मंडी: हिमाचल प्रदेश देव भूमि है और यहां के देवताओं और रियासत कालीन राजाओं में गहरा संबंध है. इसी बात का परिचायक मंडी का शिवरात्रि महोत्सव है जहां पर आने वाले सभी देवताओं की एक अपनी परंपरा और पौराणिकता हैं.
मंडी शिवरात्रि में शिरकत करने वाली एक ऐसी भी देवी हैं जिनकी साज-सजावट अभी भी पुरानी परंपराओं के अनुसार की जाती है. मंडी जिला के सनोर क्षेत्र की देवी जालपा के रथ को लगने वाली अधिकतर वस्तुऐं पुरातन काल की हैं. देवी जालपा के रथ में लगने वाली चांदी की चादर, पुराने मोहरें, माला, छत्र आदि करीब 3 शताब्दी पुराने हैं.
राजाओं के सिक्के 250 वर्ष से भी पुराने
माता की मालाओं में रियासत काल के राजाओं के सिक्के लगे हैं जो भी 250 वर्षों से भी पुराने हैं. इसके साथ ही माता का पुरांदा व कपड़े का प्रारूप भी प्राचीन समय के अनुसार ही है. जालपा माता सनोर बालू के भंडारी पूर्णचंद बतातें हैं कि वे लगभग बीते 50 वर्षों से माता की सेवा कर रहे हैं.
श्रृंगार पुरातन परंपराओं के अनुसार आज भी किया जा रहा है
उन्होंनें बताया कि माता का श्रृंगार पुरातन परंपराओं के अनुसार आज भी किया जा रहा है. जिससे संस्कृति को आने वाले समय में भी कायम रखा जा सके. उन्होंनें यह भी बताया कि माता के आदेशानुसार रथ में लगी वस्तुओं को बदलने की मनाही है जिसके चलते माता का स्वरूप जिस प्रकार प्राचीन समय में था वर्तमान में भी उसी रूप में सहेजा गया है.
पूर्णचंद ने जोर देते हुए कहा कि हमारी देव संस्कृति और उसकी परंपरा में कोई बदलाव नहीं लाना चाहिए. वहीं सनोर घाटी के युवा भी देव संस्कृति और परंपराओं के संवर्धन करने में काफी रूची दिखा रहे हैं. वहीं, नरेश कुमार का कहना है कि हिमाचल की संस्कृति को बचाना और आगे ले जाना युवाओं का कार्य है जिसमें युवा भी आगे आ रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव देव आस्था का अनूठा संगम है. शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत करने वाले हर देवी देवता का अपना एक इतिहास है और हर देवी देवता का राज दरबार के साथ गहरा नाता भी है.
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