कुल्लू: अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा जिसे देव महाकुम्भ के नाम से भी जाना जाता है. इस अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में कई रंग देखने को मिल रहे हैं. एक तरफ जहां अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में अलग अलग जगह की संस्कृति देखने को मिलती है, वहीं दूसरी ओर यह अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा लोगों के आस्था केन्द्र भी है लोग दूर दूर से अपने आराध्य देवी देवताओं के दर्शन के लिए अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में पहुंच रहे हैं और अपने देवी देवताओं का आर्शीवाद ले रहे हैं.
बात करें यदि भगवान रघुनाथ की तो यहां ढालपुर स्थित भगवान रघुनाथ के अस्थायी शिविर में भी लागों की भारी भीड़ भगवान रघुनाथ के दर्शनों के लिए उमड़ रही है और लोग भगवान रघुनाथ केदर्शन करने के लिए सुबह से ही उनके अस्थायी शिविर में डटे हुए हैं. लोग भजन र्कीतन में लीन होकर भगवान रघुनाथ को याद करते हुए दिखाई दे रहे हैं. लोग भगवान रघुनाथ की हो रही बड़ी पूजा में बढ़-चढ़ कर अपनी उपस्थति दर्ज कर भगवान रघुनाथ का आर्शीवाद ले रहे हैं.
ढालपुर स्थित भगवान रघुनाथ के अस्थायी शिविर में होने वाली भगवान रघुनाथ की पूजा अर्चना और विधि के बारे में अधिक जानकारी देते हुए भगवान रघुनाथ के मुख्य छड़ीबदार महेश्वर सिंह ने बताया कि भगवान रघुनाथ की यह पूजा पद्धति अयोध्या से लाई गई है और आज भी यह पूजा पद्धति यहां पर निभाई जा रही है. उन्होंने कहा कि आज के समय में यह पूजा पद्धति अब समाप्त हो गई है और मॉर्डन तरीके से पूजा हो रही है, लेकिन कुल्लू में आज भी इस प्राचीन पद्धति को जीवित रखा गया है.
भगवान रघुनाथ के दर्शन के लिए आये श्रद्वालुओं का कहना है कि उनकी भगवान रघुनाथ के प्रति गहरी आस्था है और व हर वर्ष भगवान के दर्शन केलिए यहां पर पहुंचते हैं.उन्होंने कहा कि लोग दूर-दूर से यहां पर पहुंचते हैं ना केवल हिमाचल से ही नहीं अन्य राज्यों से भी लोग यहां पर आते हैं और उनकी भगवान के दर पर आकर हर मनोकामना पूर्ण होती है.
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