कुल्लू: जिला कुल्लू के उपमंडल बंजार में ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के तहत आने वाली 27 वन अधिकार समितियों के द्वारा अपने दावे जिला प्रशासन के पास जमा किए गए थे. लेकिन प्रशासन के द्वारा उस पर आपत्ति दर्ज की गई है. ऐसे में प्रशासन उन दावों पर फिर से विचार करे और जल्द से जल्द उन आपत्तियों को भी हटाया जाए. ताकि प्रभावित इलाकों को अपने वन अधिकार मिल सके. ढालपुर में इस मुद्दे को लेकर हिमालयन नीति अभियान और सहारा संस्था के पदाधिकारियों ने डीसी कुल्लू आशुतोष के साथ मुलाकात की और वन अधिकार मुद्दे को लेकर चर्चा की गई.
हिमालय नीति अभियान के बंजार के समन्वयक राजेंद्र चौहान ने बताया कि यहां पर कई इलाके ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के तहत आते हैं और जब यहां पर बनाई गई वन अधिकार समिति के द्वारा वन में अधिकार को लेकर अपने दावे जिला प्रशासन के समक्ष प्रस्तुत किए गए. तो कहा गया कि साल 1999 में इनका निपटारा किया जा चुका है. जबकि अभी तक वन अधिकार के मामले को लेकर कोई भी निर्देश जारी नहीं किए गए हैं. वहीं, बंजार उपमंडल के समन्वयक राजेन्द्र चौहान ने कहा कि बंजार 70 से ज्यादा ग्राम सभाओं, 9 से ज्यादा पीज और बाराहार और 15 से ज्यादा बराधा और पुन्थल पंचायतों के दावे उपमंडल स्तर पर विचाराधीन है. उन्हें भी जल्द से जल्द निपटाया जाए.
इसके अलावा ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क प्रबंधन द्वारा वन अधिकार 2006 के तहत अधिकारों के दावों पर गैरकानूनी आपत्तियां लगाई गई थी. जो बिल्कुल निराधार है और उसकी स्थिति के बारे में डीसी कुल्लू के साथ चर्चा की गई है. हिमालयन नीति अभियान के प्रदेश समन्वयक सन्दीप मिन्हास ने जिला प्रशासन से मांग रखी कि अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए और वन अधिकार समितियों के सामुदायिक दावे को भी ग्राम सभाओं के माध्यम से मंजूरी दी जानी चाहिए.
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