कुल्लू: आम महिलाओं और किशोरियों को मासिक धर्म स्वच्छता के प्रति जागरुक करने के लिए कुल्लू जिला में 'संवेदना' अभियान रविवार से शुरू हो गया. कुल्लू के अटल सदन में आयोजित एक समारोह में हिमाचल प्रदेश राज्य रेडक्रॉस सोसाइटी की उपाध्यक्ष डॉ. साधना ठाकुर ने विधिवत रूप से 'संवेदना' अभियान का शुभारंभ किया.
इस अवसर पर बड़ी संख्या में उपस्थित महिलाओं और किशोरियों को संबोधित करते हुए डॉ. साधना ने कहा कि ईश्वर ने महिलाओं को स्वभाविक रूप से ही कुछ विशेष गुण प्रदान किए हैं. महिलाओं के ये गुण एवं संवेदना ही हमारे परिवार और समाज के आधार हैं. ईश्वर ने महिला को मां के रुप में एक बहुत बड़ा दायित्व भी दिया है. इसलिए महिला को परिवार और समाज की धुरी कहा गया है. उसका स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है.
डॉ. साधना ने कहा कि हर महिला में मासिक धर्म एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन इस दौरान महिलाओं को अपना विशेष ख्याल रखना बहुत जरुरी है. कई बार झिझक और आधी-अधूरी जानकारी के कारण महिलाओं में मासिक धर्म को लेकर कई भ्रांतियां पैदा हो जाती हैं. इससे वे कई बार गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाती हैं.
संवेदना अभियान के लिए जिला प्रशासन की सराहना करते हुए डॉ. साधना ने कहा कि इसके माध्यम से कुल्लू जिला की महिलाएं मासिक धर्म स्वच्छता को लेकर सजग होंगी और अपने आपको स्वच्छ रखने में सक्षम होंगी. प्रदेश सरकार और रेडक्रॉस सोसाइटी अन्य जिलों में भी इस तरह के अभियान चलाने के लिए सहयोग प्रदान करेगी.
डॉ. साधना ने कहा कि महिलाओं को सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आगे आना चाहिए. उन्होंने कहा कि आधुनिक दौर में हमारे समाज में कई विकृतियां आ रही हैं. नशा, महिला अत्याचार और अन्य विकृतियों को दूर करने के लिए हमें बच्चों की संस्कारित शिक्षा पर विशेष जोर देना चाहिए.
इस अवसर पर डॉ. साधना ने मासिक धर्म स्वच्छता एवं गाइनी से संबंधित जानकारी पर आधारित एक पुस्तिका 'संवेदना' का विमोचन भी किया. इससे पहले मुख्य अतिथि, अन्य अतिथियों और सभी महिलाओं-किशोरियों का स्वागत करते हुए जिलाधीश डॉ. ऋचा वर्मा ने कहा कि 'संवेदना' के तहत जिले भर में एक व्यापक मुहिम चलाई जाएगी. अभियान के दौरान स्कूल, कॉलेज, आंगनबाड़ी और ग्राम पंचायत स्तर पर महिलाओं एवं किशोरियों को मासिक धर्म स्वच्छता और सेनेटरी नेपकिन के प्रयोग के प्रति जागरुक किया जाएगा.
साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर महिलाओं के लिए मेडिकल चेकअप कैंप लगाएंगे. इन कैंपों में ग्रामीण महिलाएं बेझिझक गाइनी से संबंधित अपनी स्वास्थ्य समस्याओं का उपचार करवा सकेंगी. इस दौरान नेपकिन के सही निष्पादन पर भी विशेष बल दिया जाएगा. इसके लिए शिक्षण संस्थानों में इंसीनरेटर लगाए जाएंगे. इसके अलावा एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत कुछ पंचायतों या महिला मंडलों को मिट्टी के पारंपरिक तंदूर जैसे ईको-फ्रेंडली इंसीनरेटर दिए जाएंगे.