कुल्लू: मकर संक्रांति और लोहड़ी पर्व पर खिचड़ी बनाने और खाने की परंपरा है. जिला कुल्लू की बात करें तो यहां आज भी सभी रीति-रिवाज परंपराओं के अनुसार मनाए जाते हैं. वहीं, माघ महीने की पहली खिचड़ी भी यहां भक्तों को रघुनाथ जी के दर्शन करने आने वालों को खिलाई जाती है.
रघुनाथ जी की पूजा के बाद भक्तों को बांटी खिचड़ी
भगवान रघुनाथ के दरबार में माघ महीने के पहले दिन ही भारी संख्या में भक्तों की भीड़ रहती है. हर साल की तरह इस साल भी माघ महीने की पहली खिचड़ी गुरुवार को भगवान रघुनाथ जी की पूजा-अर्चना और रघुनाथ जी को भोग लगाने के बाद खिचड़ी भक्तों को बांटी गई. देशी घी और दही के साथ खिचड़ी श्रद्धालुओं में प्रसाद के तौर पर बांटी गई.
इस मौके पर सैकड़ो लोगों ने रघुनाथ मंदिर में माथा भी टेका. विशेष पूजा-अर्चना के बाद मंदिर में लोगों की भीड़ सुबह से देर शाम तक लगी रही. इस सब आयोजन में भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह सपरिवार मौजूद रहे.
हरी जूब बांटकर लिया आशीर्वाद
माघ मास के पहले प्रविष्टे मकर संक्रांति पर हर वर्ष रघुनाथ मंदिर में खिचड़ी को बतौर प्रसाद परोसने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. यहां भगवान रघुनाथ दरबार में आज भी सभी परंपरा कायम है. जिला कुल्लू के हर घर में भी गुरुवार को खिचड़ी के साथ अन्य पारंपरिक व्यंजनों की खुशबू महकती रही. वहीं, जिला कुल्लू में मकर संक्रांति पर लोगों ने बुजुर्गों और बड़े सभी लोगों को हरी जूब बांटकर आशीर्वाद लिया. साजे का त्योहार यहां जिला कुल्लू के गांवों में सबसे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. बेटियों को भी खास तौर पर खाने पर घर में बुलाया जाता है.
मकर संक्रांति पर करते हैं तीर्थ स्नान
घरों में तैयार किए व्यंजनों को भी परिवार और पड़ोसियों के बीच भी बांटा जाता है. मंदिरों में भी भक्तों को विशेष तौर पर खिचड़ी की व्यवस्था यहां आए दिन रहती है. वहीं, भगवान रघुनाथ जी के छड़ीवदार महेश्वर सिंह ने जिलावासियों को साजे की बधाई देते हुए बताया कि साजे का त्योहार किस तरह से महत्त्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि मकर संक्रांति के दिन लोग तीर्थ पर स्नान के लिए जाते हैं. यह दिन बेहद शुभ माना जाता है. यही नहीं, नई ऋतु का शुभांरभ भी इस दिन से होता है. उन्होंने कहा कि आज से दिन भी बड़े होंगे.
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