शिमला: हिमाचल की शांत वादियों में संजौली मस्जिद विवाद के बाद से बाहरी राज्यों से आने वाले प्रवासियों की वेरिफिकेशन का मुद्दा जोर पकड़ रहा है. बीते दिन शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने पारदर्शिता और सार्वजनिक सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से प्रदेश भर में दुकानदारों और खासकर खाने-पीने की चीजें बेचने वाले रेस्टोरेंट, रेहड़ी फड़ी मालिकों को अपनी आइडी लगाने की बात कही. उनके इस बयान की देशभर में चर्चा हो रही है, क्योंकि कुछ समय पहले योगी सरकार ने भी ऐसा भी आदेश जारी किया था और उस समय देशभर में इसे लेकर खूब हंगामा भी हुआ था.
कौन हैं विक्रमादित्य सिंह ?
विक्रमादित्य सिंह हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सुक्खू सरकार में कैबिनेट मंत्री है. उनके पास शहरी विकास और पीडब्ल्यूडी विभाग है. शिमला में जन्मे विक्रमादित्य सिंह ने शिमला के बिशप कॉटन स्कूल से स्कूली शिक्षा हासिल की है. इसके बाद सेंट स्टीफन कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में एमए किया. हिमाचल विधानसभा पोर्टल पर दी गई जानकारी के मुताबिक विक्रमादित्य सिंह हिमाचल प्रदेश राइफल एसोसिएशन और राष्ट्रीय राइफल एसोसिएशन के सदस्य हैं. उन्होंने राष्ट्रीय शूटिंग चैम्पियनशिप में राइफल और ट्रैप शूटिंग प्रतियोगिता में हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व भी किया.
राजनीतिक करियर
भले वो हिमाचल की सियासत का युवा चेहरा हों लेकिन हिमाचल प्रदेश की राजनीति में विक्रमादित्य सिंह पहचान के मोहताज नहीं हैं. विक्रमादित्य सिंह के पिता वीरभद्र सिंह हिमाचल प्रदेश के 6 बार हिमाचल के मुख्यमंत्री, केंद्र में मंत्री, कई बार विधायक, नेता विपक्ष, मंडी से 4 बार सांसद, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. विक्रमादित्य सिंह हिमाचल प्रदेश की बुशहर रियासत राजघराने से ताल्लुक रखते हैं.
विरासत में मिली राजनीति
विक्रमादित्य सिंह को राजनीति विरासत में मिली है. उनकी माता प्रतिभा सिंह मंडी से पूर्व लोकसभा सांसद और कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष हैं. विक्रमादित्य सिंह दूसरी बार शिमला ग्रामीण से कांग्रेस विधायक हैं. वो साल 2017 में पहली बार विधायक चुने गए थे, तब उनकी उम्र महज 28 साल थी. 2022 विधानसभा चुनाव में दूसरी बार विधानसभा पहुंचने के बाद उन्हें कांग्रेस की सरकार में मंत्री बनाया गया था. 2024 में कांग्रेस ने उन्हें मंडी लोकसभा सीट से कंगना रनौत के खिलाफ मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. मौजूदा समय में वो पीडब्ल्यूडी और शहरी विकास विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. इससे पहले उनके पास युवा एवं खेल मंत्री की भी जिम्मेदारी थी. विधायक बनने से पहले वो हिमाचल प्रदेश यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष थे, उस समय उनके पिता वीरभद्र सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे.
वीरभद्र सिंह परिवार का कद
विक्रमादित्य सिंह हिमाचल की सियासत में अपने माता-पिता की विरासत को ही आगे बढ़ा रहे हैं. हिमाचल में राजनीति का जिक्र वीरभद्र सिंह के बिना अधूरा है. वीरभद्र सिंह 6 बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रहने के अलावा सांसद, केंद्रीय मंत्री, नेता विपक्ष, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं. वीरभद्र सिंह ने सीएम रहते हुए देश में सबसे पहले हिमाचल में धर्मांतरण विरोधी कानून लाया था. साल 2021 में वीरभद्र सिंह का निधन हो गया. वीरभद्र सिंह के कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो कभी हाईकमान के आगे नहीं झुके. उल्टा हाईकमान को उनके सामने झुकना पड़ता था. विक्रमादित्य सिंह की मां प्रतिभा सिंह साल 2004 लोकसभा चुनाव और 2013 लोकसभा उपचुनाव के दौरान मंडी लोकसभा सीट से ही चुनकर लोकसभा पहुंच चुकी हैं. साल 2022 में हुए हिमाचल विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस की जीत हुई थी तो उस वक्त भी मुख्यमंत्री बनने की रेस में प्रतिभा सिंह का नाम शामिल था, लेकिन सुखविंदर सिंह सुक्खू सीएम की कुर्सी तक पहुंचने में कामयाब रहे थे.
मंत्री पद से दिया था इस्तीफा
विक्रमादित्य सिंह पहले भी अपनी सरकार के खिलाफ बोलकर सुर्खियों में रहे हैं. इसी साल फरवरी में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने अपनी सरकार पर विधायकों की अनदेखी का आरोप लगाया था. साथ ही शिमला के रिज मैदान पर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की प्रतिमा ना लगाए जाने को लेकर भी निशाना साधा था. उन्होंने अपनी सरकार पर कई संगीन आरोप लगाते हुए कहा था कि कि वो दबने वाले नहीं और गलत का समर्थन कभी नहीं करेंगे. उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देकर प्रदेश में सियासी तूफान खड़ा कर दिया था. हालांकि बाद में उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया था.
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में हुए थे शामिल
22 जनवरी 2024 को अयोध्या में हुए राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांग्रेस आलाकमान ने निमंत्रण अस्वीकार कर दिया था, लेकिन विक्रमादित्य सिंह उस समारोह में शामिल हुए थे. निमंत्रण के लिए वो लगातार पीएम मोदी का शुक्रिया भी करते रहे हैं. राम मंदिर निर्माण को लेकर विक्रमादित्य सिंह और प्रतिभा सिंह पीएम मोदी की तारीफ कर चुके हैं. उन्होंने अयोध्या राम मंदिर से अपनी फोटो सोशल मीडिया पर शेयर भी किया था, जिसने मीडिया में खूब सुर्खियां बटोंरी. उस समय उन्होंने कहा कि धर्म उनके लिए राजनीति से ऊपर हैं और उनके पिता वीरभद्र सिंह भी राम मंदिर के बड़े समर्थक थे. उनके पिता ने राम मंदिर के लिए अपनी निजी कोष से दान भी दिया था.
खुलकर लगाते हैं जय श्रीराम का नारा
विक्रमादित्य सिंह उन कांग्रेस नेताओं में शुमार हैं जो खुलकर जय श्री राम का नारा लगाते हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने जयराम श्री के नारा कई बार खूब जोर शोर से लगाया. वो खुद को राम भक्त बताते हैं. सोशल मीडिया पर भी कई बार जय श्री राम नारा लगाते हैं. विक्रमादित्य सिंह के परिवार को श्री कृष्ण जी का वंशज माना जाता है. उनका परिवार भीमाकाली का भक्त है. उनके पिता वीरभद्र सिंह सराहन स्थित भीमाकाली मंदिर में अक्सर पूजा अर्चना के लिए जाते थे.
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