ETV Bharat / state

सतलुज नदी के पुनरुद्धार के लिए काजा में मंथन, बैठक में नदियों के जीर्णोद्धार पर पर्यावरणविदों ने दिए सुझाव - हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान

मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान शिमला द्वारा मंगलवार को सिंधु नदी बेसिन की प्रमुख नदी सतलुज का वानिकी गतिविधियों के माध्यम से पुनरुद्धार करने के उद्देश्य से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट डीपीआर बनाने के लिए परामर्शक बैठक का आयोजन काजा में किया गया.

सतलुज नदी के पुनरुद्धार को मंथन
author img

By

Published : Sep 18, 2019, 11:54 AM IST

कुल्लू: हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान ने सिन्धु नदी बेसिन की प्रमुख नदी सतलुज का वानिकी गतिविधियों के लिए एक बैठक का आयोजन किया गया. बैठक की अध्यक्षता अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी ज्ञान सागर नेगी ने की. सागर नेगी ने जल अधिग्रहण क्षेत्रों में वानिकी उपचारों के बारे में अपने विचार व्यक्त किए और कई उपयोगी सुझाव प्रस्तुत किए.

हिमाचल प्रदेश में जल संरक्षण की विभिन्न प्रौद्योगिकियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की. उन्होंने कहा कि नदियों के साथ धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई है, लेकिन मनुष्य के हस्तक्षेप के कारण आज नदियां काफी दूषित होती जा रही है. नदियों के कारण मनुष्य का जीवन चलता है. पर्यावरण का निर्धारण नदियों के बिना पूरा नहीं हो सकता है.

एसडीएम जीवन सिंह नेगी ने कहा कि स्पीति में पिछले कुछ वर्षो में कुछ नालों के जल में काफी कमी पाई गई है. इसके साथ कई बार नालों के कारण भारी नुकसान भी लोगों को उठाना पड़ता है. यहां के पर्यावरण पर भी प्रभाव पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें: नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में छात्र पानी और खाने के लिए 2 दिन से कर रहे आंदोलन, किया कक्षाओं का बहिष्कार

बैठक के दौरान सम्पूर्ण सत्रों में उक्त विभागों से आए विभिन्न शिक्षाविदों और वैज्ञानिकों ने सुझाव दिए. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में पहले भी विभिन्न परियोजनाओं के अंतर्गत कार्य किए गए हैं. गैर-सरकारी संस्थाओं और सिविल सोसाइटी के सदस्यों ने सुझाव दिया कि आज के समय में सरकारी कार्यों व योजनाओं में जन-सहभागिता की प्रमुख भूमिका है.

कुल्लू: हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान ने सिन्धु नदी बेसिन की प्रमुख नदी सतलुज का वानिकी गतिविधियों के लिए एक बैठक का आयोजन किया गया. बैठक की अध्यक्षता अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी ज्ञान सागर नेगी ने की. सागर नेगी ने जल अधिग्रहण क्षेत्रों में वानिकी उपचारों के बारे में अपने विचार व्यक्त किए और कई उपयोगी सुझाव प्रस्तुत किए.

हिमाचल प्रदेश में जल संरक्षण की विभिन्न प्रौद्योगिकियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की. उन्होंने कहा कि नदियों के साथ धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई है, लेकिन मनुष्य के हस्तक्षेप के कारण आज नदियां काफी दूषित होती जा रही है. नदियों के कारण मनुष्य का जीवन चलता है. पर्यावरण का निर्धारण नदियों के बिना पूरा नहीं हो सकता है.

एसडीएम जीवन सिंह नेगी ने कहा कि स्पीति में पिछले कुछ वर्षो में कुछ नालों के जल में काफी कमी पाई गई है. इसके साथ कई बार नालों के कारण भारी नुकसान भी लोगों को उठाना पड़ता है. यहां के पर्यावरण पर भी प्रभाव पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें: नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में छात्र पानी और खाने के लिए 2 दिन से कर रहे आंदोलन, किया कक्षाओं का बहिष्कार

बैठक के दौरान सम्पूर्ण सत्रों में उक्त विभागों से आए विभिन्न शिक्षाविदों और वैज्ञानिकों ने सुझाव दिए. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में पहले भी विभिन्न परियोजनाओं के अंतर्गत कार्य किए गए हैं. गैर-सरकारी संस्थाओं और सिविल सोसाइटी के सदस्यों ने सुझाव दिया कि आज के समय में सरकारी कार्यों व योजनाओं में जन-सहभागिता की प्रमुख भूमिका है.

Intro:कुल्लू
सिन्धु नदी बेसिन की प्रमुख नदी सतलुज का वानिकी गतिविधियों के लिए बैठक आयोजितBody:

प्रधानमंत्री महोदय, भारत सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए तत्पर हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला द्वारा मंगलवार को सिन्धु नदी बेसिन की प्रमुख नदी सतलुज का वानिकी गतिविधियों के माध्यम से पुनरूद्धार करने के उद्देश्य से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डी.पी.आर.) बनाने हेतु परामर्शक बैठक का आयोजन किया गया है। इस बैठक की अध्यक्षता अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी ज्ञान सागर नेगी, ने की। अपने अभिभाषण में मुख्य अतिथि ने जल अधिग्रहण क्षेत्रों में वानिकी उपचारों के बारे में अपने विचार व्यक्त किए और कई उपयोगी सुझाव प्रस्तुत किए। हिमाचल प्रदेश में जल संरक्षण की विभिन्न प्रौद्योगिकियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि नदियों के साथ धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई है। लेकिन मनुष्य के हस्तक्षेप के कारण आज नदियां काफी दूषित होती जा रही है। नदियों के कारण मनुष्य का जीवन चलता है। पर्यावरण का निर्धारण नदियों के बिना पूरा नहीं हो सकता है। प्रदूषित पानी के कारण इंसान कई गंभीर बीमारियों की चपेट मे घिरता जा रहा है। इस मौके पर एसडीएम जीवन सिंह नेगी ने कहा कि स्पीति में पिछले कुछ वर्षो में कुछ नालों क ेजल में काफी कमी पाई गई है। इसके साथ कई बार नालों के कारण भारी नुक्सान भी लोगों को उठाना पड़ता है। यहां के पर्यावरण पर भी प्रभाव पड़ रहा है। ं संस्थान के नोडल अधिकारी-सिन्धु नदी बेसिन, संजीव ठाकुर ने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि एवं गणमान्य अतिथियों तथा सभी प्रतिनिधियों एवं प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत व अभिनन्दन किया। संजीव ठाकुर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय वानिकी अनुसंधन शिक्षा परिषद, देहरादून ने अपने क्षेत्रीय संस्थानों के माध्यम से देश भर में नौ नदी बेसिनों से सम्बन्धित तेरह नदियों (ब्यास, चिनाव, झेलम, रावी, सतलुज, यमुना, ब्रहा्रपुत्र, महानदी, नर्मदा, कृष्णा, गोदावरी, कावेरी, लूनी) को व्यवहारिक व समग्र रणनीतियों पर आधारित वानिकी गतिविधियों द्वारा पुनरूद्धार करने के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने को चिन्हित किया है तथा यह परामर्श बैठक इस दिशा में काफी सहायक सिद्ध होगी। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट अवधारणा, प्रक्रिया, मुद्दों व चुनौतियों तथा प्रयोज्यता पर बहुत ही विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। गौरतलब है कि सिन्धु नदी बेसिन की प्रमुख नदियों की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने में गंगा डी.पी.आर. को मानक के रूप में प्रयोग किया जायेगा। सतलुज नदी बेसिन के युवा टीम लीडर अखिल शर्मा ने सतलुज नदी बेसिन से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तकनीकी पहलुओं के बारे में अवगत करवाया तथा डी.पी.आर बनाने की प्रक्रिया को विस्तारपूर्वक बताया। इस बैठक के दौरान सम्पूर्ण सत्रों में उक्त विभागों से आए विभिन्न शिक्षाविदों तथा वैज्ञानिकों ने सुझाव दिए कि इस क्षेत्र में पहले भी विभिन्न परियोजनाओं के अंतर्गत कार्य किए गए हैं। गैर-सरकारी संस्थाओं तथा सिविल सोसायटी के सदस्यों ने सुझाव दिया कि आज के समय में सरकारी कार्यों व योजनाओं में जन-सहभागिता की प्रमुख भूमिका है। इस चुनौतीपूर्ण और विशाल कार्य को प्रारम्भ करने से पूर्व प्रमुख हितधारकों जैसे सम्बन्धित राज्य के वन विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, बागवानी विभाग, कृषि विभाग, पशु पालन विभाग, राष्ट्रीय स्तर के अनुसंधान संस्थानों तथा गैर सरकारी संस्थानों, सिविल सोसायटी के सदस्यों, इत्यादि लगभग 50 प्रतिभागियों से इस कार्य के लिए सिफारिशें और सस्तुतियां प्राप्त करने के लिए परामर्षक बैठक ;ब्वदेनसजंजपअम डममजपदहद्ध का आयोजन किया गया ताकि परियोजना के संचालन के दौरान हितधारकों के सुझावों को डी.पी.आर. के महत्वपूर्ण दस्तावेज में समावेशित किया जा सके। बैठक के दौरान हिमाचल प्रदेश वन विभाग की ओर से हरदेव नेगी, वनमण्डलाधिकारी स्पिति (वन्य जीव) ने जल अधिग्रहण क्षेत्रों में वानिकी उपचारों के बारे में अपने विचार व्यक्त किए और कई उपयोगी सुझाव प्रस्तुत किए। इस बैठक के दौरान सम्पूर्ण सत्रों में विभिन्न विभागों से आए अधिकारियों तथा वैज्ञानिकों ने अपने-अपने सुझाव दिए। Conclusion:गैर-सरकारी संस्थाओं तथा सिविल सोसायटी के सदस्यों ने सुझाव दिया कि आज के समय में सरकारी कार्यों व योजनाओं में जन-सहभागिता की प्रमुख भूमिका है। इस कार्यशाला में स्पिति क्षेत्र में कार्यरत अशोक भूपन एक्सइन सिंचाई एवं जन-स्वास्थ्य विभाग, डी.आर.डी.ए. व के.वी.के. (उद्यान) विभाग के प्रतिनिधियों ने इस भौगोलिक क्षेत्र की विभिन्न परियोजनाओं तथा उससे सम्बन्धित मुद्दों के बारे में अवगत करवाया।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.