कुल्लू: जिला कुल्लू के देवसदन में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत सेमिनार का आयोजन किया गया. इस मौके पर प्रदेशभर से आए किसानों व बागवानों को प्रदेश के पूर्व और गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने मोबाइल फोन से संबोधित किया. इससे पहले वह सेमिनार की अध्यक्षता करने वाले थे.
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि हिमाचल प्रदेश शून्य लागत प्राकृतिक खेती को तेजी से अपना रहा है और देश के अनेक राज्य यहां के मॉडल को अपनाने के लिए तैयार हैं. उन्होंने शनिवार को इस सेमिनार की अध्यक्षता करनी थी, लेकिन घने कोहरे में चंडीगढ़ से उड़ान न होने के कारण वह कुल्लू नहीं पहुंच पाए.
आचार्य देवव्रत ने कहा कि वह प्रदेश के किसानों व बागवानों से प्राकृतिक खेती को लेकर उनके अनुभव सुनने के लिए उत्सुक थे, लेकिन परिस्थितियां नहीं बन पाई जिसका उन्हें खेद है. उन्होंने कहा कि हिमाचल के किसानों ने जिस प्रकार शून्य लागत खेती को अपनाया है, इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं. यहां के किसान मेहनती और ईमानदार हैं और दृढ़ संकल्प के साथ खेती-बाड़ी का काम करते हैं.
गुजरात में भी होगी प्राकृतिक खेती
आचार्य देवव्रत ने कहा कि वह गुजरात राज्य में भी हिमाचल की तर्ज पर प्राकृतिक खेती पर बल दे रह हैं और इस संबंध में 14 अक्तूबर को गांधीनगर में 4000 किसानों का सम्मेलन बुलाया गया था. आज 25000 किसानों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है.
गुजरात सरकार ने इस वर्ष लगभग एक लाख किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य रखा है. इसी प्रकार, हरियाणा के मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री से भी उनकी प्राकृतिक खेती के संबंध में बैठक तय हुई है. पहली से पांच अप्रैल तक हरियाणा में भी किसानों के लिए शिविर लगाएं जाएंगे.
राज्यपाल देवव्रत ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी उन्हें जनवरी माह में प्राकृतिक खेती के संबंध में आमंत्रित किया है और वह वहां भी इस खेती को अपनाने के लिए किसानों के लिए प्रशिक्षण इत्यादि आयोजित करवाने के लिए सहयोग करेंगे.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को दी बधाई
गुजरात के राज्यपाल ने शून्य लागत खेती को बढ़ावा देने के लिए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को बधाई देते हुए कहा कि वह लगातार मुख्यमंत्री से संपर्क में रहते हैं और इस खेती के संबंध में जानकारी हासिल करते हैं. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती में हिमाचल प्रदेश के किसानों ने एक मिसाल कायम की है और अब देश के अन्य राज्य भी इनके मॉडल का अनुसरण करने का प्रयास कर रहे हैं.
इस अवसर पर किसानों-बागवानों का मार्गदर्शन करते हुए सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती परियोजना के कार्यकारी निदेशक डॉ. राजेश्वर चंदेल ने कहा कि प्राकृतिक खेती करने वाले किसान व बागवान प्रदेश में अच्छी आमदन प्राप्त रहे हैं.
प्राकृतिक खेती के लिए संयम जरूरी
उन्होंने इस खेती को इमानदारी के साथ करने का आह्वान करते हुए कहा कि थोड़ा संयम बरतने की जरूरत है, किसान बिना किसी लागत के अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस खेती को करने वाले किसानों व बागवानों के उत्पादों की लगातार मांग बढ़ रही है और अच्छे दाम प्राप्त हो रहे हैं.
इस मौके पर आतमा परियोजना कुल्लू के परियोजना निदेशक डॉ. शेर सिंह ठाकुर ने डॉ. राजेश्वर चंदेल और सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और प्राकृतिक खेती में कुल्लू जिला के किसानों-बागवानों की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला. विभिन्न जिलों से आए किसानों व बागवानों ने अपने अनुभव साझा किए और परस्पर संवाद किया.