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गुलमर्ग से कम नहीं कुल्लू का काईसधार थाच ट्रैकिंग रूट, 115 साल पहले अंग्रेजों ने किया था निर्माण

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Published : Jan 8, 2021, 4:02 PM IST

काईसधार-थाच ट्रैकिंग रूट प्राकृतिक सुंदरता से लबरेज पर्यटन स्थल है. यहां की वादियां गुलमर्ग और सोनमर्ग से कम नहीं हैं. ये ट्रैकिंग रूट अंग्रेजों के समय का सवा सौ साल पुराना ट्रैकिग रूट है. इसके चलते ग्रामीण इस रूट को हैरिटेज ट्रैकिंग रूट घोषित करने की मांग भी कर रहे हैं.

काईसधार थाच ट्रैकिंग रूट, kaisdhar thach tracking route
काईसधार थाच ट्रैकिंग रूट

कुल्लू: प्रदेश में हजारों पर्यटन स्थल हैं. कुल्लू मनाली हिमाचल के मशहूर पर्यटनों स्थलों में से एक है. हर साल यहां लाखों सैलानी घूमने के लिए आते हैं. इसके बावजूद भी कुल्लू में कई ऐसी जगहें हैं, जिसके बारे में बहुत कम पर्यटकों को जानकारी है. ईटीवी भारत की खास सीरीज अनछुआ हिमाचल में हम आपको ऐसी ही जगह के बारे में जानकारी देते हैं. आज अनछुआ हिमाचल में हम आपको जिला कुल्लू की लगघाटी में स्थित काईसधार थाच ट्रैकिंग रूट के बारे में जानकारी देंगे.

काईसधार-थाच ट्रैकिंग रूट प्राकृतिक सुंदरता से लबरेज पर्यटन स्थल है. यहां की वादियां गुलमर्ग और सोनमर्ग से कम नहीं हैं. ये ट्रैकिंग रूट अंग्रेजों के समय का सवा सौ साल पुराना ट्रैकिग रूट है. इसके चलते ग्रामीण इस रूट को हैरिटेज ट्रैकिंग रूट घोषित करने की मांग भी कर रहे हैं.

वीडियो

मूलभूत सुविधाओं का अभाव

मूलभूत सुविधाओं के अभाव में काईसधार-थाच ट्रैकिंग रूट में पर्यटक कम ही पहुंच पाते हैं. सबसे अधिक समस्या सड़कों की है. सड़कों से दूर होने के कारण अधिकतर पर्यटक यहां नहीं पहुंच पाते. काईसधार-थाच ट्रैकिंग रूट के अलावा इस घाटी में डायनासर, डिब्बी डवार, हाथीपुर, कड़ौण, मठासौर और बड़ासौर जैसे पर्यटन स्थल भी हैं.

काईसधार-थाच ट्रैकिंग को हैरिटेज ट्रैकिंग रूट घोषित करने की मांग

यहां लगघाटी के कड़ौण स्थित डाक बंगला और थाच में कई हट हैं जिन्हें आज पर्यटन के तौर पर विकसित करने की आवश्यकता है. लगघाटी पर्यावरण पर्यटन विकास समिति के अध्यक्ष प्रताप ठाकुर ने कहा कि काईसधार-थाच ट्रैकिंग रूट को हैरिटेज ट्रैकिंग रूट घोषित किया जाना चाहिए. इसके साथ ही कड़ौण स्थित डाक बंगला और थाच में भी कई हट हैं, जिन्हें विकसित करने की जरूरत है. इसके अलावा घाटी में अन्य पर्यटन स्थल डायनासर, डिब्बी डवार, हाथीपुर, कड़ौण, मठासौर, बड़ासौर आज भी विकास की राह देख रहे हैं.

पर्यटन समिति के उपाध्यक्ष खुशाल ठाकुर ने कहा कि अधिकतर पर्यटन स्थलों में ठहरने की सुविधा भी नहीं है. इन जगहों पर ठहरने की उचित व्यवस्था न होने के कारण पर्यटकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार अनछुए पर्यटन स्थलों को विकसित करने की ओर ध्यान दे, तो इससे सैकड़ों बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेगें. इसके साथ ही कुल्लू मनाली के पर्यटन को भी चार चांद लगेंगे.

काईसधार-थाच कैसे पहुंचे

कुल्लू से काईसधार की दूरी करीब 15 किलोमीटर है. कुल्लू से गाड़ी के माध्यम से बढ़ाई गांव होते हुए बागन तक पहुंचा जा सकता है. इसके बाद पैदल रास्ते के माध्यम से काईसधार तक पहुंच सकते है. काईसधार से पैदल ट्रैकिंग रूट होते हुए करीब 20 किलोमीटर दूर थाच तक पर्यटक ट्रैकिंग का आनंद ले सकते है.

ट्रैकिंग रूट में हैं कई मनोरम स्थल

वहीं, इस ट्रैकिंग रूट के बीच में कई ऐसे मनोरम स्थल है, जहां पर्यटक प्रकृति की वादियों का आनंद ले सकते हैं. कुल्लू में एक ओर जहां पर्यटन नगरी मनाली, मणिकर्ण, सोलंगनाला समेत कई पर्यटन स्थलों में सैलानियों का खूब तांता लगा रहता है.

वहीं, काईसधार-थाच ट्रैकिंग रूट जैसे कई पर्यटन स्थल आज भी विकास की राह ताक रहे हैं. इन जगहों को पर्यटकों के लिए विकसित करने पर पर्यटन व्यवसाय को भी लाभ मिलेगा. साथ ही बेरोजगार युवाओं को भी रोजगार के अवसर मिल सकेंगे.

कुल्लू: प्रदेश में हजारों पर्यटन स्थल हैं. कुल्लू मनाली हिमाचल के मशहूर पर्यटनों स्थलों में से एक है. हर साल यहां लाखों सैलानी घूमने के लिए आते हैं. इसके बावजूद भी कुल्लू में कई ऐसी जगहें हैं, जिसके बारे में बहुत कम पर्यटकों को जानकारी है. ईटीवी भारत की खास सीरीज अनछुआ हिमाचल में हम आपको ऐसी ही जगह के बारे में जानकारी देते हैं. आज अनछुआ हिमाचल में हम आपको जिला कुल्लू की लगघाटी में स्थित काईसधार थाच ट्रैकिंग रूट के बारे में जानकारी देंगे.

काईसधार-थाच ट्रैकिंग रूट प्राकृतिक सुंदरता से लबरेज पर्यटन स्थल है. यहां की वादियां गुलमर्ग और सोनमर्ग से कम नहीं हैं. ये ट्रैकिंग रूट अंग्रेजों के समय का सवा सौ साल पुराना ट्रैकिग रूट है. इसके चलते ग्रामीण इस रूट को हैरिटेज ट्रैकिंग रूट घोषित करने की मांग भी कर रहे हैं.

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मूलभूत सुविधाओं का अभाव

मूलभूत सुविधाओं के अभाव में काईसधार-थाच ट्रैकिंग रूट में पर्यटक कम ही पहुंच पाते हैं. सबसे अधिक समस्या सड़कों की है. सड़कों से दूर होने के कारण अधिकतर पर्यटक यहां नहीं पहुंच पाते. काईसधार-थाच ट्रैकिंग रूट के अलावा इस घाटी में डायनासर, डिब्बी डवार, हाथीपुर, कड़ौण, मठासौर और बड़ासौर जैसे पर्यटन स्थल भी हैं.

काईसधार-थाच ट्रैकिंग को हैरिटेज ट्रैकिंग रूट घोषित करने की मांग

यहां लगघाटी के कड़ौण स्थित डाक बंगला और थाच में कई हट हैं जिन्हें आज पर्यटन के तौर पर विकसित करने की आवश्यकता है. लगघाटी पर्यावरण पर्यटन विकास समिति के अध्यक्ष प्रताप ठाकुर ने कहा कि काईसधार-थाच ट्रैकिंग रूट को हैरिटेज ट्रैकिंग रूट घोषित किया जाना चाहिए. इसके साथ ही कड़ौण स्थित डाक बंगला और थाच में भी कई हट हैं, जिन्हें विकसित करने की जरूरत है. इसके अलावा घाटी में अन्य पर्यटन स्थल डायनासर, डिब्बी डवार, हाथीपुर, कड़ौण, मठासौर, बड़ासौर आज भी विकास की राह देख रहे हैं.

पर्यटन समिति के उपाध्यक्ष खुशाल ठाकुर ने कहा कि अधिकतर पर्यटन स्थलों में ठहरने की सुविधा भी नहीं है. इन जगहों पर ठहरने की उचित व्यवस्था न होने के कारण पर्यटकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार अनछुए पर्यटन स्थलों को विकसित करने की ओर ध्यान दे, तो इससे सैकड़ों बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेगें. इसके साथ ही कुल्लू मनाली के पर्यटन को भी चार चांद लगेंगे.

काईसधार-थाच कैसे पहुंचे

कुल्लू से काईसधार की दूरी करीब 15 किलोमीटर है. कुल्लू से गाड़ी के माध्यम से बढ़ाई गांव होते हुए बागन तक पहुंचा जा सकता है. इसके बाद पैदल रास्ते के माध्यम से काईसधार तक पहुंच सकते है. काईसधार से पैदल ट्रैकिंग रूट होते हुए करीब 20 किलोमीटर दूर थाच तक पर्यटक ट्रैकिंग का आनंद ले सकते है.

ट्रैकिंग रूट में हैं कई मनोरम स्थल

वहीं, इस ट्रैकिंग रूट के बीच में कई ऐसे मनोरम स्थल है, जहां पर्यटक प्रकृति की वादियों का आनंद ले सकते हैं. कुल्लू में एक ओर जहां पर्यटन नगरी मनाली, मणिकर्ण, सोलंगनाला समेत कई पर्यटन स्थलों में सैलानियों का खूब तांता लगा रहता है.

वहीं, काईसधार-थाच ट्रैकिंग रूट जैसे कई पर्यटन स्थल आज भी विकास की राह ताक रहे हैं. इन जगहों को पर्यटकों के लिए विकसित करने पर पर्यटन व्यवसाय को भी लाभ मिलेगा. साथ ही बेरोजगार युवाओं को भी रोजगार के अवसर मिल सकेंगे.

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