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यंगथंग गांव में पहाड़ी दरकने से ग्रामीणों में दहशत, कृषि मंत्री को समस्या से करवाया अवगत

स्थानीय लोगों की मानें तो गांव की जमीन पर ग्लेशियर के पानी का लगातार रिसाव तेजी से हो रहा. ऐसे में दरकती पहाड़ी व धसती जमीन ने ग्रामीणों के दिलों में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पहाड़ी से मलबा गिरने का दौर इसी तरह जारी रहा तो अगामी समय में गांव का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा.

फाइल फोटो
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Published : Jul 4, 2019, 2:01 PM IST

कुल्लूः लाहौल के यंगथंग गांव के ग्रामीण पहाड़ी दरकने से दहशत में रहने को मजबूर हैं. यहां एक तरफ जहां पहाड़ी से मलबा गांव के आसपास गिर रहा है वहीं, ग्लेशियर के पानी का रिसाव तेजी से होने के कारण जमीन धंसने लगी है.

जिससे लाहौल के उदयपुर क्षेत्र में आने वाले यंगथंग गांव का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है. डर के साये में ग्रामीणों ने प्रशासन से जहां समाधान की बात कहा है वहीं, प्रदेश सरकार के ध्यान में भी ये मामला लाया गया है.

ग्रामीणों ने इस संबंध में स्थानीय विधायक एवं कृषि मंत्री रामलाल मार्कंडेय को लिखित तौर पर ज्ञापन भी सौंपा है. स्थानीय लोगों को कहना है कि गर्मियों की शुरुआत में ही पहाड़ी से मलबा गिरना शुरू हो गया था. ऐसे में घाटी के तापमान में हुए बदलाव से अधिक गर्मी होने के कारण यहां ग्लेशियर भी तेजी से पिघल रहा है, जिसका असर भी गांव पर पड़ रहा है.

स्थानीय लोगों की मानें तो गांव की जमीन पर ग्लेशियर के पानी का लगातार रिसाव तेजी से हो रहा. ऐसे में दरकती पहाड़ी व धसती जमीन ने ग्रामीणों के दिलों में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पहाड़ी से मलबा गिरने का दौर इसी तरह जारी रहा तो अगामी समय में गांव का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा. लाहौल-स्पीति के अधिकतर गांव जहां ग्लेशियरों के समीप हैं, वहीं सर्दियों में इन गांवों के ऊपर ग्लेशियरों के गिरने का खतरा बना रहता है.

उधर, स्थानीय विधायक व कृषि मंत्री रामलाल मार्कंडेय ने कहा कि यंगथंग गांव के ग्रामीण उनसे मिले हैं. ग्रामीणों के माध्यम से ही उन्हें पहाड़ी के दरकने की सूचना मिली है. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन को इस संबंध में जल्द से जल्द कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. अधिकारियों को गांव का निरीक्षण करने के लिए कहा गया है.

कुल्लूः लाहौल के यंगथंग गांव के ग्रामीण पहाड़ी दरकने से दहशत में रहने को मजबूर हैं. यहां एक तरफ जहां पहाड़ी से मलबा गांव के आसपास गिर रहा है वहीं, ग्लेशियर के पानी का रिसाव तेजी से होने के कारण जमीन धंसने लगी है.

जिससे लाहौल के उदयपुर क्षेत्र में आने वाले यंगथंग गांव का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है. डर के साये में ग्रामीणों ने प्रशासन से जहां समाधान की बात कहा है वहीं, प्रदेश सरकार के ध्यान में भी ये मामला लाया गया है.

ग्रामीणों ने इस संबंध में स्थानीय विधायक एवं कृषि मंत्री रामलाल मार्कंडेय को लिखित तौर पर ज्ञापन भी सौंपा है. स्थानीय लोगों को कहना है कि गर्मियों की शुरुआत में ही पहाड़ी से मलबा गिरना शुरू हो गया था. ऐसे में घाटी के तापमान में हुए बदलाव से अधिक गर्मी होने के कारण यहां ग्लेशियर भी तेजी से पिघल रहा है, जिसका असर भी गांव पर पड़ रहा है.

स्थानीय लोगों की मानें तो गांव की जमीन पर ग्लेशियर के पानी का लगातार रिसाव तेजी से हो रहा. ऐसे में दरकती पहाड़ी व धसती जमीन ने ग्रामीणों के दिलों में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पहाड़ी से मलबा गिरने का दौर इसी तरह जारी रहा तो अगामी समय में गांव का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा. लाहौल-स्पीति के अधिकतर गांव जहां ग्लेशियरों के समीप हैं, वहीं सर्दियों में इन गांवों के ऊपर ग्लेशियरों के गिरने का खतरा बना रहता है.

उधर, स्थानीय विधायक व कृषि मंत्री रामलाल मार्कंडेय ने कहा कि यंगथंग गांव के ग्रामीण उनसे मिले हैं. ग्रामीणों के माध्यम से ही उन्हें पहाड़ी के दरकने की सूचना मिली है. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन को इस संबंध में जल्द से जल्द कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. अधिकारियों को गांव का निरीक्षण करने के लिए कहा गया है.

Intro:यंगथंग गांव में पहाड़ी दरकने से ग्रामीणों में दहशतBody:लाहुल के यंगथंग गांव के ग्रामीण पहाड़ी के दरकने से दहशत में हैं। यहां एक तरफ जहां पहाड़ी से मलबा गांव के आसपास गिर रहा है, वहीं ग्लेशिर के पानी का रिसाव यहां तेजी से होने से जमीन धंसने लगी है। लिहाजा लाहुल के उदयपुर में क्षेत्र में आने वाले यंगथंग गांव की अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। डरे ग्रामीणों ने प्रशासन से जहां समाधान को आवाज उठाई है, वहीं प्रदेश सरकार के ध्यान में भी यहा मामला लाया है। ग्रामीणों ने इस संबंध में स्थानीय विधायक एवं कृषि मंत्री डा. रामलाल मार्कंडेय को लिखित तौर पर ज्ञापन भी सौंपा है। उल्लेखनीय है कि दरकती पहाड़ी से जहां लाहुल के यंगथंग गांव खतरे में पड़ गया है, वहीं गांव के समीप मौजूद ग्लेशियर से भी पानी का रिसाव तेजी से हो रहा है। ऐसे में गांव की जमीन धंसने का खतरा भी बढ़ गया है। स्थानीय लोगों को कहना है कि गर्मियों की शुरुआत में ही पहाड़ी से मलबा गिरना शुरू हो गया था। ऐसे में घाटी के तापमान में हुए बदलाव से जहां दिन के समय अधिक गर्मी होने के कारण यहां ग्लेशियर भी तेजी से पिघल रहा है, जिसका असर भी गांव पर पड़ रहा है। गांव की जमीन पर ग्लेशियर के पानी का लगातार रिसाव तेजी से हो रहा। ऐसे में दरकती पहाड़ी व धसती जमीन ने ग्रामीणों के दिलों में दहशत का माहौल पैदा कर डाला है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पहाड़ी से मलबा गिरने का दौर इसी तरह जारी रहा तो अगामी समय में गांव का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा। लाहुल-स्पीति के अधिकतर गांव जहां ग्लेशियरों के समीप हैं, वहीं सर्दियों में इन गांवों के ऊपर ग्लेशियरों के गिरने का खतरा बना रहता है। ऐसे में इस बार यंगथंग गांव के ग्रामीण गर्मियों में भी दहशत के सांए में जीने को मजबूर हैं। पहाड़ी के दरकने के बने खतरे ने लोगों को जहां डरा रखा है, वहीं ग्लेशियर से तेजी से हो रहे पानी के रिसाव भी लोगों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है। Conclusion:उधर, स्थानीय विधायक एवं कृषि मंत्री डा. रामलाल मार्कंडेय ने कहा कि यंगथंग गांव के ग्रामीण उनसे मिले हैं। ग्रामीणों के माध्यम से ही उन्हें पहाड़ी के दरकने की सूचना मिली है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन को इस संबंध में जल्द से जल्द कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि अधिकारियों को गांव का निरीक्षण करने के लिए कहा गया है।


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