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कैसे रुकेंगे बस हादसे: CM के गृह क्षेत्र में ही 30 हजार लोगों को ढोती हैं सिर्फ 8 बसें - कुल्लू

मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र को जोड़ने वाले बंजार गाड़ा गुशेनी, छतरी, करसोग, जंजैहली रूट पर आज भी मात्र 8 बसें चल रही हैं. इनमें एचआरटीसी की पांच और 3 प्राइवेट बसें इन रूटों पर दौड़ती है.

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Published : Jun 22, 2019, 10:56 AM IST

Updated : Jun 22, 2019, 12:24 PM IST

कुल्लू: ओवललोडिंग के कारण कुल्लू के बंजार में हुए भीषण हादसे में 44 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए. ओवरलोडिंग बसों में सफर करना लोगों की मजबूरी बन गया है. सराज घाटी की 13 पंचायतों के लिए सिर्फ लगभग 30 हजार की आबादी मात्र 8 बसों में रोजाना सफर करने को मजबूर है.

मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र को जोड़ने वाले बंजार गाड़ा गुशेनी, छतरी, करसोग, जंजैहली रूट पर आज भी मात्र 8 बसें चल रही हैं. इनमें एचआरटीसी की पांच और 3 प्राइवेट बसें इन रूटों पर दौड़ती है. लोगों को घर पहुंचने के लिए जंगली, सुनसान और पहाड़ी रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है. इन रास्तों पर जंगली जानवरों के हमले और दुर्घटनाओं का अंदेशा बना रहता है. इसी के चलते लोग शाम को अपने काम से लौटते हुए घर जाने की जल्दी में रहते हैं. मजबूरन उन्हें ओवरलोड बसों में सफर करना पड़ता है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि बसों की कमी के चलते जिला कुल्लू और मंडी की 13 पंचायत के ग्रामीण काफी परेशान हैं. ग्रामीणों को बस से कम जगह होने के कारण तो कई बार बस में सीट तो दूर खड़े होने की जगह नहीं मिल पाती. ऐसे में अगर प्राइवेट बसों के समय के आसपास सरकारी बसों की टाइमिंग को जोड़ा जाए तो समस्या कम होगी.

वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि अगर मंडी से गाड़ा गुशेनी घाट की ओर जाने वाली बस को वाया लटिपरि की जगह वाया जीभी से भेजा जाए तो लोगों को और सुविधा मिलेगी. कम बसें होने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बावजूद इसके सरकार ने लोगों को सुविधा के लिए नई बसें शुरू नहीं की है. स्थानीय लोगों ने सरकार और प्रशासन से मांग रखी है कि इन रूटों पर अतिरिक्त बसों को चलाया जाए ताकि किसी भी प्रकार के हादसों से बचा जा सके।

कुल्लू: ओवललोडिंग के कारण कुल्लू के बंजार में हुए भीषण हादसे में 44 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए. ओवरलोडिंग बसों में सफर करना लोगों की मजबूरी बन गया है. सराज घाटी की 13 पंचायतों के लिए सिर्फ लगभग 30 हजार की आबादी मात्र 8 बसों में रोजाना सफर करने को मजबूर है.

मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र को जोड़ने वाले बंजार गाड़ा गुशेनी, छतरी, करसोग, जंजैहली रूट पर आज भी मात्र 8 बसें चल रही हैं. इनमें एचआरटीसी की पांच और 3 प्राइवेट बसें इन रूटों पर दौड़ती है. लोगों को घर पहुंचने के लिए जंगली, सुनसान और पहाड़ी रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है. इन रास्तों पर जंगली जानवरों के हमले और दुर्घटनाओं का अंदेशा बना रहता है. इसी के चलते लोग शाम को अपने काम से लौटते हुए घर जाने की जल्दी में रहते हैं. मजबूरन उन्हें ओवरलोड बसों में सफर करना पड़ता है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि बसों की कमी के चलते जिला कुल्लू और मंडी की 13 पंचायत के ग्रामीण काफी परेशान हैं. ग्रामीणों को बस से कम जगह होने के कारण तो कई बार बस में सीट तो दूर खड़े होने की जगह नहीं मिल पाती. ऐसे में अगर प्राइवेट बसों के समय के आसपास सरकारी बसों की टाइमिंग को जोड़ा जाए तो समस्या कम होगी.

वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि अगर मंडी से गाड़ा गुशेनी घाट की ओर जाने वाली बस को वाया लटिपरि की जगह वाया जीभी से भेजा जाए तो लोगों को और सुविधा मिलेगी. कम बसें होने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बावजूद इसके सरकार ने लोगों को सुविधा के लिए नई बसें शुरू नहीं की है. स्थानीय लोगों ने सरकार और प्रशासन से मांग रखी है कि इन रूटों पर अतिरिक्त बसों को चलाया जाए ताकि किसी भी प्रकार के हादसों से बचा जा सके।

Intro:30 हजार की आबादी के लिए चल रही मात्र 8 बसे
ओवरलोडिंग बन रही हादसों का कारण


Body:कुल्लू और मंडी जिले की सराज घाटी की 13 पंचायतों की लगभग 30000 की आबादी मात्र 8 बसों में सफर करने को मजबूर है। मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र को जोड़ने वाले बंजार गाड़ा गुशेनी, छतरी, करसोग, जंजैहली रूट पर आज भी मात्र 8 बसें चल रही हैं। इनमें एचआरटीसी की पांच और 3 प्राइवेट बसें चल रही है। लोगों को शाम के समय अपने घर जाना होता है ऐसे में लोगों के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं होता है। मजबूरी में लोगों को खचाखच भरी बस में बैठना पड़ता है जो इस रूट पर हादसे का कारण बना है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बसों की कमी के चलते जिला कुल्लू और मंडी की 13 पंचायत के ग्रामीण काफी परेशान है। ग्रामीणों को बस से कम जगह होने के कारण तो कई बार बस में सीट तो दूर खड़े होने की जगह नहीं मिल पाती। ऐसे में अगर प्राइवेट बसों के समय के आसपास सरकारी बसों की टाइमिंग को जोड़ा जाए तो समस्या कम होगी।


Conclusion:वहीं ग्रामीणों का कहना है कि अगर मंडी से गाड़ा गुशेनी घाट की ओर जाने वाली बस को वाया लटिपरि की जगह वाया जीभी से भेजा जाए तो लोगों को और सुविधा प्रदान होगी। उन्होंने कहा कि कम बसे होने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है बावजूद इसके सरकार ने लोगों को सुविधा के लिए नई बसें शुरू नही की। स्थानीय लोगों ने सरकार और प्रशासन से मांग रखी है कि इन रूटों पर अतिरिक्त बसों को चलाया जाए ताकि किसी भी प्रकार के हादसों से बचा जा सके।
Last Updated : Jun 22, 2019, 12:24 PM IST
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