये भी पढे़ं: Kargil Vijay Diwas: हिमाचल प्रदेश के 52 वीरों ने दिया था सर्वोच्च बलिदान, ये रहे नाम

'दुश्मन से निपटने के बाद ही पढूंगा खत': ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर बताते हैं कि युद्ध के दौरान एक दिन मेजर राजेश अधिकारी को घर से एक खत आया, लेकिन उन्होंने उसे यह कह कर पढ़ने से मना कर दिया था कि पहले दुश्मनों से निपट लूं, उसके बाद खत पढूंगा. उसके बाद पूरी रात वह युद्ध में दुश्मनों से लोहा लेते रहे और मेजर राजेश अधिकारी की टीम ने फतह हासिल कर ली, लेकिन खत पढ़ने के लिए वह जीवित नहीं रहे.

'गोद में ही शहीद हो गए थे कर्नल': ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने बताया कि तोलोलिंग हिल को हासिल करने के लिए लड़ाई जारी थी, लेकिन इस दौरान मेजर राजेश अधिकारी समेत 25 वीर जवान शहादत का जाम पी चुके थे. ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने बताया कि इसके बाद मोर्चा संभालते ही कर्नल विश्वनाथन भी आगे बढ़ गए. इस दौरान वह गंभीर घायल हो गए और गिर पड़े. एक तरह भारी बर्फबारी हो रही थी, तो दूसरी तरफ दुश्मन गोलियां दाग रहा था. ब्रिगेडियर खुशाल द्वारा कर्नल विश्वनाथन को एक पत्थर के नीचे लाया गया और उन्हें सहलाने लगे, उसी दौरान कर्नल उनकी गोद में ही शहीद हो गए.

मंडी जिले के 12 वीर सपूत हुए थे शहीद: 3 महीने चले कारगिल युद्ध में 527 भारतीय सैनिक शहीद हुए और 1367 जख्मी हुए थे. मंडी जिले के 12 वीर जवानों ने शहादत का जाम पिया था. जिसमें कैप्टन दीपक गुलेरिया, नायक अशोक कुमार, ग्रिनेडियर पॉल चंद, नायक मेहर सिंह, सिपाही टेकचंद, नायक सरवन कुमार, ग्रिनेडियर नरेश कुमार, नायब सूबेदार खेमचंद, हवलदार कृष्ण चंद, हवलदार गुरदास सिंह, सिपाही राजेश चौहान, सिपाही हीरा सिंह शामिल हैं.

मंडी के शहीद स्मारक में कार्यक्रम: कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य पर 26 जुलाई को मंडी शहर में स्थित शहीद स्मारक में जिला स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. इस अवसर पर देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले शहीदों को श्रद्धासुमन और भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई. कार्यक्रम में शहीदों के परिजनों, गैलेंट्री अवार्ड से अलंकृत सैनिकों और उनके परिवारजनों को विशेष तौर पर मौजूद रहे.

ये भी पढे़ं: Kargil Vijay Diwas: हर कदम बिखरा के अपना खून, अपनी बोटियां, जब शहीदों ने बचाई कारगिल की चोटियां

मंडी: भारत के वीर योद्धाओं ने 26 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को हरा कर कारगिल की ऊंची चोटियों पर विजय हासिल की थी. जिसके चलते हर साल 26 जुलाई को पूरा देश कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाता है. ऑपरेशन विजय यानि कारगिल युद्ध में हिमाचल प्रदेश के वीर जवानों ने अपना शौर्य प्रदर्शित किया. इस दौरान प्रदेश के 52 बहादुर सैनिक शहीद हुए. इस युद्ध में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के सबसे ज्यादा 15 जवान शहीद हुए. कांगड़ा के बाद सबसे ज्यादा मंडी जिले के जवान शहीद हुए थे. यहां से 12 जवानों ने शहादत पाई थी.

कारगिल युद्ध के हीरो, ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर: कारगिल युद्ध के जांबाज योद्धाओं में एक नाम ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर का भी आता है, जिन्हें कारगिल युद्ध का हीरो भी कहा जाता है. ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर मंडी जिला के द्रंग विधानसभा क्षेत्र के निवासी हैं. इनके नेतृत्व वाली 18 ग्रेनेडियर ने न केवल टाइगर हिल और तोलोलिंग पर विजय पताका फहराया, बल्कि कारगिल युद्ध की जीत का रास्ता भी तैयार किया था.

Brigadier Khushal Thakur.
ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर, कारगिल युद्ध के हीरो.

22 दिन तक चली तोलोलिंग की चोटियों पर लड़ाई: ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने बताया कि 20 मई 1999 को तोलोलिंग की चोटी पर कब्जा करने के लिए चढ़े, तो पता चला कि वहां बड़ी संख्या में पाकिस्तानी फौज मौजूद थी. 8 हजार फीट की ऊंचाई और पथरीली सीधी चढ़ाई, माइनस डिग्री तापमान में छिपने के लिए सिर्फ पत्थर थे. 12 और 13 जून की रात को तोलोलिंग चोटी को भारतीय सेना ने फतह कर लिया. तोलोलिंग की भयानक लड़ाई 22 दिन तक लड़ी गई.

टाइगर हिल और तोलोलिंग ने साफ किया कारगिल विजय का रास्ता: ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने बताया कि उसके बाद उनकी यूनिट द्रास सेक्टर की सबसे कठिन चोटी टाइगर हिल की तरफ बढ़ी और कड़े संघर्ष के बाद उसे भी फतह कर लिया. उन्होंने बताया कि 18 ग्रेनेडियर ने 2 राजपूताना राइफल्स के साथ मिलकर टाइगर हिल और तोलोलिंग पर विजयी पताका फहराने के बाद ही कारगिल विजय का रास्ता साफ हुआ था. 18 ग्रेनेडियर को ही सबसे ज्यादा 52 वीरता पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं.

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'दुश्मन से निपटने के बाद ही पढूंगा खत': ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर बताते हैं कि युद्ध के दौरान एक दिन मेजर राजेश अधिकारी को घर से एक खत आया, लेकिन उन्होंने उसे यह कह कर पढ़ने से मना कर दिया था कि पहले दुश्मनों से निपट लूं, उसके बाद खत पढूंगा. उसके बाद पूरी रात वह युद्ध में दुश्मनों से लोहा लेते रहे और मेजर राजेश अधिकारी की टीम ने फतह हासिल कर ली, लेकिन खत पढ़ने के लिए वह जीवित नहीं रहे.

'गोद में ही शहीद हो गए थे कर्नल': ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने बताया कि तोलोलिंग हिल को हासिल करने के लिए लड़ाई जारी थी, लेकिन इस दौरान मेजर राजेश अधिकारी समेत 25 वीर जवान शहादत का जाम पी चुके थे. ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने बताया कि इसके बाद मोर्चा संभालते ही कर्नल विश्वनाथन भी आगे बढ़ गए. इस दौरान वह गंभीर घायल हो गए और गिर पड़े. एक तरह भारी बर्फबारी हो रही थी, तो दूसरी तरफ दुश्मन गोलियां दाग रहा था. ब्रिगेडियर खुशाल द्वारा कर्नल विश्वनाथन को एक पत्थर के नीचे लाया गया और उन्हें सहलाने लगे, उसी दौरान कर्नल उनकी गोद में ही शहीद हो गए.

मंडी जिले के 12 वीर सपूत हुए थे शहीद: 3 महीने चले कारगिल युद्ध में 527 भारतीय सैनिक शहीद हुए और 1367 जख्मी हुए थे. मंडी जिले के 12 वीर जवानों ने शहादत का जाम पिया था. जिसमें कैप्टन दीपक गुलेरिया, नायक अशोक कुमार, ग्रिनेडियर पॉल चंद, नायक मेहर सिंह, सिपाही टेकचंद, नायक सरवन कुमार, ग्रिनेडियर नरेश कुमार, नायब सूबेदार खेमचंद, हवलदार कृष्ण चंद, हवलदार गुरदास सिंह, सिपाही राजेश चौहान, सिपाही हीरा सिंह शामिल हैं.

मंडी के शहीद स्मारक में कार्यक्रम: कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य पर 26 जुलाई को मंडी शहर में स्थित शहीद स्मारक में जिला स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. इस अवसर पर देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले शहीदों को श्रद्धासुमन और भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई. कार्यक्रम में शहीदों के परिजनों, गैलेंट्री अवार्ड से अलंकृत सैनिकों और उनके परिवारजनों को विशेष तौर पर मौजूद रहे.

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