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एक सप्ताह बाद मिलेगी रोहतांग टनल से आने-जाने की अनुमति, खतरों से भरा है लाहौल वासियों का पैदल सफर

बीआरओ ने एक सप्ताह के बाद रोहतांग टनल से आने-जाने की अनुमति देने की बात कही है. सर्दियों में भारी बर्फबारी होने से इस बार रोहतांग दर्रे में बर्फ के पहाड़ खड़े हैं. केलांग और पटन वैली से आने वाले लोगों को लंबा सफर तय करना पड़ रहा है.

लाहौल के लोगों के लिए पैदल सफर खतरों से भरा है.
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Published : Apr 4, 2019, 12:24 PM IST

कुल्लू: कुल्लू-मनाली में फंसे लाहौल के हजारों लोगों के लिए हवाई सेवा की एकमात्र सहारा बनी हुई है. लाहुल स्पीति प्रशासन ने लोगों की दिक्कत को देखते हुए हालांकि कोकसर और मढ़ी में नौ-नौ सदस्यों की रेस्क्यू टीम स्थापित कर दी है, लेकिन पैदल सफर करने वाले राहगीरों के लिए जोखिम कम नहीं हुआ है.

बीआरओ ने 30 किमी दूर चुंबक मोड़ के समीप दस्तक दे दी है, लेकिन लाहौल की ओर से बीआरओ की गति धीमी होने से सफर लंबा और जोखिम भरा है.लाहौल की चंद्रा घाटी के लिये फिर भी राहें आसान नहीं हैं लेकिन केलांग और पटन वैली से आने वाले लोगों को लंबा सफर तय करना पड़ रहा है. कोकसर में 7 फीट मोटी बर्फ के ऊपर सेवाएं देने को रेस्क्यू टीम तैयार है लेकिन राहगीर कदमताल करने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं.

lahoul spiti
लाहौल के लोगों के लिए पैदल सफर खतरों से भरा है.

सर्दियों में भारी बर्फबारी होने से इस बार रोहतांग दर्रे में बर्फ के पहाड़ खड़े हैं. एक सप्ताह बाद रोहतांग सुरंग से आने-जाने की अनुमति देने की बात बीआरओ ने कही है, लेकिन लाहौल की ओर रोहतांग टनल के नार्थ पोर्टल में हिमखंड गिरने से राहगीरों की राहें आसान नही दिख रही हैं.

इस प्वाइंट पर गत दिनों हिमखंड गिरनेसे बर्फ सुरंग के अंदर आ गया था. दूसरी ओर अभी हुफ होटल से दालंग मैदान तक के 24 किमी के रास्ते में 4 से 7 फीट बर्फ मोटी परत और सड़क पर हिमखंड गिरने से राहगीरों के लिए कठिनाई पैदा हो रही है.

लाहौल के युवाओं का कहना है कि उनके पास हवाई सेवा ही एकमात्र विकल्प है. अब वे भी पैदल रोहतांग लांघने की तैयारी में हैं. उन्होंने सरकार और जिला प्रशासन से अधिक उड़ाने की अपील की है.

कुल्लू: कुल्लू-मनाली में फंसे लाहौल के हजारों लोगों के लिए हवाई सेवा की एकमात्र सहारा बनी हुई है. लाहुल स्पीति प्रशासन ने लोगों की दिक्कत को देखते हुए हालांकि कोकसर और मढ़ी में नौ-नौ सदस्यों की रेस्क्यू टीम स्थापित कर दी है, लेकिन पैदल सफर करने वाले राहगीरों के लिए जोखिम कम नहीं हुआ है.

बीआरओ ने 30 किमी दूर चुंबक मोड़ के समीप दस्तक दे दी है, लेकिन लाहौल की ओर से बीआरओ की गति धीमी होने से सफर लंबा और जोखिम भरा है.लाहौल की चंद्रा घाटी के लिये फिर भी राहें आसान नहीं हैं लेकिन केलांग और पटन वैली से आने वाले लोगों को लंबा सफर तय करना पड़ रहा है. कोकसर में 7 फीट मोटी बर्फ के ऊपर सेवाएं देने को रेस्क्यू टीम तैयार है लेकिन राहगीर कदमताल करने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं.

lahoul spiti
लाहौल के लोगों के लिए पैदल सफर खतरों से भरा है.

सर्दियों में भारी बर्फबारी होने से इस बार रोहतांग दर्रे में बर्फ के पहाड़ खड़े हैं. एक सप्ताह बाद रोहतांग सुरंग से आने-जाने की अनुमति देने की बात बीआरओ ने कही है, लेकिन लाहौल की ओर रोहतांग टनल के नार्थ पोर्टल में हिमखंड गिरने से राहगीरों की राहें आसान नही दिख रही हैं.

इस प्वाइंट पर गत दिनों हिमखंड गिरनेसे बर्फ सुरंग के अंदर आ गया था. दूसरी ओर अभी हुफ होटल से दालंग मैदान तक के 24 किमी के रास्ते में 4 से 7 फीट बर्फ मोटी परत और सड़क पर हिमखंड गिरने से राहगीरों के लिए कठिनाई पैदा हो रही है.

लाहौल के युवाओं का कहना है कि उनके पास हवाई सेवा ही एकमात्र विकल्प है. अब वे भी पैदल रोहतांग लांघने की तैयारी में हैं. उन्होंने सरकार और जिला प्रशासन से अधिक उड़ाने की अपील की है.

रोहतांग पर पैदल कदमताल खतरनाक
हवाई सेवा की राह ताक रहे लाहुली
कुल्लू

कुल्लू मनाली में फंसे लाहुल के हजारो लोगों की हवाई सेवा की एकमात्र सहारा बनी हुई है। लाहुल स्पीति प्रशासन ने लोगों की दिक्कत को देखते हुए हालांकि कोकसर व मढी में नौ-नौ सदस्यों की रेस्क्यू टीम स्थापित कर दी है। लेकिन पैदल राहगीरों के लिये सफर जोखिम से भरा नही है। मनाली की ओर से हालांकि बीआरओ ने 30 किमी दूर चुम्बक मोड़ के समीप दस्तक दे दी है लेकिन लाहुल की ओर से बीआरओ की गति धीमी होने से सफर लंबा व जोखिमभरा है।

लाहुल की चंद्रा घाटी के लिये फिर भी राहे आसान नही है लेकिन केलांग व पटन वेली से आने वाले लोगों को लंबा सफर तय करना पड़ रहा है। कोकसर में सात फीट मोटी बर्फ के ऊपर सेवाएं देने को रेस्क्यू टीम तैयार है लेकिन राहगीर कदमताल करने की हिम्मत नही कर पा रहे है। सर्दियों में भारी बर्फबारी होने से इस बार रोहतांग दर्रे में बर्फ के पहाड़ खड़े है। हालांकि एक सप्ताह बाद रोहतांग सुरंग से आने जाने की अनुमति देने की बात बीआरओ ने कही है। लेकिन हालात को देखते हुए राह इधर भी कठिन दिख रही है। लाहुल की ओर रोहतांग सुरंग के नार्थ पोर्टल में हालात खराब है। हिमखंड गिरने से राहगीरों की राहें आसान नही दिख रही है। इस प्वायंट पर गत दिनों हिमखंड से बर्फ सुरंग के अंदर आ गया था। दूसरी ओर अभी हुफ होटल से दालंग मैदान तक का सफर जोखिम भरा है। 24 किमी का यह सफर कठिन है। इस रास्ते मे 4 से 7 फीट बर्फ की मोटी परत व सड़क में गिरे हिमखंड राहगीरों की रहे कठिन कर रहे है। लाहुल निवासी सोनम विक्रम, दोरजे, टशी व अजित ने कहा कि उनके पास हवाई सेवा ही एकमात्र विकल्प है। उन्होंने कहा कि वे भी पैदल रोहतांग लांघने की तैयारी में है। लेकिन 65 किमी लंबा सफर राहगीरों की हिम्मत तोड़ दिया है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि इन दिनों अधिक से अधिक उड़ाने करवाई जाए ताकि लोग सुरक्षित घरो में पहुंच सके।

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