कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला मुख्यालय ढालपुर के क्षेत्रीय अस्पताल में इन दिनों मरीजों को डायलिसिस की सुविधा नहीं मिल पा रही है. वहीं, डायलिसिस नहीं मिलने के चलते मरीजों को निजी अस्पतालों में पैसे देकर डायलिसिस करवाना पड़ रहा है. बता दें कि क्षेत्रीय अस्पताल में डायलिसिस करवा रही कंपनी प्रबंधन ने अस्पताल प्रबंधन पर एक करोड़ रुपये से अधिक की देनदारी की बात कही है. ऐसे में कंपनी प्रबंधन ने फिलहाल अपनी सेवाएं सस्पेंड कर दिए हैं और डायलिसिस करवाने के लिए पहुंच रह रही मरीजों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
दरअसल, ढालपुर क्षेत्रीय अस्पताल में इस बारे एक नोटिस भी लगाया गया है. जिसमें कुल्लू के दो निजी डायलिसिस सेंटर का नाम अंकित कर मरीजों को डायलिसिस करवाने की सलाह दी जा रही है. बता दें कि साल 2017 में डायलिसिस सेवाएं देने वाली राही केयर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के द्वारा यहां पर मरीजों को सुविधा दी जा रही थी. कंपनी प्रबंधन का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन के द्वारा एक करोड़ रुपये से अधिक की भुगतान उन्हें नहीं की गई है. जिसके चलते उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, क्षेत्रीय अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि उन्हें सिर्फ कंपनी को 19 लाख रुपये की अदायगी करनी बाकी है.
बता दें कि ढालपुर क्षेत्रीय अस्पताल में एक दिन के भीतर करीब एक दर्जन मरीजों का डायलिसिस होता है और हर महीने 350 से अधिक डायलिसिस किए जाते हैं. मरीज अगर निजी अस्पतालों में जाते हैं तो डायलिसिस से पहले उन्हें टेस्ट के लिए 550 रुपये और खून चढ़ाने के लिए भी 1060 रुपये के साथ-साथ अन्य खर्च वहन करना पड़ता है. ऐसे में निशुल्क डायलिसिस ना मिलने के चलते मरीजों को परेशानी उठानी पड़ रही है.
ढालपुर अस्पताल पहुंचे मरीज नरेंद्र कुमार, प्रेमलता, बुद्धि देवी, फागिनी देवी का कहना है कि वह यहां पर डायलिसिस करवाने आए थे, लेकिन यहां पर आप उनका डायलिसिस नहीं हो रहा है. ऐसे में उन्हें अब निजी अस्पताल का रुख करना होगा. जिसमें उन्हें काफी आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. वहीं, डायलिसिस करवाने वाली कंपनी के रीजनल मैनेजर दिनेश कुमार का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन के पास हिम केयर और आयुष्मान हेल्थ कार्ड के तहत किए गए डायलिसिस की एक करोड़ रुपये से अधिक की देनदारी है. जिसकी भुगतान नहीं की जा रही है. इसी कारण से कंपनी को डायलिसिस सेवाओं को सस्पेंड करना पड़ा है, लेकिन अगर अस्पताल में कोई आपातकालीन केस आता है तो उसका डायलिसिस किया जाएगा. वहीं, रूटीन की डायलिसिस सेवा बिल की अदायगी ना होने तक सस्पेंड रहेगी.
स्वास्थ्य विभाग के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. नागराज पवार ने बताया कि कंपनी के द्वारा जो 1 करोड़ रुपये की अदायगी की बात की जा रही है वह काफी अधिक है. अस्पताल प्रबंधन के पास सिर्फ 19 लाख रुपये की पेंडिंग बनती है और जल्द ही उसकी ये अदायगी कर दी जाएगी. कंपनी इस तरह से अपनी सेवाएं बंद नहीं कर सकती है. अगर कंपनी के द्वारा अपनी सेवाओं को बहाल नहीं किया गया तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी.