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आवारा कुत्तों का खौफ: स्वास्थ्य विभाग की फुल तैयारी, नहीं होगी रेबीज की बीमारी

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Published : Feb 25, 2021, 8:25 PM IST

Updated : Feb 27, 2021, 8:46 AM IST

हिमाचल प्रदेश में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ने के चलते अस्पतालों में भी रेबीज के इंजेक्शन लगाने वाले मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है. जिला कुल्लू की अगर बात करें तो साल 2020 जनवरी से साल 2021 जनवरी तक 5 हजार 337 लोग आवारा कुत्तों का शिकार हुए हैं.

Anti Rabies Vaccine Himachal news, एंटी रेबीज वैक्सीन हिमाचल न्यूज
डिजाइन फोटो.

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश की सड़कों पर जहां बेसहारा पशुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है. वहीं, शहरों में घूम रहे आवारा कुत्ते भी अब चिंता का विषय बने हुए हैं. शहरों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी कुत्तों की बढ़ती संख्या लोगो को परेशान कर रही है.

हिमाचल प्रदेश में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ने के चलते अस्पतालों में भी रेबीज के इंजेक्शन लगाने वाले मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है. जिला कुल्लू की अगर बात करें तो साल 2020 जनवरी से साल 2021 जनवरी तक 5 हजार 337 लोग आवारा कुत्तों का शिकार हुए हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

मरीजों को मुफ्त में सुविधा उपलब्ध

वहीं, जिला कुल्लू में 7 हजार 630 एंटी रेबीज वैक्सीन व रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन का इंजेक्शन मरीजों को लगाए गए हैं. इसमें राहत की बात यह है कि दोनों ही इंजेक्शन सरकारी अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है और मरीजों को मुफ्त में यह सुविधा उपलब्ध है.

हर रोज 14 लोग आवारा कुत्तों का शिकार

जिला स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जिला अस्पताल के अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी यह इंजेक्शन उपलब्ध है. जिला कुल्लू में औसत की बात की जाए तो हर रोज 14 लोग आवारा कुत्तों का शिकार हो रहे हैं और सरकारी अस्पतालों में उन्हें एंटी रेबीज का इंजेक्शन लगाया जा रहा है.

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन का इंजेक्शन मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है कि कुत्ते ने मरीज को किस जगह पर काटा है और जहर की मात्रा कितनी है, लेकिन एंटी रेबीज का इंजेक्शन सभी मरीजों को लगाना अनिवार्य है.

जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुशील चन्द्र शर्मा ने बताया कि अगर किसी स्वास्थ्य केंद्र में यह इंजेक्शन उपलब्ध न हो तो भी स्वास्थ्य विभाग के द्वारा इसकी दुकानों से खरीद की जाती है और प्रभावित मरीज को इंजेक्शन लगाया जाता है.

स्वास्थ्य विभाग ही पैसे का भुगतान करता है

इसका कोई भी मूल्य मरीज से नहीं लिया जाता और स्वास्थ्य विभाग ही पैसे का भुगतान करता है. उन्होंने बताया कि जिला के 5 स्वास्थ्य खंडों में पर्याप्त मात्रा में एंटी रेबीज और रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन का इंजेक्शन उपलब्ध है और सभी मरीजों को मुफ्त में यह उपलब्ध करवाया जाता है.

वहीं, स्थानीय युवा राहुल का कहना है कि कुल्लू शहर में भी आवारा कुत्तों की संख्या मे तेजी से वृद्धि हुई है. आवारा कुत्तों के कारण दोपहिया वाहनों की दुर्घटनाएं भी बढ़ी हैं और छोटे बच्चे भी अकेले में खेलने नहीं जा सकते हैं. ऐसे में जिला प्रशासन को इनकी बढ़ती संख्या पर रोक लगाने के प्रयास करने होंगे.

'आवारा कुत्तों को गोद लेने का प्रयास करें'

नगर परिषद कुल्लू के अध्यक्ष गोपाल कृष्ण महंत का कहना है कि कुल्लू शहर में आवारा कुत्तों की बढ़ रही संख्या चिंता का विषय है और नगर परिषद भी जिला प्रशासन के साथ मिलकर इससे निपटने का प्रयास करेगी. वहीं, आम जनता भी इन आवारा कुत्तों को गोद लेने का प्रयास करें, ताकि कुत्तों के हमले से लोगों का बचाव हो सके.

ये भी पढ़ें- मुंबई में हिमाचल के ऑटो वाले 'बाबा'! गरीबी में थ्री व्हीलर बन गया घर, सोशल मीडिया ने बदल दी जिंदगी

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश की सड़कों पर जहां बेसहारा पशुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है. वहीं, शहरों में घूम रहे आवारा कुत्ते भी अब चिंता का विषय बने हुए हैं. शहरों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी कुत्तों की बढ़ती संख्या लोगो को परेशान कर रही है.

हिमाचल प्रदेश में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ने के चलते अस्पतालों में भी रेबीज के इंजेक्शन लगाने वाले मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है. जिला कुल्लू की अगर बात करें तो साल 2020 जनवरी से साल 2021 जनवरी तक 5 हजार 337 लोग आवारा कुत्तों का शिकार हुए हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

मरीजों को मुफ्त में सुविधा उपलब्ध

वहीं, जिला कुल्लू में 7 हजार 630 एंटी रेबीज वैक्सीन व रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन का इंजेक्शन मरीजों को लगाए गए हैं. इसमें राहत की बात यह है कि दोनों ही इंजेक्शन सरकारी अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है और मरीजों को मुफ्त में यह सुविधा उपलब्ध है.

हर रोज 14 लोग आवारा कुत्तों का शिकार

जिला स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जिला अस्पताल के अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी यह इंजेक्शन उपलब्ध है. जिला कुल्लू में औसत की बात की जाए तो हर रोज 14 लोग आवारा कुत्तों का शिकार हो रहे हैं और सरकारी अस्पतालों में उन्हें एंटी रेबीज का इंजेक्शन लगाया जा रहा है.

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन का इंजेक्शन मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है कि कुत्ते ने मरीज को किस जगह पर काटा है और जहर की मात्रा कितनी है, लेकिन एंटी रेबीज का इंजेक्शन सभी मरीजों को लगाना अनिवार्य है.

जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुशील चन्द्र शर्मा ने बताया कि अगर किसी स्वास्थ्य केंद्र में यह इंजेक्शन उपलब्ध न हो तो भी स्वास्थ्य विभाग के द्वारा इसकी दुकानों से खरीद की जाती है और प्रभावित मरीज को इंजेक्शन लगाया जाता है.

स्वास्थ्य विभाग ही पैसे का भुगतान करता है

इसका कोई भी मूल्य मरीज से नहीं लिया जाता और स्वास्थ्य विभाग ही पैसे का भुगतान करता है. उन्होंने बताया कि जिला के 5 स्वास्थ्य खंडों में पर्याप्त मात्रा में एंटी रेबीज और रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन का इंजेक्शन उपलब्ध है और सभी मरीजों को मुफ्त में यह उपलब्ध करवाया जाता है.

वहीं, स्थानीय युवा राहुल का कहना है कि कुल्लू शहर में भी आवारा कुत्तों की संख्या मे तेजी से वृद्धि हुई है. आवारा कुत्तों के कारण दोपहिया वाहनों की दुर्घटनाएं भी बढ़ी हैं और छोटे बच्चे भी अकेले में खेलने नहीं जा सकते हैं. ऐसे में जिला प्रशासन को इनकी बढ़ती संख्या पर रोक लगाने के प्रयास करने होंगे.

'आवारा कुत्तों को गोद लेने का प्रयास करें'

नगर परिषद कुल्लू के अध्यक्ष गोपाल कृष्ण महंत का कहना है कि कुल्लू शहर में आवारा कुत्तों की बढ़ रही संख्या चिंता का विषय है और नगर परिषद भी जिला प्रशासन के साथ मिलकर इससे निपटने का प्रयास करेगी. वहीं, आम जनता भी इन आवारा कुत्तों को गोद लेने का प्रयास करें, ताकि कुत्तों के हमले से लोगों का बचाव हो सके.

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Last Updated : Feb 27, 2021, 8:46 AM IST
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