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दिन में सात बार रंग बदलता है किन्नर कैलाश, भगवान शिव का है शीतकालीन निवास

हिमाचल सिर्फ देवभूमि ही नहीं बल्कि रहस्यमयी हिमाचल भी है, जहां के कई हिस्से अपने अंदर कई रहस्य संजोए हुए हैं. ईटीवी भारत अपनी खास सीरीज रहस्य में आपको ऐसी ही कई अनसुलझी और रहस्यमयी जगहों से रूबरू करवाता है, जिनका उत्तर आज के विज्ञान के पास भी नहीं है.

kinner kailash किन्नर कैलाश
किन्नर कैलाश
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Published : Mar 1, 2020, 3:50 PM IST

किन्नौर: हिमाचल सिर्फ देवभूमि ही नहीं बल्कि रहस्यमयी हिमाचल भी है, जहां के कई हिस्से अपने अंदर कई रहस्य संजोए हुए हैं. ईटीवी भारत अपनी खास सीरीज रहस्य में आपको ऐसी ही कई अनसुलझी और रहस्यमयी जगहों से रूबरू करवाता है, जिनका उत्तर आज के विज्ञान के पास भी नहीं है.

वैसे तो देवों के देव महादेव कैलाशपति है, हिमालय के गर्भ में बसा कैलाश भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है. लेकिन हिमाचल के किन्नौर में मौजूद किन्नर कैलाश भगवान शिव का शीतकालीन निवास माना जाता है. 12 महीने बर्फ की चादर ओढ़े पहाड़ों के बीच 45 फीट ऊंचा और 16 फीट चौड़ा शिवलिंग अपने आपमें अद्भुत है.

वीडियो रिपोर्ट

इस शिवलिंग को किन्नौर के कल्पा से भी देखा जा सकता है. सूर्य उदय होने से पहले किन्नर कैलाश के आसपास की पहाड़ियों का रंग और कैलाश के रंग में भी काफी फर्क दिखाई देता है. अब इस घटना को चमत्कार कहे या कोई रहस्य या कोई विज्ञान इसका उत्तर तो शायद किसी के पास भी नहीं है.

किन्नर कैलाश से जुड़ा इतिहास

किन्नर कैलाश की पहली यात्रा सन 1990 को कुछ एक गद्दियों ने शुरू की थी, जो अपने भेड़ बकरियों के साथ किन्नर कैलाश के आसपास आते-जाते रहते थे. कई बार ये गद्दी रात को किन्नर कैलाश के निचली तरफ अपनी रात गुजारते थे. उस दौरान सुबह चार बजे ठीक कैलाश के आसपास ढोल नगाड़ों और शंख की आवाजें आती थी, मानो कैलाश पर्वत पर पूजा हो रही हो.

कहा जाता है कि उस समय गद्दियों ने जब कैलाश की तरफ देखा तो किन्नर कैलाश पर कुछ बड़े-बड़े आसमानी तारे गिर रहे थे और कैलाश के आसपास कोई बड़ा भव्य शरीर वाला व्यक्ति चल रहा था.

किन्नर कैलाश से 500 सौ मीटर निचली तरफ पार्वती कुंड भी स्थित है. जहां पानी का एक तालाब बना हुआ है, जिसका तापमान गर्मियों में भी बहुत ठंडा होता है. मान्यता है कि इस कुंड में जो महिलाए स्नान करती है, उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है.

लोक मान्यताएं

लोगों का मानना है कि शोणितपुर राज्य जो अब सराहन के नाम से जाना जाता है उस राज्य के राजा बाणासुर ने किन्नर कैलाश पर ही भगवान शिव की आराधना की थी. कहा जाता है कि रावण जब मानसरोवर की यात्रा पर गया था तो उसने भी किन्नर कैलाश में तपस्या की थी.

किन्नर कैलाश का रहस्य

किन्नर कैलाश में असीम शक्तियां है. कहा जाता है कि किन्नर कैलाश दिन में सात बार रंग बदलता है, जबकि इसके आस-पास मौजूद पहाड़ियों का रंग एक जैसा ही रहता है. इतना ही नहीं शिवलिंग का रंग भी बार-बार बदलता रहता है, जिसे किन्नौर ही नहीं बल्कि बाहरी राज्यों से आए लोगों ने भी अपनी आंखों से देखा है. भगवान शिव के इस कैलाश में अंधेरा होने के बाद कई बार किन्नर कैलाश में मौजूद शिवलिंग के ऊपरी तरफ चमकते सितारों को उतरते हुए भी लोगो ने देखा है.

अब इसे रहस्य कहे या विज्ञान इस बात का उत्तर को विद्वान लोग अपनी भावनाओं और तर्कों के आधार पर देते हैं, लेकिन सच में भगवान शिव का यह स्थान रहस्यमयी और अद्भुत है. आपकों बता दें कि ईटीवी भारत किसी अंध विश्वास का समर्थन नहीं करता बल्कि हमारी कोशिश आपको ऐसे स्थानों से परिचित करवाना है, जो कई रहस्यों को समेटे हुए हैं.

किन्नौर: हिमाचल सिर्फ देवभूमि ही नहीं बल्कि रहस्यमयी हिमाचल भी है, जहां के कई हिस्से अपने अंदर कई रहस्य संजोए हुए हैं. ईटीवी भारत अपनी खास सीरीज रहस्य में आपको ऐसी ही कई अनसुलझी और रहस्यमयी जगहों से रूबरू करवाता है, जिनका उत्तर आज के विज्ञान के पास भी नहीं है.

वैसे तो देवों के देव महादेव कैलाशपति है, हिमालय के गर्भ में बसा कैलाश भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है. लेकिन हिमाचल के किन्नौर में मौजूद किन्नर कैलाश भगवान शिव का शीतकालीन निवास माना जाता है. 12 महीने बर्फ की चादर ओढ़े पहाड़ों के बीच 45 फीट ऊंचा और 16 फीट चौड़ा शिवलिंग अपने आपमें अद्भुत है.

वीडियो रिपोर्ट

इस शिवलिंग को किन्नौर के कल्पा से भी देखा जा सकता है. सूर्य उदय होने से पहले किन्नर कैलाश के आसपास की पहाड़ियों का रंग और कैलाश के रंग में भी काफी फर्क दिखाई देता है. अब इस घटना को चमत्कार कहे या कोई रहस्य या कोई विज्ञान इसका उत्तर तो शायद किसी के पास भी नहीं है.

किन्नर कैलाश से जुड़ा इतिहास

किन्नर कैलाश की पहली यात्रा सन 1990 को कुछ एक गद्दियों ने शुरू की थी, जो अपने भेड़ बकरियों के साथ किन्नर कैलाश के आसपास आते-जाते रहते थे. कई बार ये गद्दी रात को किन्नर कैलाश के निचली तरफ अपनी रात गुजारते थे. उस दौरान सुबह चार बजे ठीक कैलाश के आसपास ढोल नगाड़ों और शंख की आवाजें आती थी, मानो कैलाश पर्वत पर पूजा हो रही हो.

कहा जाता है कि उस समय गद्दियों ने जब कैलाश की तरफ देखा तो किन्नर कैलाश पर कुछ बड़े-बड़े आसमानी तारे गिर रहे थे और कैलाश के आसपास कोई बड़ा भव्य शरीर वाला व्यक्ति चल रहा था.

किन्नर कैलाश से 500 सौ मीटर निचली तरफ पार्वती कुंड भी स्थित है. जहां पानी का एक तालाब बना हुआ है, जिसका तापमान गर्मियों में भी बहुत ठंडा होता है. मान्यता है कि इस कुंड में जो महिलाए स्नान करती है, उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है.

लोक मान्यताएं

लोगों का मानना है कि शोणितपुर राज्य जो अब सराहन के नाम से जाना जाता है उस राज्य के राजा बाणासुर ने किन्नर कैलाश पर ही भगवान शिव की आराधना की थी. कहा जाता है कि रावण जब मानसरोवर की यात्रा पर गया था तो उसने भी किन्नर कैलाश में तपस्या की थी.

किन्नर कैलाश का रहस्य

किन्नर कैलाश में असीम शक्तियां है. कहा जाता है कि किन्नर कैलाश दिन में सात बार रंग बदलता है, जबकि इसके आस-पास मौजूद पहाड़ियों का रंग एक जैसा ही रहता है. इतना ही नहीं शिवलिंग का रंग भी बार-बार बदलता रहता है, जिसे किन्नौर ही नहीं बल्कि बाहरी राज्यों से आए लोगों ने भी अपनी आंखों से देखा है. भगवान शिव के इस कैलाश में अंधेरा होने के बाद कई बार किन्नर कैलाश में मौजूद शिवलिंग के ऊपरी तरफ चमकते सितारों को उतरते हुए भी लोगो ने देखा है.

अब इसे रहस्य कहे या विज्ञान इस बात का उत्तर को विद्वान लोग अपनी भावनाओं और तर्कों के आधार पर देते हैं, लेकिन सच में भगवान शिव का यह स्थान रहस्यमयी और अद्भुत है. आपकों बता दें कि ईटीवी भारत किसी अंध विश्वास का समर्थन नहीं करता बल्कि हमारी कोशिश आपको ऐसे स्थानों से परिचित करवाना है, जो कई रहस्यों को समेटे हुए हैं.

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