करसोग: स्थानीय निकाय चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही बरल वार्ड की जनता ने चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है. बुधवार को बरल वार्ड नंबर 7 की जनता की लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह बरल स्थित परिसर में आम बैठक आयोजित हुई. बैठक की अध्यक्षता रमेश शर्मा ने की. बरल वार्ड के कुछ लोगों ने बैठक में जनता के प्रतिनिधि के तौर पर शामिल होकर करसोग में लागू धारा 144 का पालन करते हुए हिस्सा लिया. बता दें कि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए यहां धारा 144 लगाया गया था. हालांकि अब कुछ इलाकों में छूट दी गई है.
सर्वसम्मति से चुनाव बहिष्कार का फैसला
बैठक में सर्वसम्मति से चुनाव के बहिष्कार का फैसला लिया गया. लोगों का तर्क था कि जनता की सहमति के बिना ही सरकार ने क्षेत्र को नगर पंचायत में शामिल करने की अधिसूचना जारी कर दी. इसके लिए ग्रामीणों की सहमति लिए बिना ही बरल को नगर पंचायत परिधि में मिलाया गया, जबकि बरल एक ग्रामीण क्षेत्र है. यहां लोगों का मुख्य पेशा कृषि है. जनता आर्थिक तौर पर भी समृद्ध नहीं है.
कहीं भी सुनवाई नहीं हुई
बरल वार्ड की जनता नगर पंचायत परिधि में लगने वाले कई तरह के टैक्स का बोझ नहीं उठा सकती है. यही नहीं बरल को नगर पंचायत में न मिलाए जाने को लेकर भी लोगों ने विभिन्न मंचों के माध्यम से सरकार के समक्ष मामला उठाया, लेकिन जनता की कहीं पर भी सुनवाई नहीं हुई. इस कारण जनता में भारी रोष है. नगर पंचायत चुनाव में बरल वार्ड से कोई भी सदस्य नामांकन पत्र नहीं भरेगा, पिछली बार हुए स्थानीय निकायों के चुनाव का भी वार्ड की जनता बहिष्कार कर चुकी है.
पहले भी चुनाव का किया था बहिष्कार
करसोग को नगर पंचायत का दर्जा देते हुए यहां 7 वार्ड बनाए गए थे. जिसमें पिछली बार बरल और ममेल वार्ड की जनता ने नगर पंचायत चुनाव का बहिष्कार किया था. लंबी लड़ाई लड़ने के बाद ममेल वार्ड को इस बार नगर पंचायत से बाहर कर फिर से पंचायत बना दिया है, लेकिन बरल वार्ड की जनता नगर पंचायत से बाहर होने के लिए अभी भी संघर्ष कर रही है. नगर निकाय चुनाव के लिए 24 दिसंबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो रही है. करसोग नगर पंचायत में भी 24 , 26 व 28 दिसंबर को नामांकन होने हैं.
गरीब जनता पर अतिरिक्त बोझ
बरल बहिष्कार समिति के अध्यक्ष रमेश शर्मा ने कहा की नगर पंचायत बनने से गरीब जनता पर एक बोझ आ गया है. इसके अतिरिक्त लोगों को ग्रामीण क्षेत्रों में मिलने वाली कई तरह की सुविधाएं भी छिन गई हैं. उन्होंने कहा कि जब तक बरल वार्ड को नगर पंचायत से बाहर नहीं किया जाता तब तक संघर्ष जारी रहेगा.
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