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माउंटेन मैन छापे राम को मिला इजरायल का बेन गुरियन पुरस्कार, इस बात का आज भी है मलाल

घाटी के रहने वाले छापे राम नेगी उर्फ माउंटेन मैन को इजरायल ने उन्हें इजरायल रत्न कहे जाने वाले बेन गुरियन पुरस्कार से सम्मानित किया है. कुल्लू की पार्वती वैली में कोई भी आपदा की खबर मिलते ही माउंटेन मैन जान जोखिम में डालकर टैकर्स की मदद करने पहुंच जाते हैं.

माउंटेन मैन छापे राम को मिला इजरायल का बेन गुरियन पुरस्कार
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Published : Mar 20, 2019, 1:16 PM IST

कुल्लू: घाटी के रहने वाले छापे राम नेगी उर्फ माउंटेन मैन को इजरायल ने उन्हें इजरायल रत्न कहे जाने वाले बेन गुरियन पुरस्कार से सम्मानित किया है. कुल्लू की पार्वती वैली में कोई भी आपदा की खबर मिलते ही माउंटेन मैन जान जोखिम में डालकर टैकर्स की मदद करने पहुंच जाते हैं.

गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय टूरिस्ट पर्यटन स्थलों में शुमार कुल्लू की पार्वती वैली ट्रैक्कर्स के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है. कई ट्रैक रूट्स वाली पार्वती घाटी प्रदेश की ऐसी घाटी है, जिसमें रहस्यमयी परिस्थितियों में सबसे ज्यादा विदेशी गुम हो चुके हैं, फिर भी इस घाटी की ट्रैकिंग के लिए देश-विदेश के ट्रैकर्स में जबरदस्त होड़ है.

mountain man honoured by ben gurion prize of Israel
माउंटेन मैन छापे राम को मिला इजरायल का बेन गुरियन पुरस्कार

दुनियाभर के ट्रैकर इस घाटी के रहने वाले 48 साल के छापे राम नेगी को माउंटेन मैन के नाम से जानते हैं. किसी भी देश का ट्रैकर घाटी में रास्ता भूल जाए या किसी हादसे का शिकार हो जाए, सबसे पहले माउंटेन मैन को याद किया जाता है. वहीं, आपदा की खबर मिलते ही माउंटेन मैन भी जान को जोखिम में डाल कर अपने मिशन के लिए निकल पड़ता है और मिशन पूरा कर ही लौटता है.

13 साल की उम्र में किया पहला रेस्क्यू
पार्वती घाटी के शिवपुरी चौकी गांव से संबंध रखने वाले छापे राम नेगी जब आठवीं के स्टूडेंट थे, तभी से टूरिस्ट गाइड के रूप में काम करना शुरू कर दिया था. दसवीं में पहुंचते परिवार को आर्थिक संबल देने के लिए स्कूल छोड़ कर फुल टाइम टूरिस्ट गाइड का करने लगे.

घाटी में पैदा होने के कारण घाटी के चप्पे-चप्पे को जानते हैं और हर ट्रैक रूट के बारे में गहरीसमझ रखते हैं. उन्होंने 13 साल की उम्र में पहला रेस्क्यू ऑपरेशन किया था, तभी से ये सिलसिला जारी है और आज 48 साल की उम्र में भी वे घाटी में पूरी तरह मुस्तैद हैं.

mountain man honoured by ben gurion prize of Israel
माउंटेन मैन छापे राम को मिला इजरायल का बेन गुरियन पुरस्कार

अपनी रेस्क्यू टीम की है गठित
छोटी सी उम्र से घाटी में ट्रैकर्स के रेस्क्यू करते आ रहे छापे राम अब तक पांच सौ से ज्यादा विदेशी ट्रैकर्स को मौत के मुंह में जाने से बचा चुके हैं. तीन दशक के सफर में वो ट्रेकिंग के दौरान रास्ता भटक जाने वाले हजारों ट्रैकर्स के खोज व बचाव अभियानों में शामिल रहे हैं. छापे राम नेगी ने जरूरी उपकरणों से सुसज्जित अपनी पांच सदस्यीय रेस्क्यू टीम बनाई है.

mountain man honoured by ben gurion prize of Israel
माउंटेन मैन छापे राम को मिला इजरायल का बेन गुरियन पुरस्कार

छापे राम कहते हैं कि वे एनडीआरएफ समेत कई एजेसियों के खोज व बचाव अभियानों में शामिल रहे हैं और कई घायल ट्रैकर्स को बचाया है.

उपकरण देकर प्रोत्साहित कर सकती है सरकार
छापे राम नेगी का नाम ट्रैकिंग की दुनिया में बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है. दुनिया भर के ट्रैकर उनकी दरियादिली के कायल हैं. टूरिस्ट गाइड के रूप में अपनी आर्थिकी चलाने वाले छापे राम अपने खोज व बचाव अभियानों में किसी से कोई पैसा नहीं लेते. उन्होंने इन अभियानों के लिए जरूरी उपकरण भी खुद के पैसों से खरीदे हैं.

हालांकि, आज तक माउंटेन मैन को प्रदेश सरकार द्वारा कोई भी सम्मान नहीं मिला है.

कुल्लू: घाटी के रहने वाले छापे राम नेगी उर्फ माउंटेन मैन को इजरायल ने उन्हें इजरायल रत्न कहे जाने वाले बेन गुरियन पुरस्कार से सम्मानित किया है. कुल्लू की पार्वती वैली में कोई भी आपदा की खबर मिलते ही माउंटेन मैन जान जोखिम में डालकर टैकर्स की मदद करने पहुंच जाते हैं.

गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय टूरिस्ट पर्यटन स्थलों में शुमार कुल्लू की पार्वती वैली ट्रैक्कर्स के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है. कई ट्रैक रूट्स वाली पार्वती घाटी प्रदेश की ऐसी घाटी है, जिसमें रहस्यमयी परिस्थितियों में सबसे ज्यादा विदेशी गुम हो चुके हैं, फिर भी इस घाटी की ट्रैकिंग के लिए देश-विदेश के ट्रैकर्स में जबरदस्त होड़ है.

mountain man honoured by ben gurion prize of Israel
माउंटेन मैन छापे राम को मिला इजरायल का बेन गुरियन पुरस्कार

दुनियाभर के ट्रैकर इस घाटी के रहने वाले 48 साल के छापे राम नेगी को माउंटेन मैन के नाम से जानते हैं. किसी भी देश का ट्रैकर घाटी में रास्ता भूल जाए या किसी हादसे का शिकार हो जाए, सबसे पहले माउंटेन मैन को याद किया जाता है. वहीं, आपदा की खबर मिलते ही माउंटेन मैन भी जान को जोखिम में डाल कर अपने मिशन के लिए निकल पड़ता है और मिशन पूरा कर ही लौटता है.

13 साल की उम्र में किया पहला रेस्क्यू
पार्वती घाटी के शिवपुरी चौकी गांव से संबंध रखने वाले छापे राम नेगी जब आठवीं के स्टूडेंट थे, तभी से टूरिस्ट गाइड के रूप में काम करना शुरू कर दिया था. दसवीं में पहुंचते परिवार को आर्थिक संबल देने के लिए स्कूल छोड़ कर फुल टाइम टूरिस्ट गाइड का करने लगे.

घाटी में पैदा होने के कारण घाटी के चप्पे-चप्पे को जानते हैं और हर ट्रैक रूट के बारे में गहरीसमझ रखते हैं. उन्होंने 13 साल की उम्र में पहला रेस्क्यू ऑपरेशन किया था, तभी से ये सिलसिला जारी है और आज 48 साल की उम्र में भी वे घाटी में पूरी तरह मुस्तैद हैं.

mountain man honoured by ben gurion prize of Israel
माउंटेन मैन छापे राम को मिला इजरायल का बेन गुरियन पुरस्कार

अपनी रेस्क्यू टीम की है गठित
छोटी सी उम्र से घाटी में ट्रैकर्स के रेस्क्यू करते आ रहे छापे राम अब तक पांच सौ से ज्यादा विदेशी ट्रैकर्स को मौत के मुंह में जाने से बचा चुके हैं. तीन दशक के सफर में वो ट्रेकिंग के दौरान रास्ता भटक जाने वाले हजारों ट्रैकर्स के खोज व बचाव अभियानों में शामिल रहे हैं. छापे राम नेगी ने जरूरी उपकरणों से सुसज्जित अपनी पांच सदस्यीय रेस्क्यू टीम बनाई है.

mountain man honoured by ben gurion prize of Israel
माउंटेन मैन छापे राम को मिला इजरायल का बेन गुरियन पुरस्कार

छापे राम कहते हैं कि वे एनडीआरएफ समेत कई एजेसियों के खोज व बचाव अभियानों में शामिल रहे हैं और कई घायल ट्रैकर्स को बचाया है.

उपकरण देकर प्रोत्साहित कर सकती है सरकार
छापे राम नेगी का नाम ट्रैकिंग की दुनिया में बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है. दुनिया भर के ट्रैकर उनकी दरियादिली के कायल हैं. टूरिस्ट गाइड के रूप में अपनी आर्थिकी चलाने वाले छापे राम अपने खोज व बचाव अभियानों में किसी से कोई पैसा नहीं लेते. उन्होंने इन अभियानों के लिए जरूरी उपकरण भी खुद के पैसों से खरीदे हैं.

हालांकि, आज तक माउंटेन मैन को प्रदेश सरकार द्वारा कोई भी सम्मान नहीं मिला है.

माउंटेन मैन छापे राम को मिला इजरायल का बेन गुरियन पुरस्कार
- अभी तक 500 से अधिक विदेशी ट्रकरों की जाने बचा चुके हैं माउंट मैन
- प्रदेश सरकार से अभी तक नहीं मिला कोई सम्मान
- 13 वर्ष की उम्र में किया था छापे राम ने पहला रेस्क्यू
- दूर्गम और कठिन पहाड़ियों को चप्पे चप्पे से वाकिफ है माउंट मैन
कुल्लुलूलू

अंतरराष्ट्रीय टूरिस्ट पर्यटन स्थलों में शुमार कुल्लू की पार्वती वैली जहां ट्रैक्करों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है, वहीं दुनिया की उम्दा किस्म की चरस की चाहत भी तलबगारों को इस घाटी की ओर ले आती है। कई ट्रैक रूट्स वाली पार्वती घाटी प्रदेश की ऐसी घाटी है, जिसमें रहस्यमयी परिस्थितियों में सबसे अघिक विदेशी गुम हो चुके हैं, फिर भी इस घाटी की ट्रेकिंग के लिए देश- विदेश के ट्रकरों में जबरदस्त होड़ है। दुनिया भर के ट्रैकर इस घाटी के रहने वाले 48 साल के छापे राम नेगी को माउंटेन मैन के नाम से जानते हैं। किसी भी देश का ट्रैकर घाटी में रास्ता भूल जाए, या किसी हादसे का शिकार हो जाए, सबसे पहले माउंटेन मैन को याद किया जाता है। इधर, आपदा की खबर मिलते ही माउंटेन मैन भी अपनी जान को जोखिम में डाल कर अपने मिशन के लिए निकल पड़ता है और मिशन पूरा कर ही लौटता है। बेशक प्रदेश सरकार ने उनके साहस और दिलेरी की परख नहीं की हो, लेकिन इजरायल ने उन्हें इजरायल रत्न कहे जाने वाले बेन गुरियन पुरस्कार से सम्मानित किया है। 
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अपनी रेस्क्यू टीम की है गठित 
छोटी सी उम्र से घाटी में ट्रैकरों के रेस्क्यू करते आ रहे छापे राम अब तक पांच सौ से ज्यादा विदेशी ट्रकरों को मौत के मुंह में जाने से बचा चुके हैं। तीन दशक के सफर में वह ट्रेकिंग के दौरान रास्ता भटक जाने वाले हजारों ट्रकरों के खोज व बचाव अभियानों में शामिल रहे हैं। छापे राम नेगी ने जरूरी उपकरणों से सुसज्जित अपनी पांच सदस्यीय रेस्क्यू टीम बनाई है। छापे राम कहते हैं कि वे एनडीआरएफ सहित कई एजेसियों के खोज व बचाव अभियानों में शामिल रहे हैं और कई घायल ट्रकरों को बचाया है। 
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13 साल की उम्र में किया पहला रेस्क्यू  
पार्वती घाटी के शिवपुरी चौकी गांव से संबंध रखने वाले छापे राम नेगी जब आठवीं के स्टूडेंट थे, तभी से टुरिस्ट गाइड के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। दसवीं में पहुंचते परिवार को आर्थिक संबल देने के लिए स्कूल छोड़ कर फुल टाइम टुरिस्ट गाइड का करने लगे। यहां पैदा होने के कारण घाटी के चप्पे-चप्पे को जानते हैं और हर ट्रैक रूट के बारे में गहरी  समझ रखते हैं। उन्होंने 13 साल की उम्र में पहला रेस्क्यू ऑपरेशन किया था, तभी से यह सिलसिला जारी है और 48 साल की उम्र में भी वह घाटी में पूरी तरह मुस्तैद हैं।  
बाक्स
उपकरण देकर प्रोत्साहित कर सकती है सरकार 
छापे राम नेगी का नाम ट्रैकिंग की दुनिया में बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। दुनिया भर के ट्रैकर उनकी दरियादिली के कायल हैं। टुरिस्ट गाइड के रूप में अपनी आर्थिकी चलाने वाले छापे राम अपने खोज व बचाव अभियानों में किसी से कोई पैसा नहीं लेते। उन्होंने इन अभियानों के लिए जरूरी उपकरण भी खुद के पैसों से खरीदे हैं। आपदा प्रबंधन में निस्वार्थ सेवा कर रहे इस हिमाचली हीरे को रेस्क्यू में काम आने वाले जरूरी उपकरण देकर उसकी पीठ थपथपा सकती है, लेकिन आज तक इन्हें प्रदेश सरकार द्वारा कोई भी सम्मान तक नहीं मिला है।  
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