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घुमंतू पशुपालकों के पड़ाव को बहाल करे प्रशासन, पशुपालकों ने DC कुल्लू को सौंपा ज्ञापन

हिमाचल घुमंतू पशुपालक महासभा (Himachal Nomadic Pashupalak Mahasabha) ने सरकार से मांग उठाई है कि घुमंतू पशुपालकों के पड़ाव को बहाल किया जाए. क्योंकि चरान के लिए निर्धारित की गई भूमि अब धिरे-धिरे खत्म होती जा रही है. ऐसे में पशुपालकों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसी कड़ी में आज महासभा ने DC कुल्लू को ज्ञापन भी सौंपा. पढ़ें पूरी खबर...

घुमंतू पशुपालकों के पड़ाव को बहाल करे प्रशासन
घुमंतू पशुपालकों के पड़ाव को बहाल करे प्रशासन
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Published : Oct 6, 2022, 7:42 PM IST

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में हजारों परिवार पशुपालन से होने वाली कमाई पर निर्भर हैं और घुमंतू पशु पालक भी इसमें शामिल हैं. घुमंतू पशुपालकों को सर्दियों के दौरान जहां गर्म इलाकों का रुख करना पड़ता है, तो वहीं गर्मियों के दौरान उन्हें ऊंचाई वाले इलाकों पर अपने पशुओं को ले जाना पडता है. ताकि पशुओं के लिए घास की कमी न हो. लेकिन अब धिरे-धिरे चरान के लिए निर्धारित की गई भूमि खत्म होती जा रही है. ऐसे में जिला प्रशासन व प्रदेश सरकार को इस ओर विशेष रुप से ध्यान देना चाहिए. यह बात आज कुल्लू में हिमाचल घुमंतू पशुपालक महासभा (Himachal Nomadic Pashupalak Mahasabha) की राज्य सचिव पवना कुमारी ने कही.

पवना कुमारी ने इस बारे डीसी कुल्लू आशुतोष गर्ग (DC Kullu Ashutosh Garg) को भी एक ज्ञापन सौंपा और मांग रखी कि जिला कुल्लू के मनाली इलाके में घुमंतू पशुपालकों (Nomadic cattle farmers) के लिए जो भूमि रखी गई है, वह अब कम होती जा रही है. ऐसे में इस ओर भी जिला प्रशासन ध्यान दें. पवना कुमारी ने बताया कि घुमंतू पशुपालक गर्मियों में लाहौल जिले की चरागाह और सर्दियों में बिलासपुर, सोलन, हमीरपुर आदि जगहों का इस्तेमाल करते आ रहे हैं.

उस रास्ते में ऐसे उनके पड़ाव हैं, जो पहले पानी के स्त्रोत, चराई आदि का क्षेत्र थे. लेकिन अब इन जगहों का इस्तेमाल लोग अपने निजी उपयोग के लिए कर रहे हैं. जबकि कुछ जगहों पर बढ़ता पर्यटन व वन विभाग द्वारा इस्तेमाल की जा रही भूमि भी चिंता का विषय है. जिससे चराई वाले इलाके सिकुड़ते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसी संबंध में महासभा ने डीसी को ज्ञापन सौंपा है और ऐसी भूमि को घुमंतू पशुपालकों के लिए बहाल करने की मांग उठाई है. ताकि पशुपालकों को किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े.

ये भी पढ़ें: अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा: ढोल-नगाड़ों की थाप पर निकली नरसिंह भगवान की भव्य जलेब

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में हजारों परिवार पशुपालन से होने वाली कमाई पर निर्भर हैं और घुमंतू पशु पालक भी इसमें शामिल हैं. घुमंतू पशुपालकों को सर्दियों के दौरान जहां गर्म इलाकों का रुख करना पड़ता है, तो वहीं गर्मियों के दौरान उन्हें ऊंचाई वाले इलाकों पर अपने पशुओं को ले जाना पडता है. ताकि पशुओं के लिए घास की कमी न हो. लेकिन अब धिरे-धिरे चरान के लिए निर्धारित की गई भूमि खत्म होती जा रही है. ऐसे में जिला प्रशासन व प्रदेश सरकार को इस ओर विशेष रुप से ध्यान देना चाहिए. यह बात आज कुल्लू में हिमाचल घुमंतू पशुपालक महासभा (Himachal Nomadic Pashupalak Mahasabha) की राज्य सचिव पवना कुमारी ने कही.

पवना कुमारी ने इस बारे डीसी कुल्लू आशुतोष गर्ग (DC Kullu Ashutosh Garg) को भी एक ज्ञापन सौंपा और मांग रखी कि जिला कुल्लू के मनाली इलाके में घुमंतू पशुपालकों (Nomadic cattle farmers) के लिए जो भूमि रखी गई है, वह अब कम होती जा रही है. ऐसे में इस ओर भी जिला प्रशासन ध्यान दें. पवना कुमारी ने बताया कि घुमंतू पशुपालक गर्मियों में लाहौल जिले की चरागाह और सर्दियों में बिलासपुर, सोलन, हमीरपुर आदि जगहों का इस्तेमाल करते आ रहे हैं.

उस रास्ते में ऐसे उनके पड़ाव हैं, जो पहले पानी के स्त्रोत, चराई आदि का क्षेत्र थे. लेकिन अब इन जगहों का इस्तेमाल लोग अपने निजी उपयोग के लिए कर रहे हैं. जबकि कुछ जगहों पर बढ़ता पर्यटन व वन विभाग द्वारा इस्तेमाल की जा रही भूमि भी चिंता का विषय है. जिससे चराई वाले इलाके सिकुड़ते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसी संबंध में महासभा ने डीसी को ज्ञापन सौंपा है और ऐसी भूमि को घुमंतू पशुपालकों के लिए बहाल करने की मांग उठाई है. ताकि पशुपालकों को किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े.

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