मंडीः अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव मंडी के समापन के दिन आज इलाका द्रंग के उत्तरशाल से मंडी शिवरात्रि में शिरकत करने वाले प्राचीन देवता देव आदि ब्रह्मा ने मंडी शहर की परिक्रमा कर कार बांधी. इस दौरान मंडी शहर की सुरक्षा का वादा करते हुए उन्होंने शहर वासियों को सभी तरह की बीमारियों व आसुरी शक्तियों से निजात दिलवाने का वादा किया. आदि ब्रह्मा के गुर ने जानकारी देते हुए बताया यह एक पौराणिक और प्राचीन परंपरा है जो विरासत काल से चली आ रही है जिसका हर वर्ष परंपरा के साथ निर्वहन किया जाता है.
आदि देव ब्रहा की उत्पत्ति की कहानी
आदि देव ब्रह्मा टिहरी उतरशाल का मंदिर कटौला के समीप गांव टिरी में स्थित है. देव आदि ब्रह्मा की उत्पत्ति प्राचीनतम मानी गई है, जिसके बारे में गाथाओं में ही उल्लेख मिलता है. बुजुर्गों के अनुसार देवता एक 6 माह की कन्या को उस समय मिला था जब उसके माता पिता खेत में काम कर रहे थे. बच्ची खेत में खेल रही थी और उसके हाथ में एक कुदाल थी. खेलते-खेलते बच्चों ने कुदाल को जमीन पर मारा, तो एक मोहरा कुदाल के साथ बाहर आ गया जो श्री देव आदि ब्रहा का था. आज भी उस मोहरे के सिर में कुदाल का छेद है, जोकि रथ में विराजमान है. जहां मोहरा प्रकट हुआ वहां पर पंडितों का गांव था इस गांव में 60 परिवार रहते थे.
बताया जाता है कि मंडी निवासी एक भयंकर बीमारी के शिकार हो गए थे. उस समय मंडी की रक्षा का जिम्मा श्री देव आदि ब्रहा ने संभाला और एक बकरा साथ लेकर मंडी की परिक्रमा सेरी मंच से आरंभ करके पूरे नगर से होकर सेरीमंच पर इसका समापन किया. इसके पश्चात लोगों को बीमारी से छुटकारा मिल गया. तब से लेकर आज तक महाशिवरात्रि के दौरान यह परिक्रमा मंडीवासियों की सुख समृद्धि के लिए देवता द्वारा की जाती है.
देव आदि ब्रह्मा की परिक्रमा के बाद मेला होता समाप्त
सर्व देवता समिति प्रधान शिव शर्मा ने कहा कि हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि मेला के समापन पर देव आदि ब्रह्मा मंडी शहर की परिक्रमा लगाते हैं और सुरक्षा दीवार बनाते हैं. यह कार्यक्रम मंडी शहर के ऐतिहासिक सिद्ध काली मंदिर से शुरू होकर ऐतिहासिक सेरी मंच पर समाप्त होता है. इस दौरान देवता के गोल पुजारी देवली आटा हवा में उछालते हैं. इसकी यह मान्यता है कि यह आटे की ही सुरक्षा दीवार देव आदि ब्रह्मा द्वारा मंडी शहर में लगाई जाती है. इस प्रक्रिया के उपरांत ऐतिहासिक सेरी मंच पर मेले का छोड़ा किया जाता है जिसके बाद शिवरात्रि मेला मंडी का समापन किया जाता है.
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