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जंजैहली के सेब बाहुल्य इलाकों में लहलाएगी हींग की खेती, ट्रायल शुरू

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Published : Jan 28, 2020, 7:37 PM IST

सीएम जयराम ठाकुर के गृह क्षेत्र में हींग की खेती होगी. इसके लिए इन दिनों ट्रायल लिया जा रहा है. ट्रायल सफल रहने पर लाहौल स्पीति के बाद सराज घाटी में भी हींग की खेती होगी.

heeng cultivation in janjehli
जंजैहली में हींग की खेती का ट्रायल

मंडी: सीएम जयराम ठाकुर के गृह क्षेत्र में हींग की खेती होगी. इसके लिए इन दिनों ट्रायल लिया जा रहा है. ट्रायल सफल रहने पर लाहौल स्पीति के बाद सराज घाटी में भी हींग की खेती हो सकेगी.

हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर के डॉक्टर रमेश कुमार ने बताया कि संस्थान के उच्च अधिकारी डॉक्टर विजय कुमार के आदेशानुसार हींग की खेती के लिए उपयुक्त स्थानों का सर्वे किया जा रहा है. इसके लिए सराज के जंजैहली क्षेत्र में हींग की खेती की पार संभावनाएं हैं.

asafoetida cultivation trial Start in Janjehli
जंजैहली के सेब बाहुल्य इलाकों में लहलाएगी हींग की खेती.

उन्होंने कहा कि इस दौरान सराज और नाचन में खेती का ट्रायल किया जा रहा है. जंजैहली के मनोज कुमार व गणेशचौक के संजीव कुमार के यंहा विशेषज्ञों ने हींग की खेती के लिए पहली बार ट्रायल के लिए पौधे लगाए हैं.

विशेषज्ञों का मानना है कि संस्थान की यह पहल देश को हींग के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम होगा. हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर ने गुणवत्तायुक्त हींग के पौधे तैयार किए हैं.

asafoetida cultivation trial Start in Janjehli
जंजैहली में हींग की खेती के लिए ट्रायल शुरू.

उन्होंने कहा कि पालमपुर में पहली बार हींग की खेती शुरू होने वाली है. भारत में अभी तक हींग का उत्पादन नहीं होता था. सीएसआईआर के हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर में हींग के उत्पादन की पहल की जाएगी.

बताया जा रहा है कि नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक के माध्यम से संस्थान को हींग के बीज उपलब्ध हुए हैं. व्यापारिक आंकड़ों के मुताबिक देश में हर साल 1145 टन हींग की खपत होती है. देश 70 मिलियन डॉलर का हींग हर साल आयात करता है.

अफगानिस्तान भारत को हींग की आपूर्ति करने वाला सबसे प्रमुख देश है. अफगानिस्तान से 90 प्रतिशत हींग भारत आयात करता है, जबकि उसके 8 प्रतिशत उज्बेकिस्तान और 2 प्रतिशत ईरान से हींग आयात किया जाता है.

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हींग का पौधा.

सीएसआईआर के हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर ने प्रारंभिक रूप में हींग की बिजाई की है. यह एक आयुर्वेद औषधि के गुणों से परिपूर्ण माना गया है. सीएसआईआर के हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने कहा कि पहली बार देश में नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक के माध्यम से संस्थान को हींग के बीज उपलब्ध हुए हैं और उनकी देखरेख में सभी कार्य हो रहा है. अगले वर्ष यानी 2021 तक यह किसानों को उपलब्ध हो जाएगा.

डॉ. रमेश कुमार ने कहा कि एनपीजीआर नई दिल्ली संस्थान को हींग के 6 किस्मों के बीज उपलब्ध हुए हैं और अनुसंधान विशेषज्ञों की देखरेख में पौधा तैयार किया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार की गरीब किसान व बागवान की आय दोगुनी करने के तहत वाणिज्यिक फसलों के नए नए शोध व प्रसार की कोशिश में लगे हुए हैं, ताकि पहाड़ी क्षेत्रों में वाणिज्यिक फसलें उगा कर आर्थिक स्थिति को मजबूत करते हुए पलायन को रोका जा सके.

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जंजैहली के सेब बाहुल्य इलाकों में लहलाएगी हींग की खेती.

डॉ. रमेश शर्मा ने बताया कि प्रायोगिक तौर पर हींग के बीज स्थानीय लोगों व कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कृषि विज्ञान केंद्र उदयपुर जिला लाहौल स्पीति में दिए गए, जिन्हें पौधे तैयार होने पर विभिन्न स्थानों पर लगाया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि इसके सफल होने पर बंजर होती जमीन, कृषि छोड़ता किसान व पलायन करते युवा को फिर से स्थापित किया जा सकता है.

इन देशों में होती है हींग की खेती
विशेषज्ञों का कहना है हिंग एक सौंफ प्रजाति का पौधा है और इसकी लंबाई 1 से 1.5 मीटर तक होती है. इसकी खेती जिन देशों में प्रमुख तौर पर होती हैं उनमें अफगानिस्तान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान और ब्लूचिस्तान प्रमुख हैं.

कब और कहां कर सकते हैं हींग की खेती
हींग की खेती के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त होता है. भारत में यह तापमान पहाड़ी क्षेत्रों में होता है और इन क्षेत्रों में इसकी खेती आसानी से की जा सकती है. खेती के लिए न ज्यादा ठंड और न ही ज्यादा गर्मी की जरूरत होती है. ज्यादातर खेती पहाड़ों के ढलानदार भूमि वाले खेतों में उपयुक्त मानी जाती है, जहां ठंड के साथ धूप का होना अति लाजमी है.

भारत में कहां हो रही है हींग की खेती
भारत में हिंग की खेती की शुरुआत हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति से हुई है. इसके बीज को ईरान और तुर्की से मंगाकर यहां इसकी बीज तैयार किए हैं. इसके साथ ही पहाड़ी इलाकों में रह रहे किसानों के लिए अच्छी खबर यह है कि वहां के किसान आसानी से हींग की खेती कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें: बुजुर्गों की आपत्ति के बाद भी बेटियों ने निभाया बेटे का फर्ज, पिता की चिता को दी मुखाग्नि

मंडी: सीएम जयराम ठाकुर के गृह क्षेत्र में हींग की खेती होगी. इसके लिए इन दिनों ट्रायल लिया जा रहा है. ट्रायल सफल रहने पर लाहौल स्पीति के बाद सराज घाटी में भी हींग की खेती हो सकेगी.

हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर के डॉक्टर रमेश कुमार ने बताया कि संस्थान के उच्च अधिकारी डॉक्टर विजय कुमार के आदेशानुसार हींग की खेती के लिए उपयुक्त स्थानों का सर्वे किया जा रहा है. इसके लिए सराज के जंजैहली क्षेत्र में हींग की खेती की पार संभावनाएं हैं.

asafoetida cultivation trial Start in Janjehli
जंजैहली के सेब बाहुल्य इलाकों में लहलाएगी हींग की खेती.

उन्होंने कहा कि इस दौरान सराज और नाचन में खेती का ट्रायल किया जा रहा है. जंजैहली के मनोज कुमार व गणेशचौक के संजीव कुमार के यंहा विशेषज्ञों ने हींग की खेती के लिए पहली बार ट्रायल के लिए पौधे लगाए हैं.

विशेषज्ञों का मानना है कि संस्थान की यह पहल देश को हींग के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम होगा. हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर ने गुणवत्तायुक्त हींग के पौधे तैयार किए हैं.

asafoetida cultivation trial Start in Janjehli
जंजैहली में हींग की खेती के लिए ट्रायल शुरू.

उन्होंने कहा कि पालमपुर में पहली बार हींग की खेती शुरू होने वाली है. भारत में अभी तक हींग का उत्पादन नहीं होता था. सीएसआईआर के हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर में हींग के उत्पादन की पहल की जाएगी.

बताया जा रहा है कि नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक के माध्यम से संस्थान को हींग के बीज उपलब्ध हुए हैं. व्यापारिक आंकड़ों के मुताबिक देश में हर साल 1145 टन हींग की खपत होती है. देश 70 मिलियन डॉलर का हींग हर साल आयात करता है.

अफगानिस्तान भारत को हींग की आपूर्ति करने वाला सबसे प्रमुख देश है. अफगानिस्तान से 90 प्रतिशत हींग भारत आयात करता है, जबकि उसके 8 प्रतिशत उज्बेकिस्तान और 2 प्रतिशत ईरान से हींग आयात किया जाता है.

asafoetida cultivation trial Start in Janjehli
हींग का पौधा.

सीएसआईआर के हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर ने प्रारंभिक रूप में हींग की बिजाई की है. यह एक आयुर्वेद औषधि के गुणों से परिपूर्ण माना गया है. सीएसआईआर के हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने कहा कि पहली बार देश में नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक के माध्यम से संस्थान को हींग के बीज उपलब्ध हुए हैं और उनकी देखरेख में सभी कार्य हो रहा है. अगले वर्ष यानी 2021 तक यह किसानों को उपलब्ध हो जाएगा.

डॉ. रमेश कुमार ने कहा कि एनपीजीआर नई दिल्ली संस्थान को हींग के 6 किस्मों के बीज उपलब्ध हुए हैं और अनुसंधान विशेषज्ञों की देखरेख में पौधा तैयार किया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार की गरीब किसान व बागवान की आय दोगुनी करने के तहत वाणिज्यिक फसलों के नए नए शोध व प्रसार की कोशिश में लगे हुए हैं, ताकि पहाड़ी क्षेत्रों में वाणिज्यिक फसलें उगा कर आर्थिक स्थिति को मजबूत करते हुए पलायन को रोका जा सके.

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जंजैहली के सेब बाहुल्य इलाकों में लहलाएगी हींग की खेती.

डॉ. रमेश शर्मा ने बताया कि प्रायोगिक तौर पर हींग के बीज स्थानीय लोगों व कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कृषि विज्ञान केंद्र उदयपुर जिला लाहौल स्पीति में दिए गए, जिन्हें पौधे तैयार होने पर विभिन्न स्थानों पर लगाया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि इसके सफल होने पर बंजर होती जमीन, कृषि छोड़ता किसान व पलायन करते युवा को फिर से स्थापित किया जा सकता है.

इन देशों में होती है हींग की खेती
विशेषज्ञों का कहना है हिंग एक सौंफ प्रजाति का पौधा है और इसकी लंबाई 1 से 1.5 मीटर तक होती है. इसकी खेती जिन देशों में प्रमुख तौर पर होती हैं उनमें अफगानिस्तान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान और ब्लूचिस्तान प्रमुख हैं.

कब और कहां कर सकते हैं हींग की खेती
हींग की खेती के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त होता है. भारत में यह तापमान पहाड़ी क्षेत्रों में होता है और इन क्षेत्रों में इसकी खेती आसानी से की जा सकती है. खेती के लिए न ज्यादा ठंड और न ही ज्यादा गर्मी की जरूरत होती है. ज्यादातर खेती पहाड़ों के ढलानदार भूमि वाले खेतों में उपयुक्त मानी जाती है, जहां ठंड के साथ धूप का होना अति लाजमी है.

भारत में कहां हो रही है हींग की खेती
भारत में हिंग की खेती की शुरुआत हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति से हुई है. इसके बीज को ईरान और तुर्की से मंगाकर यहां इसकी बीज तैयार किए हैं. इसके साथ ही पहाड़ी इलाकों में रह रहे किसानों के लिए अच्छी खबर यह है कि वहां के किसान आसानी से हींग की खेती कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें: बुजुर्गों की आपत्ति के बाद भी बेटियों ने निभाया बेटे का फर्ज, पिता की चिता को दी मुखाग्नि

Intro:मंडी। सीएम जयराम ठाकुर के गृह क्षेत्र में हींग की खेती होगी। इसके लिए इन दिनों ट्रायल लिया जा रहा है। ट्रायल सफल रहा तो लाहौल स्पीति के बाद सराज घाटी में भी हींग खेती होगी।Body:हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर डाक्टर रमेश कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि संस्थान के उच्च अधिकारी डाक्टर विजय कुमार के आदेशानुसार हींग की खेती के लिए उपयुक्त स्थानों का सर्वे किया जा रहा। जिसके लिए सराज का जंजैहली क्षेत्र में हींग की खेती की आपार संभावनाएं है। उन्होंने कहा कि इस दौरान सराज और नाचन में खेती का ट्रायल किया जा रहा है। जंजैहली के मनोज कुमार पुत्र शेर सिंह निवासी जंजैहली व गणेशचौक के संजीव कुमार पुत्र कमल देव के यंहा विशेषज्ञों ने हींग की खेती के लिए पहली मर्तबा ट्रायल के लिए पौधे लगाए है। विशेषज्ञों का मानना है कि संस्थान की यह पहल देश को हींग के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम होगा। हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर की गुणवत्तायुक्त हींग की पौध तैयार की है। उन्होंने कहा कि पालमपुर में पहली बार हींग की खेती शुरू होने वाली है। भारत में अभी तक हींग का उत्पादन नहीं होता था। सीएसआईआर के हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर में हींग के उत्पादन की पहल की जाएगी।

वहीं हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर ने गुणवत्तायुक्त हींग की पौध तैयार की है। बताया जा रहा है कि नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक के माध्यम से संस्थान को हींग के बीज उपलब्ध हुए हैं। व्यापारिक आंकड़ों के मुताबिक देश में प्रतिवर्ष 1145 टन हींग की खपत होती है और देश 70 मिलियन डॉलर का हींग प्रतिवर्ष आयात करता है। अफगानिस्तान भारत को हींग की आपूर्ति करने वाला सबसे प्रमुख देश है। अफगानिस्तान से 90 प्रतिशत हींग भारत आयात करता है जबकि उसके 8 प्रतिशत उज्बेकिस्तान और 2 प्रतिशत ईरान से हींग आयात किया जाता है।

सीएसआईआर के हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर ने प्रारंभिक रूप में हींग की बिजाई की है। यह एक आयुर्वेद औषधि के गुणों से परिपूर्ण माना गया है। सीएसआईआर के हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने कहा कि पहली बार देश में नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक के माध्यम से संस्थान को हींग के बीज उपलब्ध हुए हैं और उनकी देखरेख में सभी कार्य हो रहा है। अगले वर्ष यानी 2021 तक यह किसानों को उपलब्ध हो जाएगा।

डॉ. रमेश कुमार ने कहा कि एनपीजीआर नई दिल्ली संस्थान को हींग के 6 किस्मों के बीज उपलब्ध हुए हैं और अनुसंधान विशेषज्ञों की देखरेख में पौधा तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि  सरकार की गरीब किसान व बागवान की आय दोगुनी करने के तहत उन्होंने वाणिज्यिक फसलों के नए नए शोध व प्रसार की कोशिश में लगे हुए हैं ताकि पहाड़ी क्षेत्रों में वाणिज्यिक फसलें उगा कर आर्थिक स्थिति को मजबूत करते हुए पलायन को रोका जा सके।
डॉ शर्मा ने बताया कि प्रयोगिक तौर पर हींग के बीज़ स्थानीय लोगों व कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कृषि विज्ञान केंद्र उदयपुर जिला लाहौल स्पीति में दिए गए, जिन्हें पौध तैयार होने पर विभिन्न स्थानों पर लगाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि अगर पूर्णतया सफल रही तो खेती बंजर होती जमीन , कृषि छोड़ता किसान, व पलायन करता युवा को पुनः स्थापित किया जा सकता है।

Conclusion:---
इन देशों में होती है हींग की खेती
विशेषज्ञ का कहना है हिंग एक सौंफ प्रजाति का पौधा है और इसकी लम्बाई 1 से 1.5 मीटर तक होती है। इसकी खेती जिन देशों में प्रमुख तौर पर होती हैं उनमें अफगानिस्तान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान और ब्लूचिस्तान देश प्रमुख हैं।

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कब और कहां कर सकते हैं हींग की खेती
हींग की खेती के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त होता है। भारत में यह तापमान पहाड़ी क्षेत्रों में होता है और इन क्षेत्रों में इसकी खेती आसानी से की जा सकती है। खेती के लिए न ज्यादा ठण्ड और न ही ज्यादा गर्मी की जरूरत होती है। ज्यादातर खेती पहाड़ों के ढलानदार भूमि वाले खेतों उपयुक्त मानी जाती है। जहां पर ठंड के साथ धूप को होना अति लाजमी है।

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भारत में कहां हो रही है हींग की खेती 
भारत में हिंग की खेती की शुरुआत हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति से हुई है। इसके बीज को इरान और तुर्की से मंगाकर यहां इसकी बीज तैयार की है। इसके साथ ही पहाड़ी इलाकों में रह रहे किसानों के लिए अच्छी खबर यह है की वहां के किसान आसानी से हींग की खेती कर सकते हैं।
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