कुल्लूः जिला के आनी क्षेत्र के लोग आज भी कई प्राचीन संस्कृति व ऐतिहासिक परंपराओं को संजोए हुए हैं. क्षेत्र में जहां कई प्राचीन त्यौहारों को मनाने की परंपरा कायम है, वहीं इन त्यौहारों को लेकर यहां की जनता भी खासी उत्साहित रहती है.
इसी कड़ी में आनी खंड के खनी पंचायत के बटाला गांव का फाग मेला भी बेहद प्राचीन है, जिसे यहां की जनता सदियों से पारंपरिक तरीके से निर्वहन करती आ रही है. क्षेत्र का एकमात्र भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर वैसे तो यहां की ऐतिहासिकता के लिए जाना जाता है, लेकिन यहां का फाग उत्सव बेहद आनंदित कर देने वाला है.
होली पर्व की पूर्व संध्या से मनाए जाने वाले इस पर्व को लेकर मुरली मनोहर मंदिर बटाला में रात भर विशाल देव नाटी का आयोजन हुआ. फाग मेले को पूरी रात भर मंदिर के प्रांगण में महिला, पुरूष की एक विशाल नाटी का आयोजन हुआ. वहीं मंदिर के अंदर भक्तजन भगवान श्रीकृष्ण के पुराने भजन जती व नटाउक जैसे पौराणिक गीत व संगीत गाकर मंदिर गुंजायमान हो उठा. भक्ति के इस सैलाब को निहार कर क्षेत्रवासी भक्ति विभोर में डूब जाते हैं. यह सिलसिला सुबह चार बजे तक चला.
मंदिर परिसर में सुबह 4 बजे तक होलिका दहन की तमाम तैयारियां पूर्ण कर ली गई. ब्रहममूहर्त में भगवान श्रीकृष्ण पालकी में विराजमान और शंख ध्वनी तथा कई प्रकार के वाद्य यंत्रों से गुंजायमान मंदिर से साल के बाद मंदिर से बाहर निकले और होलिका दहन के साथ यहां आए हजारों भक्तों को अपने दिव्य दर्शन दिए. इस आलौकिक नजारे के दर्शन कर श्रद्धालु अपने आप को आनंदित महसूस कर भगवान श्रीकृष्ण की जयघोष करते हुए इस अदभुत नजारे के साक्षी बने.
इस तरह भगवान श्रीकृष्ण यहां साल में एक बार अपने भक्तों को इस महोत्सव में मंदिर से बाहर निकलकर दर्शन देते हैं. तत्पश्चात विशालकाय जलती हुई मशालों की घेराबंदी के बीच होलिका दहन किया जाता है और यहां आए भक्तजन भगवान श्रीकृष्ण के साथ ब्रज की होली खेलते हैं. मान्यताएं है कि भगवान श्रीकृष्ण के संग होली खेलने से वैवाहिक जीवन आनन्द में व्यतीत होता है.