कुल्लू: अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में प्रशासन ने आयोजन की शान बढ़ाने के लिए करीब सात देवी-देवताओं को अपनी सूची में स्थान दिया था. बीते दिन रविवार सुबह करीब 11 देवी-देवता कुल्लू पहुंच गए. यहां रथयात्रा शुरू होने पर रथ मैदान में देवता नाग धूंबल भी देवलुओं संग पहुंच गए.
हालांकि, तीन देवी-देवता अपने अस्थाई शिविरों में विराजमान रहे. सदियों से कुल्लू में दशहरा उत्सव मनाने की परंपरा है. इसमें हर वर्ष 300 से अधिक देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया जाता है. इस वर्ष कोरोना संकट के कारण किसी भी देवी देवता को निमंत्रण नहीं दिया गया.
दशहरा उत्सव समिति की 12 अक्टूबर को बैठक में फैसला लिया गया था कि दशहरे में केवल सात देवी-देवता ही आएंगे. इन्हें प्रशासन ने सूचीबद्ध भी कर लिया, लेकिन देवता नाग धूंबल नहीं माने. हालांकि, उनको मनाने के लिए प्रशासन उनके दर पर पहुंचा था, लेकिन देवता दशहरा उत्सव में शरीक होने को पहुंच गए. देवता को किसी ने नहीं रोका और वह अपने अस्थाई शिविर में जा पहुंचे. इसके अलावा देवता नाग धूंबल के धर्म भाई काथी कुकडी के देवता हरी नारायण, मेहा के नारायण और डमचीन के वीरनाथ गैहरी भी पहुंचे.
कहा जाता है कि देवता नाग धूंबल अपने साथ अन्य देवताओं को बुलाते हैं. इसमें तीन देवता ढालपुर में अपने अस्थाई शिविर में ही विराजमान रहे. अब सात दिनों तक यह सभी 11 देवी-देवता अपने अपने अस्थाई शिविर में ही रहेंगे.
ये भी पढ़ें: कुल्लू दशहरा: ढालपुर में निकली भगवान रघुनाथ की रथयात्रा, 8 देवी देवताओं ने लिया भाग