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जन्माष्टमी स्पेशल: कृष्ण के इस मंदिर में उल्टी टोपी तय करती है लोगों का भविष्य! - भगवान कृष्ण

देशभर में आज जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है. इस खास मौके पर ईटीवी भारत भगवान कृष्ण से जुड़े एक ऐसे स्थान पर ले जाएगा, जहां पर द्वापर युग में पांडवों ने भगवान कृष्ण के लिए मंदिर का निर्माण किया था. किन्नौर के युला गांव पांडवों ने पहाड़ से एक नहर के पानी को मोड़ कर इस झील को बनाया था. जिसके बाद पांडवों ने झील के साथ ही श्री कृष्ण की मूर्ति स्थापित की थी.

janmashtami special story on yulla kanda lake kinnaur
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Published : Aug 11, 2020, 8:03 PM IST

किन्नौर:जन्माष्टमी के मौके पर ईटीवी भारत आपको युला कांडा झील के दीदार करवाएंगा. ठंडे पानी की निर्मल झील किन्नौर जिले के युला गांव में स्थित है. यहां आसमान छूते पहाड़ चारों तरफ फैली हरियाली किसी का भी दिल मोह ले. जन्माष्टमी के मौके पर यहां का मौहाल देखते ही बनता है.

जन्माष्टमी पर यहां लगने वाले मेले को सरकार ने राज्य स्तरीय उत्सव घोषित किया है. जन्माष्टमी पर श्रद्धालु यहां यशोद्धा के लाल कृष्ण कन्हैया की भक्ति में लीन हो जाते हैं. गीत-संगीत का दौर शुरू होता है. स्थानीय लोग यहां पहुंचकर पहाड़ी नृत्य करते हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

जन्माष्टमी के बाद अक्तूबर में श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए जाते हैं. यहां घास चर रही गायों को देखकर लगता है कि स्वयं कृष्ण भगवान यहां ग्वाले के रूप में विराजमान हो. कहा जाता है कि इस झील का निर्माण अज्ञात वास में पांडवों ने एक ही रात में कर दिया था. पांडवों ने पहाड़ से एक नहर के पानी को मोड़ कर इस झील को बनाया था.

झील के पानी से पांडव यहां धान की खेती करते थे. पांडवों ने झील के साथ ही श्री कृष्ण की मूर्ति स्थापित की थी. यह मूर्ति आज भी यहां मौजूद है. , दूरदराज से लोग यहां अपना भविष्य जानने के लिए भी आते हैं, क्योंकि ये झील एक टोपी के जरिए लोगों को उनका आने वाला भविष्य भी बताती है.

कई साल इस झील के पानी को युला के ग्रामीणों ने सिंचाई के लिए अपने गांव की तरफ मोड़ने की कोशिश की थी. लेकिन नहर का पानी वापस तालाब में मुड़ा हुआ था. झील का पानी कैसे तालाब की तरफ मुड़ा ये आज तक किसी को भी समझ नहीं आया.

ये भी पढ़ें: कान्हा के स्वागत के लिए तैयारियां पूरी, आज देशभर में मनाई जाएगी कृष्ण जन्माष्टमी

किन्नौर:जन्माष्टमी के मौके पर ईटीवी भारत आपको युला कांडा झील के दीदार करवाएंगा. ठंडे पानी की निर्मल झील किन्नौर जिले के युला गांव में स्थित है. यहां आसमान छूते पहाड़ चारों तरफ फैली हरियाली किसी का भी दिल मोह ले. जन्माष्टमी के मौके पर यहां का मौहाल देखते ही बनता है.

जन्माष्टमी पर यहां लगने वाले मेले को सरकार ने राज्य स्तरीय उत्सव घोषित किया है. जन्माष्टमी पर श्रद्धालु यहां यशोद्धा के लाल कृष्ण कन्हैया की भक्ति में लीन हो जाते हैं. गीत-संगीत का दौर शुरू होता है. स्थानीय लोग यहां पहुंचकर पहाड़ी नृत्य करते हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

जन्माष्टमी के बाद अक्तूबर में श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए जाते हैं. यहां घास चर रही गायों को देखकर लगता है कि स्वयं कृष्ण भगवान यहां ग्वाले के रूप में विराजमान हो. कहा जाता है कि इस झील का निर्माण अज्ञात वास में पांडवों ने एक ही रात में कर दिया था. पांडवों ने पहाड़ से एक नहर के पानी को मोड़ कर इस झील को बनाया था.

झील के पानी से पांडव यहां धान की खेती करते थे. पांडवों ने झील के साथ ही श्री कृष्ण की मूर्ति स्थापित की थी. यह मूर्ति आज भी यहां मौजूद है. , दूरदराज से लोग यहां अपना भविष्य जानने के लिए भी आते हैं, क्योंकि ये झील एक टोपी के जरिए लोगों को उनका आने वाला भविष्य भी बताती है.

कई साल इस झील के पानी को युला के ग्रामीणों ने सिंचाई के लिए अपने गांव की तरफ मोड़ने की कोशिश की थी. लेकिन नहर का पानी वापस तालाब में मुड़ा हुआ था. झील का पानी कैसे तालाब की तरफ मुड़ा ये आज तक किसी को भी समझ नहीं आया.

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