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स्कूल चलाने को 1 साल के लिए बुजुर्ग ने दिया था अपना घर, शिक्षा विभाग 5 साल से जमाए बैठा है 'डेरा'

मंडी में निहारी के तहत गांव धार बड़ेच के एक व्यक्ति को स्कूल चलाने के लिए अपने मकान का आधा हिस्सा देना महंगा पड़ गया.  गांव के धारी राम ने ग्रामीणों की भलाई के लिए अपने निजी मकान का आधा हिस्सा इस उम्मीद के साथ स्कूल चलाने के लिए दिया कि सरकार जल्द ही भवन निर्माण कर उनके मकान को खाली कर देगी, लेकिन अब पांच साल होने को है शिक्षा विभाग मकान के हिस्से को छोड़ने का नाम नहीं ले रहा.

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Published : Dec 28, 2019, 11:04 PM IST

घर में चल रहा प्राइमरी स्कूल
Primary school run in house

मंडी: दो साल पूरा होने के जश्न में डूबी सरकार के लिए ग्रामीण इलाकों की ये तस्वीरें आइना दिखाने वाली हैं. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी में निहारी के तहत गांव धार बड़ेच के एक व्यक्ति को स्कूल चलाने के लिए अपने मकान का आधा हिस्सा देना महंगा पड़ गया.

गांव के धारी राम ने ग्रामीणों की भलाई के लिए अपने निजी मकान का आधा हिस्सा इस उम्मीद के साथ स्कूल चलाने के लिए दिया कि सरकार जल्द ही भवन निर्माण कर उनके मकान को खाली कर देगी, लेकिन अब पांच साल होने को है शिक्षा विभाग मकान के हिस्से को छोड़ने का नाम नहीं ले रहा.

वीडियो

हैरानी की बात है कि धारी राम के घर से कोई भी इस स्कूल में नहीं पढ़ रहा है. इसके बाद भी गांव के लोगों की सुविधा के लिए धारी राम ने बिना किराए के स्कूल चलाने के लिए अपने मकान का आधा हिस्सा दे दिया. अब ये निर्णय धारी राम के लिए गले की फांस बना हुआ है.

हालांकि गांव में ही एक अन्य व्यक्ति जीवा राम ने स्कूल के लिए चार विस्वा भूमि दान की है, इसके बावजूद भी शिक्षा विभाग स्कूल के भवन का निर्माण नहीं करवा रहा. जिला मंडी के तहसील निहारी के तहत पड़ने वाले पंचायत बाडू-रोहड़ा के गांव धार बड़ेच में सरकार ने 21 जून 2015 में प्राइमरी स्कूल खोला था.

इसके लिए स्थानीय निवासी जीवा राम ने चार बिस्वा जमीन स्कूल को दान भी की थी, लेकिन पिछले करीब साढ़े चार सालों में स्कूल भवन के नाम पर शिक्षा विभाग सिर्फ शौचालय और रसोईघर का ही निर्माण कर पाया है. इस बारे में चार साल में ग्राम पंचायत व स्कूल अध्यापकों के माध्यम से उच्च अधिकारियों को करीब सात बार प्रस्ताव भेजा जा चुका है.

इसके बाद भी स्कूल के भवन निर्माण को लेकर कोई भी उचित कार्रवाई अभी तक नहीं की गई है. इस तरह की सुस्ती पर ग्रामीणों में भी भारी रोष है. अब स्कूल भवन न बनने से धारी राम को अपने मवेशियों को आंगन में बांधने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

मकान मालकिन हिमी देवी ने बताया कि इस स्कूल में गांव के 25 बच्चे पढ़ते हैं. गांव की भलाई के लिए घर का निचला हिस्सा बिना किराए के स्कूल चलाने के लिए दिया था, उन्हें उम्मीद थी कि एक साल में स्कूल का अपना भवन बनकर तैयार हो जाएगा, लेकिन अब प्रशासन और सरकार स्कूल निर्माण में कोई रूचि नहीं दिखा रही, जिस कारण उनका पशुपालन का काम प्रभावित हो रहा है.

उप निदेशक एलिमेंटरी जिला मंडी अशोक शर्मा का कहना है कि स्कूल भवन के लिए प्राथमिकता के आधार पर बजट का प्रावधान किया जाएगा, जिससे जल्द से जल्द स्कूल के भवन निर्माण का कार्य शुरू किया जा सके.

मंडी: दो साल पूरा होने के जश्न में डूबी सरकार के लिए ग्रामीण इलाकों की ये तस्वीरें आइना दिखाने वाली हैं. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी में निहारी के तहत गांव धार बड़ेच के एक व्यक्ति को स्कूल चलाने के लिए अपने मकान का आधा हिस्सा देना महंगा पड़ गया.

गांव के धारी राम ने ग्रामीणों की भलाई के लिए अपने निजी मकान का आधा हिस्सा इस उम्मीद के साथ स्कूल चलाने के लिए दिया कि सरकार जल्द ही भवन निर्माण कर उनके मकान को खाली कर देगी, लेकिन अब पांच साल होने को है शिक्षा विभाग मकान के हिस्से को छोड़ने का नाम नहीं ले रहा.

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हैरानी की बात है कि धारी राम के घर से कोई भी इस स्कूल में नहीं पढ़ रहा है. इसके बाद भी गांव के लोगों की सुविधा के लिए धारी राम ने बिना किराए के स्कूल चलाने के लिए अपने मकान का आधा हिस्सा दे दिया. अब ये निर्णय धारी राम के लिए गले की फांस बना हुआ है.

हालांकि गांव में ही एक अन्य व्यक्ति जीवा राम ने स्कूल के लिए चार विस्वा भूमि दान की है, इसके बावजूद भी शिक्षा विभाग स्कूल के भवन का निर्माण नहीं करवा रहा. जिला मंडी के तहसील निहारी के तहत पड़ने वाले पंचायत बाडू-रोहड़ा के गांव धार बड़ेच में सरकार ने 21 जून 2015 में प्राइमरी स्कूल खोला था.

इसके लिए स्थानीय निवासी जीवा राम ने चार बिस्वा जमीन स्कूल को दान भी की थी, लेकिन पिछले करीब साढ़े चार सालों में स्कूल भवन के नाम पर शिक्षा विभाग सिर्फ शौचालय और रसोईघर का ही निर्माण कर पाया है. इस बारे में चार साल में ग्राम पंचायत व स्कूल अध्यापकों के माध्यम से उच्च अधिकारियों को करीब सात बार प्रस्ताव भेजा जा चुका है.

इसके बाद भी स्कूल के भवन निर्माण को लेकर कोई भी उचित कार्रवाई अभी तक नहीं की गई है. इस तरह की सुस्ती पर ग्रामीणों में भी भारी रोष है. अब स्कूल भवन न बनने से धारी राम को अपने मवेशियों को आंगन में बांधने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

मकान मालकिन हिमी देवी ने बताया कि इस स्कूल में गांव के 25 बच्चे पढ़ते हैं. गांव की भलाई के लिए घर का निचला हिस्सा बिना किराए के स्कूल चलाने के लिए दिया था, उन्हें उम्मीद थी कि एक साल में स्कूल का अपना भवन बनकर तैयार हो जाएगा, लेकिन अब प्रशासन और सरकार स्कूल निर्माण में कोई रूचि नहीं दिखा रही, जिस कारण उनका पशुपालन का काम प्रभावित हो रहा है.

उप निदेशक एलिमेंटरी जिला मंडी अशोक शर्मा का कहना है कि स्कूल भवन के लिए प्राथमिकता के आधार पर बजट का प्रावधान किया जाएगा, जिससे जल्द से जल्द स्कूल के भवन निर्माण का कार्य शुरू किया जा सके.

Intro:दो साल पूरा होने के जश्न डूबी सरकार के लिए ग्रामीण इलाकों की ये तस्वीरें आइना दिखाने वाली है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी में निहारी के तहत गांव धार बड़ेच के एक व्यक्ति को स्कूल चलाने को कमरे देना महंगा पड़ गया है। Body:इस गांव के धारी राम ने ग्रामीणों की भलाई के खातिर अपने निजी मकान का आधा हिस्सा इस उम्मीद के साथ स्कूल चलाने के लिए दे दिया कि सरकार जल्द ही भवन निर्माण कर उनके मकान को खाली कर देगी, लेकिन अब पांच साल होने को है शिक्षा विभाग कमरे छोड़ने का नाम नहीं ले रहा है। हैरानी की बात है कि धारी राम के घर से कोई भी इस स्कूल में नहीं पढ़ रहा है, इसके बाद भी गांव के लोगों को सुविधा को ध्यान में रखते हुए मकान का आधा हिस्सा बिना किराए के स्कूल के लिए दे दिया। अब ये निर्णय धारी राम के लिए ही गले की फांस बन गया है। हालांकि गांव में ही एक अन्य व्यक्ति जीवा राम ने स्कूल के 4 विस्वा भूमि दान की है, इसके बावजूद भी शिक्षा विभाग स्कूल के भवन का निर्माण नहीं कर रहा है। मामला ये है कि जिला मंडी के तहसील निहारी के अंतर्गत पड़ने वाले पंचायत बाडू-रोहड़ा के गांव धार बड़ेच में सरकार ने 21 जून 2015 में प्राईमरी स्कूल खोला था। इसके लिए स्थानीय निवासी जीवा राम ने चार बिस्वा जमीन स्कूल को दान भी की थी, लेकिन पिछले करीब साढ़े चार सालों में स्कूल भवन के नाम पर शिक्षा विभाग सिर्फ शौचालय और रसोईघर का ही निर्माण कर पाया है। इस बारे में चार साल में ग्राम पंचायत व स्कूल अध्यापकों के मध्यम से उच्चाधिकारियों को करीब सात बार प्रस्ताव भेजा जा चुका है। इसके बाद भी भवन निर्माण को लेकर कोई भी उचित कार्रवाई अभी तक नहीं हुई है। इस तरह कि सुस्ती पर ग्रामीणों में भी भारी रोष है। अब स्कूल भवन न बनने से धारी राम को मवेशियों को घर के अंदर और बाहर आंगन में बांधने भी मुश्किल हो रहे हैं। उन्होंने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए सरकार से जल्द से जल्द भवन का निर्माण कार्य शुरू करने की मांग की है। मकान मालकिन हिमी देवी ने बताया कि इस स्कूल में गांव के 25 बच्चें पढ़ते हैं। जिन्में उनका कोई भी बच्चा स्कूल में नहीं पढ़ रहा है फिर भी गांव की भलाई के खातिर घर का निचला हिस्सा बिना किराए के स्कूल चलाने के लिए दिया था, उन्हें उम्मीद थी कि एक साल में स्कूल का अपना भवन बनकर तैयार हो जाएगा। लेकिन अब सरकार स्कूल निर्माण में कोई रूचि नहीं दिखा रही है जिस कारण उनका पशुपालन का काम प्रभावित हो रहा है, जिस पर किसी का ध्यान नहीं है।
जल्द बने स्कूल भवन: धारी राम
मकान मालिक धारी राम का कहना है कि स्कूल भवन जल्द से जल्द बने। ताकि अपने उपयोग के लिए खुली जगह मिल सके। उन्होंने कहा कि स्कूल को जगह देने के कारण घास पत्ती रखने में भी दिक्कत हो रही है।


Conclusion:उप निदेशक एलमेंटरी जिला मंडी अशोक शर्मा का कहना है कि स्कूल भवन के लिए प्राथमिकता के आधार पर बजट का प्रावधान किया जाएगा। ताकि जल्द से जल्द स्कूल भवन का निर्माण कार्य शुरू किया जा सके। इस बारे में तुरन्त प्रभाव से जरूरी दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं।
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