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अटल टनल बनाने वाले इंजीनियरों-कामगारों पर बनेगी डॉक्यूमेंट्री, PM ने रक्षा, शिक्षा मंत्रालय और BRO को सौंपा जिम्मा

अटल टनल रोहतांग के निर्माण में लगे इंजीनियरों और कामगारों की डॉक्यूमेंट्री बनाई जाएगी. टनल के उद्घाटन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंजीनियरों और कामगारों पर डॉक्यूमेंट्री बनाने का जिम्मा रक्षा, शिक्षा मंत्रालय और बीआरओ को दिया है.

atal tunnel
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Published : Oct 8, 2020, 12:22 PM IST

कुल्लू: 10,140 फीट की ऊंचाई पर बनी दुनिया की सबसे लंबी 9.02 किलोमीटर अटल टनल रोहतांग के निर्माण में लगे करीब 1500 इंजीनियरों और कामगारों की डाक्यूमेंट्री बनाई जाएगी. इनमें 1200 इंजीनियर और कामगार एफकॉन कंपनी के हैं. ये टनल निर्माण में आई चुनौतियों को साझा करेंगे.

हालांकि, टनल के उद्घाटन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंजीनियरों और कामगारों पर डॉक्यूमेंट्री बनाने का जिम्मा रक्षा, शिक्षा मंत्रालय और बीआरओ को दिया है. सेरी नाला के पानी का बहाव डायवर्ट करने के लिए इंजीनियरों को कई प्रयोग करने पड़े हैं. बताया जा रहा है कि पाइप डालकर टनल के पानी को दोनों तरफ डायवर्ट किया है. 3200 करोड़ से बनी टनल में सबसे ज्यादा धन और समय सेरी नाला पर ही खर्च हुआ है.

588 मीटर के पैच में खुदाई करना और नाले का पानी रोकना चुनौती से कम नहीं था. नाले में 127 लीटर प्रति सेकेंड की मात्रा में बह रहे पानी को अंदर ही डायवर्ट कर भारतीय इंजीनियरों ने देश और दुनिया में एक नई मिसाल पेश की है. टनल उद्घाटन के दौरान पीएम मोदी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से देश के बड़े-बड़े आईआईटी कॉलेजों के विद्यार्थियों को अटल टनल की बारीकियां जानने के लिए टूअर करवाने को भी कहा है.

एफकॉन कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर सुनील त्यागी ने कहा कि अटल टनल निर्माण का अनुभव सबसे खास रहा है. पीएम ने जो डॉक्यूमेंट्री बनाने की बात कही है, उससे एफकॉन के इंजीनियरों और कामगारों का मनोबल बढ़ेगा.

ये भी पढ़ें- अटल टनल के बाद रोहतांग रोपवे बनेगा सैलानियों के लिए आकर्षण, PM समेत CM ने की मॉडल की तारीफ

कुल्लू: 10,140 फीट की ऊंचाई पर बनी दुनिया की सबसे लंबी 9.02 किलोमीटर अटल टनल रोहतांग के निर्माण में लगे करीब 1500 इंजीनियरों और कामगारों की डाक्यूमेंट्री बनाई जाएगी. इनमें 1200 इंजीनियर और कामगार एफकॉन कंपनी के हैं. ये टनल निर्माण में आई चुनौतियों को साझा करेंगे.

हालांकि, टनल के उद्घाटन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंजीनियरों और कामगारों पर डॉक्यूमेंट्री बनाने का जिम्मा रक्षा, शिक्षा मंत्रालय और बीआरओ को दिया है. सेरी नाला के पानी का बहाव डायवर्ट करने के लिए इंजीनियरों को कई प्रयोग करने पड़े हैं. बताया जा रहा है कि पाइप डालकर टनल के पानी को दोनों तरफ डायवर्ट किया है. 3200 करोड़ से बनी टनल में सबसे ज्यादा धन और समय सेरी नाला पर ही खर्च हुआ है.

588 मीटर के पैच में खुदाई करना और नाले का पानी रोकना चुनौती से कम नहीं था. नाले में 127 लीटर प्रति सेकेंड की मात्रा में बह रहे पानी को अंदर ही डायवर्ट कर भारतीय इंजीनियरों ने देश और दुनिया में एक नई मिसाल पेश की है. टनल उद्घाटन के दौरान पीएम मोदी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से देश के बड़े-बड़े आईआईटी कॉलेजों के विद्यार्थियों को अटल टनल की बारीकियां जानने के लिए टूअर करवाने को भी कहा है.

एफकॉन कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर सुनील त्यागी ने कहा कि अटल टनल निर्माण का अनुभव सबसे खास रहा है. पीएम ने जो डॉक्यूमेंट्री बनाने की बात कही है, उससे एफकॉन के इंजीनियरों और कामगारों का मनोबल बढ़ेगा.

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