मंडी: हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश का प्रकोप जारी है. प्रदेश में भारी बारिश के कारण हजारों करोड़ों रुपयों का नुकसान हो चुका है, जबकि ये सिलसिला अभी रूका नहीं है. सैकड़ों परिवार इस आपदा का दंश झेल रहे हैं. कई परिवार बेघर हो गए हैं और राहत शिविरों में या फिर तंबुओं में रहने को मजबूर हो गए हैं. इस बार प्रदेश में भारी बारिश के कारण कई आशियाने तबाह हुए. मंडी जिले में भी बारिश का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है. जहां आज कई परिवार आपदा के कारण दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो गए हैं.
मंडी में बारिश का तांडव: मंडी जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीब परिवार को घर बनाने के लिए पैसे मिले थे. घर बनाने के लिए ईंट, पत्थर, रेत-बजरी सहित अन्य सामान इकट्ठा करके रखा हुआ था, लेकिन बीती 14 अगस्त को बारिश ने ऐसा तांडव मचाया कि घर बनाने के लिए इकट्ठा किया सामान तो बह ही गया. मगर जिस मकान में रह रहे थे वो भी अब रहने लायक नहीं बचा. यह कहानी है नगर निगम मंडी के वार्ड नंबर 4 नेला के शिल्लाहकिपड़ की सरोज देवी की.
गोद में दुधमुंही बच्ची, सर पर नहीं छत: बता दें की अब सरोज देवी अपनी दुधमुंही बच्ची के साथ राहत शिविर में दिन गुजारने को मजबूर हैं. सौली खड्ड में साक्षरता एवं जन विकास समिति के कार्यालय में चलाए जा रहे राहत शिविर में सरोज देवी अपने बच्चों और पति के साथ रह रही हैं. आपदा प्रभावित सरोज देवी ने नम आंखों से बताया कि उनका पुराना घर फ्लैश फ्लड की चपेट में आने से प्रभावित हो गया है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वे नया घर बना रहे थे, जिसका सारा सामान भी मलबे के साथ बह गया है. ऐसे में अब रहने को कोई आसरा नहीं बचा है. सरोज देवी ने सरकार से मदद की दरकार की है.
शाम होते ही वीरान पड़ता है ये इलाका: वहीं, शिल्लाहकिपड़ इलाका रोजाना शाम ढलते ही वीरान हो जा रहा है. बीती 14 अगस्त की सुबह शिल्लाहकिपड़ वालों के लिए कभी न भरने वाले जख्म लेकर आई. यहां भारी बारिश के कारण नाले में इतना ज्यादा मलबा बहकर आ गया कि उस मलबे की चपेट में आने से कोई घर अछूता नहीं रहा. तीन घर पूरी तरह से नष्ट हो गए और बाकी घरों को भी मलबे ने खासा नुकसान पहुंचाया. उसके बाद प्रभावितों के लिए दो स्थानों पर राहत शिविर लगाए गए जिसमें एक घुघता देव के मंदिर में है, जबकि दूसरा साक्षरता एवं जन विकास समिति के कार्यालय में है.
लोगों ने सुनाई आपबीती: आपदा प्रभावित विश्म्बर सिंह, खेम सिंह और कौशल्या देवी ने बताया कि दिन को वे अपने घरों की तरफ जाकर वहां व्यवस्था को सुधारने का काम करते हैं, तो शाम होते ही वापिस अपने राहत शिविरों में आ जाते हैं. इनका कहना है कि गांव वालों ने जो भयानक मंजर देखा है, उसके बाद अब रात को यहां ठहरने की हिम्मत नहीं हो रही है. बरसात जाने के बाद ही अब रात को वापिस अपने घरों में रहने को नसीब हो पाएगा.
'नुकसान की होगी भरपाई': वहीं, नेला वार्ड के पार्षद राजेंद्र मोहन ने बताया कि प्रभावितों को हर प्रकार की सुविधाएं प्रदान करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है. रहने और खाने की उचित व्यवस्था की गई है. जो भी नुकसान हुआ है उसकी भरपाई करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है. सरकार, नगर निगम और दानी सज्जनों के सहयोग से सभी प्रभावितों की यथासंभव मदद की जाएगी.
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